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अखबार ने बदल दी अजय स्वामी की जिंदगी! पहले चाय बेचते थे, अब खेती में करते हैं बड़ा कारोबार 

अखबार ने बदल दी अजय स्वामी की जिंदगी! पहले चाय बेचते थे, अब खेती में करते हैं बड़ा कारोबार 

आज हम आपको एक ऐसे शख्‍स की सफलता के बारे में बता रहे हैं जिसने एलोवेरा की खेती से अपना वर्तमान तो संवारा ही साथ ही अपना भविष्‍य भी सुरक्षित कर लिया. अजय को अखबार में एलोवेरा की खेती के बारे में पता चला और इसमें उनकी रुचि बढ़ गई. आज अजय की कंपनी 45 अलग-अलग एलोवेरा उत्पाद बेचती है और उन्‍हें यह खेती करते-करते 12 साल हो गए हैं. इसका सालाना कारोबार 10 लाख रुपये से ज्‍यादा है.

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अजय स्‍वामी को एलोवेरा की खेती करते-करते 12 साल हो गए हैं अजय स्‍वामी को एलोवेरा की खेती करते-करते 12 साल हो गए हैं

आज हम आपको एक ऐसे शख्‍स की सफलता के बारे में बता रहे हैं जिसने एलोवेरा की खेती से अपना वर्तमान तो संवारा ही साथ ही साथ अपना भविष्‍य भी सुरक्षित कर लिया है. राजस्‍थान के हनुमानगढ़ के परलीका गांव में रहने वाल अजय स्‍वामी आज खेती-किसानी में अपनी जिंदगी संवार रहे हैं. 31 साल के अजय को एक दिन न्‍यूजपेपर में कुछ ऐसा नजर आया जो उनके लिए सक्‍सेस मंत्र बन गया. अजय को अखबार में एलोवेरा की खेती के बारे में पता चला और इसमें उनकी रूचि बढ़ गई. पिता की अचानक मृत्‍यु के बाद वह चाय की दुकान चला रहे थे. अजय ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने की ठान ली थी क्‍योंकि उन्‍हें अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी देनी थी. आगे जानिए कि आखिर उन्‍होंने एलोवेरा की खेती में ऐसा क्‍या किया जो आज वह अपने साथियों के बीच एक प्रेरणा बन गए हैं. 

कब्रिस्‍तान से लाए एलोवेरा के पौधे 

अजय को अपने पिता से एक एकड़ जमीन विरासत में मिली थी. उनके पास खेती का कोई अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी उन्‍होंने इस जमीन का प्रयोग करने का फैसला किया. इंटरनेट ने उनका साथ दिया और अजय ने एलोवेरा की खेती के बारे में खूब रिसर्च की. साथ ही उन किसानों से बात करना शुरू किया जो इसकी खेती के बारे में जानते थे. अजय ने उन्होंने दूसरे गांव से एलोवेरा के कुछ पौधे खरीदे. आपको जानकर हैरानी होगी कि अजय को चुरू के एक कब्रिस्तान में एलोवेरा पौधा उगे होने की जानकारी मिली. वहां से किसी तरह गाड़ी में भरकर वह एलोवेरा के पौधे लाए और खेत में लगा दिए. ये पौधे सही तरह से बढ़ें इसके लिए उन्‍होंने अच्छे उर्वरकों का प्रयोग किया. 

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नहीं मिल रहे थे खरीदार 

डेढ़ साल के बाद अच्छी फसल उगी. लेकिन अब इस फसल के लिए खरीदार नहीं मिल रहे थे और उन्‍हें तलाशना काफी मुश्किल था. इस चुनौती से निपटने के लिए अजय ने एलोवेरा जूस के साथ ही इससे कई तरह के उत्‍पाद बनाने का फैसला किया. जैसे-जैसे उनके उत्पादों की मांग बढ़ती गई, उन्होंने पूरी तरह से खेती पर ध्यानदेने के लिए चाय की दुकान बंद कर दी. अजय ने कृषि विज्ञान केंद्र में एलोवेरा कई कई उत्पाद बनाना सीखा. इन उत्‍पादों में साबुन, शैंपू, क्रीम, मिठाई और उनका सबसे अधिक बिकने वाला उत्पाद, एलोवेरा लड्डू शामिल है. इस लड्डू की कीमत 350 रुपये प्रति किलोग्राम है. अजय ने अपनी जमीन पर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई और अपना ब्रांड लॉन्च किया. 

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एलोवेरा की खेती में हुए 12 साल  

आज अजय की कंपनी 45 अलग-अलग एलोवेरा उत्पाद बेचती है और उन्‍हें यह खेती करते-करते 12 साल हो गए हैं. इसका सालाना कारोबार 10 लाख रुपये से ज्‍यादा है.  अजय की सफलता की कहानी इस बात का सबूत है कि कैसे एक साधारण सा विचार भी आपके जीवन को बदल सकता है. साथ ही दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. अजय को आज इस सफलता के मैदान में 12 साल हो गए हैं.