कृषि एक ऐसा पेशा है जिससे आज की तारीख में कई लोग दूरी बना रहे हैं, जबकि कई किसान ऐसे हैं जो अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस दौर में झारखंड के एक गांव ने खेती-बाड़ी में एक मिसाल पेश की है. किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि आस-पास के क्षेत्रों में अब इस गांव की पहचान सब्जी हब के तौर पर होती है. यह गांव झारखंड में बाबानगरी कहे जाने वाले देवघर जिले में स्थित है. जिले के कैरों प्रखंड अंतर्गत डिंडाकोली पंचायत के सिंहपुर गांव के किसानों की मेहनत की बदौलत ही गांव को यह पहचान मिली है. मात्र 16 परिवारों वाले इस गांव ने यह सफलता कैसे हासिल की यह बेहद दिलचस्प है.
गांव की कम आबादी होना भी किसानों के लिए एक समस्या थी क्योंकि खेती करने के लिए मजदूर नहीं मिलते थे. पर गांव के किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और आज उनकी एक अलग पहचान है. गांव में प्रत्येक परिवार अपनी 15 एकड़ जमीन में सब्जी की खेती करता है. हालांकि गांव में किसानों को सिंचाई की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पर इसके बावजूद आज इस गांव के बाहर सड़क किनारे सब्जियों की दुकानें हर रोज सजती हैं. यहां से लोग सब्जी खरीदते हैं. यह गांव मुख्य सड़क के किनारे बसा हुआ है, इसका भी फायदा गांव के लोगों को मिलता है. साथ ही सब्जी की खेती से किसानों की सालाना कमाई ढाई से तीन लाख रुपये हो गई है.
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सड़क किनारे होने के कारण दूर-दराज के लोग जो इस सड़क से गुजरते हैं, वे ताजी सब्जियां देखकर खरीदने के लिए यहां रुक जाते हैं. इसके अलावा स्थानीय लोग भी यहां से सब्जियों की खरीदारी करते हैं. इसके चलते खरीदारों की यहां खूब भीड़ हो जाती है. आम तौर पर इस गांव के किसान खीरा, ककड़ी और तरबूज की खेती करते हैं. इस तरह से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गर्मियों के दिनों में यहां के किसान प्रतिदिन 50 क्विंटल से अधिक तरबूज जामताड़ा, मधुपुर, विद्यासागर और कैरों के बाजार में बेच देते हैं. बेहतर उपज होने के बाद अभी भी किसान बेहतर बाजार नहीं मिल पाने की शिकायत करते हैं.
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कृषि में सिंहपुर गांव के किसान बेहतर काम कर रहे हैं पर गांव के किसानों की अपनी समस्याएं भी हैं. किसानों का उनके पास स्थायी बाजार नहीं है. इसके कारण उन्हें अपने उत्पाद बिचौलियों को बेचना पड़ता है, इससे उन्हें कम कीमत मिलती है. इसलिए सरकार को इस दिशा में सोचने की जरूरत है. अपनी सिंचाई की समस्या को लेकर किसानों ने कहा कि सरकार अगर उनके लिए लिफ्ट इरिगेशन की व्यवस्था करा देती तो उन्हें सिंचाई करने में आसानी होती. सिंचाई में आसानी होने पर वे अपनी उपज को और अधिक बढ़ा सकते हैं. हालांकि इन सब परेशानियों के बावजूद गांव के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है.
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