व्यावसायिक स्तर पर गुलाब की खेती कर खूब मुनाफा कमाया जा सकता है. गुलाब की खेती विश्व भर में बहुत पहले से की जाती रही है. पूरे भारत में इसकी व्यावसायिक खेती की जा रही है. गुलाब के फूल व्यावसायिक रूप से शाखा या कटे हुए फूल और पंखुड़ी वाले फूल दोनों के रूप में बाजार में उपलब्ध हैं. गुलाब की खेती देश के भीतर और विदेशों में निर्यात के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. जिले का एक युवा किसान फूलों की खेती कर मालामाल हो गया है. इस खेती से उन्हें लागत के अनुरूप अच्छा मुनाफा हो रहा है.
बाराबंकी जिले के सहेलिया गांव निवासी युवा किसान अमन ने एक बीघे में गुलाब की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ है. आज वह करीब तीन बीघे में गुलाब की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उन्हें हर साल करीब 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है. यह खेती उनके लिए सब्जियों और अन्य आम फसलों की तुलना में अधिक लाभदायक साबित हुई है. गुलाब की खेती में लागत बहुत कम आती है और आय भी अन्य फसलों की तुलना में अधिक होती है. इतना ही नहीं, फूलों की खेती करते समय खेत की उर्वरक क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि फसल उत्पादन के लिए किसी भी कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है.
गुलाब की खेती करने वाले युवा किसान अमन ने कहा कि पहले हम लोग मेंथा, धान, गेहूं आदि की खेती करते थे, जिसमें मुझे कोई फायदा नहीं दिखता था. फिर हमें फूलों की खेती के बारे में पता चला तो हमने एक बीघे से गुलाब की खेती शुरू कर दी. जिसमें हमें अच्छा मुनाफा मिला. आज करीब तीन बीघे में गुलाब की खेती हो रही है, जिसकी लागत करीब 25 से 30 हजार रुपये है. क्योंकि पौधे, खाद, पानी, मजदूरी और जुताई की लागत थोड़ी अधिक होती है और एक फसल पर मुनाफा लगभग 3 से 4 लाख रुपये होता है. गुलाब के पौधों को गुलाब के पेड़ों की कटिंग से भी उगाया जा सकता है. ऐसे में एक बार लगाने पर यह पौधा साल में दो बार अच्छी मात्रा में फूल देता है.
अमन ने बताया कि गुलाब की खेती कई तरह से की जाती है लेकिन मैं कलम विधि का उपयोग करता हूं. गुलाब की खेती के लिए सबसे पहले खेत की दो से तीन बार जुताई करनी पड़ती है. इसके बाद खेत को समतल कर उस पर गोबर की खाद छिड़क दी जाती है, फिर एक से डेढ़ फीट की दूरी पर गुलाब के पौधे लगाए जाते हैं और फिर सिंचाई की जाती है. यह पेड़ मात्र 3 महीने में तैयार हो जाता है और फिर इसके फूलों को तोड़कर बाजारों में बेचा जाता है. यह फसल 7 से 8 महीने तक चलती है और बाजार में कई बार बेची जा सकती है.
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