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सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ सत्य प्रवीण ने शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग, अब हर महीने कमाते हैं 2 लाख रुपये

सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ सत्य प्रवीण ने शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग, अब हर महीने कमाते हैं 2 लाख रुपये

लाखों रुपये की तनख्‍वाह को छोड़कर किसी नए काम को करने का फैसला आसान नहीं होता है. लेकिन ओडिशा के सत्‍य प्रवीण कठिन फैसले के लेने में नहीं हिचके और आज वह हर साल लाखों कमा रहे हैं. प्रवीण, ओडिशा के रायगड़ा जिले के रहने वाले हैं और वह पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं. वह कुछ नया करना चाहते थे और अपने देश वापस आना चाहते थे.

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सत्‍या प्रबीन आज ओडिशा के कई किसानों के आदर्श बन गए हैं सत्‍या प्रबीन आज ओडिशा के कई किसानों के आदर्श बन गए हैं

लाखों रुपये की तनख्‍वाह को छोड़कर किसी नए काम को करने का फैसला आसान नहीं होता है. लेकिन ओडिशा के सत्‍य प्रवीण कठिन फैसले के लेने में नहीं हिचके और आज वह हर साल लाखों कमा रहे हैं. प्रवीण, ओडिशा के रायगड़ा जिले के रहने वाले हैं और वह पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं. वह कुछ नया करना चाहते थे और अपने देश वापस आना चाहते थे. प्रवीण दरअसल मलेशिया में बतौर आईटी इंजीनियर काम कर रहे थे. उनकी सैलरी भी बहुत अच्‍छी थी लेकिन उन्‍हें यह सब रास नहीं आ रहा था. वह अपने वतन वापस आकर अपने उस जुनून को पूरा करना चाहते थे जो खेती से जुड़ा था. 

ड्रिप सिस्‍टम से की खेती 

प्रवीण के पिता जीवन-यापन करने के लिए सब्जियों की खेती करते थे. उन्‍होंने ही सत्या को खेती करने के लिए प्रेरित किया. देश वापस आकर सत्‍या ने अपनी 34 एकड़ जमीन पर ड्रिप प्रणाली और बायो कम्‍पोस्‍ट (जैविक उर्वरक) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती शुरू की. खेती में सत्या की सफलता ने उन्हें समुदाय के अन्य किसानों के लिए एक आदर्श मॉडल बना दिया है. खेती के लिए सत्या का दृष्टिकोण असाधारण और एकदम नया है. इससे जहां उन्हें स्थानीय लोगों की तारीफ मिली तो वहीं अधिकारियों का ध्यान भी उन पर गया. 

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आज सत्‍या अपने गांव और पड़ोसी गांवों में करीब 60 लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं. इस तरह से वह स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं.  कलेक्टर स्वधा देव सिंह ने सत्या के खेत का दौरा किया और उनके काम की प्रशंसा की.  एक किसान के तौर पर सत्या की सफलता ने उन्हें बाकी किसानों के बीच दूसरों के लिए एक आदर्श बना दिया है. 

बाकी किसानों के लिए बने आदर्श 

रायगढ़ा ब्लॉक विकास अधिकारी, लक्ष्मी नारायण साबत के अनुसार, छोटे पैमाने के किसानों को आत्मनिर्भर बनने और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए सत्या के उदाहरण का पालन करने और बायो कम्‍पोस्‍ट का प्रयोग करके अपनी जमीन पर सब्जियां उगाने की जरूरत है. इस तरह से उगाई गई सब्जियां सब्जियां स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होती हैं. 

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सत्‍या ने एक सफल किसान तक का सफर तय किया है. यह सफर उनके दृढ़ संकल्प और खेती के लिये जुनून की कहानी है. उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर कोई अपने दिल की बात माने और अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करे तो सफलता हासिल की जा सकती है.