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ये हैं राजीव भास्कर, अमरूद की खेती के लिए मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ी, अब 1 करोड़ तक करते हैं कमाई

ये हैं राजीव भास्कर, अमरूद की खेती के लिए मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ी, अब 1 करोड़ तक करते हैं कमाई

लोगों को लगता है कि खेती में कुछ भी कमाई नहीं है. लेकिन ऐसी बात नहीं है. कई ऐसे लोग भी आपको मिल जाएंगे, जिन्होंने खेती के लिए नौकरी छोड़ दी और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं. इन्हीं में से एक शख्स हैं राजीव भास्कर, जो अमरूद की खेती से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं.

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अमरूद की खेती से किसान की बदली किस्मत. (सांकेतिक फोटो) अमरूद की खेती से किसान की बदली किस्मत. (सांकेतिक फोटो)

आज हम एक शख्स के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने खेती करने के लिए अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी. आज वे खेती से न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दे रखा है. आज इस शख्स की चर्चा पूरे जिले में हो रही है. लोग उनसे खेती करने की बारीकी भी सिख रहे हैं. खास बात यह है कि आज ये खेती करने के साथ-साथ सफल उद्यमी भी बन गए हैं. वे अपनी उपज खुद ही बेच रहे हैं. उनके खेतों में उगाए गए फल की बिक्री हरियाणा से बाहर भी हो रही है.

न्यूज वेबसाइट डीएनए के मुताबिक, इस शख्स का नाम राजीव भास्कर है. ये पहले नौकरी करते थे. लेकिन साल 2017 में राजीव ने खेती करने के लिए मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ दी. अब वे हरियाणा के पंचकुला में किराए पर पांच एकड़ जमीन लेकर थाई अमरूद की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें साल में लाखों रुपये की कमाई हो रही है. खास बात यह है कि राजीव वैज्ञानिक विधि से खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें कम लागत में ज्यादा उत्पादन मिलता है.

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जैविक खादों का करते हैं इस्तेमाल

राजीव भास्कर की माने तो वे अपने खेत में हमेशा जैविक उर्वरक का ही प्रयोग करते हैं. इसके अलावा उन्होंने कीटों के हमले और संक्रमण से अमरूद के बाग को बचाने के लिए तीन-परत बैगिंग तकनीक का भी उपयोग किया है. इससे रंग का समान फैलाव और कटाई तक फलों का सुरक्षित विकास सुनिश्चित हुआ है.

साल में लाखों रुपये की है इनकम

राजीव का कहना है कि 2017 के अक्टूबर और नवंबर में अमरूद का पहला उत्पादन हुआ, जिससे उन्हें 20 लाख रुपये की आमदनी हुई.  फिर उन्होंने अवशेष-मुक्त सब्जी की खेती शुरू कर दी, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने थाई अमरूद की खेती जारी रखने का विकल्प चुना और तीन अन्य निवेशकों के साथ 2019 में पंजाब के रूपनगर में 55 एकड़ जमीन पट्टे पर ली. राजीव और उनकी टीम ने 25 एकड़ जमीन पर अमरूद के पेड़ लगाए और पंचकुला बागान की पांच एकड़ जमीन पर थाई अमरूद की खेती जारी रखी, जब तक कि मालिक ने 2021 में इसे बेच नहीं दिया.

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आगे की क्या है तैयारी 

राजीव भास्कर का कहना है कि वे साल में दो बार बरसात और सर्दियों के दौरान अमरूद की तोड़ाई करते हैं. वे अपना माल 10 किलोग्राम के बक्सों में दिल्ली- एपीएमसी बाजार में पहुंचाते हैं, जिससे प्रति एकड़ औसतन 6 लाख रुपये का मुनाफा होता है. राजीव ने भविष्य में अपने अमरूद के पौधों की औसत अधिकतम उपज 25 किलोग्राम प्रति पौधा से बढ़ाकर 40 किलोग्राम प्रति पौधा करने की योजना बनाई है. वह उन क्षेत्रों में जैविक खेती के तरीकों का उपयोग करने के महत्व पर जोर देते हैं, जहां रासायनिक खेती अक्सर नहीं की जाती है.