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दिहाड़ी मजदूर के बेटा-बेटी ने पेश की मिसाल, दरोगा बनकर माता-पिता को किया सैल्यूट, पढ़िए संघर्ष की कहानी

दिहाड़ी मजदूर के बेटा-बेटी ने पेश की मिसाल, दरोगा बनकर माता-पिता को किया सैल्यूट, पढ़िए संघर्ष की कहानी

आगरा के अर्जुन नगर में बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनके दो बेटे और एक बेटी है. बलबीर बताते हैं कि मैं और पत्नी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए परिवार चलाने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे.

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 आगरा के अर्जुन नगर में बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं. आगरा के अर्जुन नगर में बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं.

Inspiring Story of Agra: आज हम सफलता की एक ऐसी कहानी आपको बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़कर मन भावुक हो जाएगा. मामला यूपी के आगरा जिले का है. जहां भाई-बहनों ने पुलिस में दरोगा बनकर अपने दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता के सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. जब दोनों ने पिता के सिर पर पुलिस की टोपी लगाई तो उनकी भी आंखें भर आईं.

आगरा के अर्जुन नगर में बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनके दो बेटे और एक बेटी है. बलबीर बताते हैं कि मैं और पत्नी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए परिवार चलाने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे.

 दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता के सिर गर्व से ऊंचा
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता का सिर गर्व से ऊंचा

सभी के लिए महीने में 30 दिन होते हैं, लेकिन मैंने नाइट शिफ्ट लगाकर 45 दिन काम किया. तब जाकर महीने के छह हजार रुपये कमाए, ताकी बच्चों की पढ़ाई का संकट न हो. मेरा संघर्ष बच्चे भी देखते थे, जिसके कारण उन्होंने सीमित संसाधनों में भी अच्छी पढ़ाई की. एकसाथ दोनों बच्चों का यूपी पुलिस में उप निरीक्षक पद पर चयन हुआ है. दोनों ने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.

बच्चों की पढ़ाई और उनकी सफलता के लिए बलबीर ने मेहनत की थी.
बच्चों की पढ़ाई और उनकी सफलता के लिए बलबीर ने मेहनत की थी

बलबीर सिंह इस समय टोरेंट पावर में संविदा पर लाइन खोदने और तार जोड़ने का काम करते हैं. रोजाना 200 रुपये की दिहाड़ी मिलती है. इतने में गुजारा नहीं होता, तो वह 15 दिन रात में ओवर टाइम करके थोड़ा अतिरिक्त कमाकर परिवार का भरण पोषण जैसे-तैसे करते हैं. पढ़ाने के लिए पैसे कम न पड़े, इसलिए कभी त्योहार पर भी नए कपड़े नहीं पहने. न रात देखी, न दिन. बस बच्चों की पढ़ाई और उनकी सफलता के लिए बलबीर ने मेहनत की थी, और आज वह मेहनत रंग भी लाई.

लखनऊ के जानकीपुरम थाने में मिली तैनाती
लखनऊ के जानकीपुरम थाने में मिली तैनाती

मिर्जापुर पुलिस अकादमी में 13 मार्च को हुए पुलिस पासिंग आउट परेड में उनका बेटा शिशांक कमलेश और बेटी सिमरन कमलेश का चयन यूपी पुलिस में उप निरीक्षक पद पर हुआ है. बेटे को वर्तमान में लखनऊ के जानकीपुरम थाने में तैनाती मिली है.

शशांक और उसकी बहन सिमरन
शशांक और उसकी बहन सिमरन

उपनिरीक्षक के पद पर चयनित हुए शशांक ने बताया, 'मेरी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज से हुई है. इसके बाद मैंने आरबीएस बिचपुरी से बीटेक किया. कुछ दिन तक एक निजी कंपनी में जॉब भी किया. 2021 से नया लक्ष्य बनाया और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की. पहले ही प्रयास में मेरा चयन हो गया. मेरी बहन सिमरन ने बीएससी आगरा कॉलेज से जबकि एमएससी एसएस कॉलेज मलपुरा से की है.' दरोगा के पद पर चयन होने के बाद उनके घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.