भिंड जिले के लहार ब्लॉक के चिरौला गांव निवासी पवन सिंह खेती की नई तकनीक अपनाकर प्रगतिशील किसान बन गए हैं. वे सब्जी की खेती से न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि आसपास के अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं. पवन सिंह पहले दूसरे गांवों में मजदूरी कर अपना गुजारा करते थे. कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण उन्हें अपने गांव लौटना पड़ा और अब उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर परंपरागत तरीके से खेती शुरू कर दी है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनके खेत पर आकर आत्मा परियोजना की जानकारी दी, उन्हें नकदी फसल लगाने की जानकारी और प्रशिक्षण भी दिया गया. अब इसकी मदद से वो लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
खेती की नई तकनीक अपनाते हुए पवन सिंह ने ड्रिप सिस्टम और मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल कर अपने खेत में करेला, टमाटर और खीरा की फसल लगाई. उन्होंने अपने खेत में करीब 1.5 हेक्टेयर में खीरा की फसल लगाई. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. पवन सिंह अब अपने गांव में ही खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि कृषि विभाग की आत्मा योजना, अन्य विभागीय योजनाओं, कृषक भ्रमण और प्रशिक्षण के जरिए वे साधारण किसान से प्रगतिशील किसान की श्रेणी में आ गए हैं. उन्हें वर्ष 2019-20 में जिला स्तरीय कृषक पुरस्कार भी मिल चुका है.
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किसान आत्मा योजना (ATMA Yojana) का पूरा नाम एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी है. यह योजना उन किसानों के लिए है जो अभी भी आधुनिक खेती के लाभ से दूर हैं. इस योजना के तहत किसानों को आधुनिक मशीनरी की ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही किसानों को आधुनिक मशीनरी का इस्तेमाल करके खेती करके अच्छा उत्पादन कैसे करें, इसकी जानकारी भी दी जाती है. आत्मा योजना के तहत किसानों को आधुनिक खेती की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके साथ ही किसानों को ऐसे स्थलों पर भी ले जाया जाता है जहां वैज्ञानिक तरीके से खेती की जा रही हो. आधुनिक खेती से किसान काफी मुनाफा कमा सकते हैं. इस तरह की खेती से किसानों का खर्च भी कम होता है. इस योजना के तहत किसानों को जैविक खेती से जुड़ी तकनीक के बारे में भी बताया जाता है. आत्मा योजना के तहत दलहन, तिलहन, बागवानी और अनाज का उत्पादन बढ़ाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. इस योजना का लाभ उठाकर किसान नई तकनीक सीख सकते हैं. इन तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान अपनी खेती को आधुनिक बना सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं.
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मल्चिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पौधों को पाले की समस्या से बचाने के लिए किया जाता है. जैविक मल्च मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्व धारण क्षमता को बेहतर बनाने में भी मदद करता है क्योंकि यह धीरे-धीरे विघटित होता है.
अगर आप मल्चिंग विधि का उपयोग करके खेत में सब्जियां लगाना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें. इसके साथ ही मिट्टी में गोबर की खाद मिला दें. इसके बाद खेत में एक उभरी हुई मेड़ या क्यारी बना लें. इसके बाद ड्रिप सिंचाई पाइपलाइन बिछा दें. इसके बाद प्लास्टिक मल्च को अच्छी तरह से बिछा दें और दोनों तरफ मिट्टी की परत लगाकर अच्छी तरह दबा दें. पाइप से पौधों से थोड़ी दूरी पर मल्चिंग पेपर में गोलाकार तरीके से छेद कर दें. इसके बाद अपने बीज या पौधे बो दें.
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