खेती-बाड़ी में फसलों के अलावा कमाई का जरिया गौ पालन भी है. गौपालन करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. ऐसा ही एक कारनामा गाजियाबाद के असीम ने कर दिखाया है. आज तक के मुताबिक असीम ने गौपालन करके एक बड़ी बिजनेस खड़ी कर ली है. उन्होंने गौपालन करके 06 करोड़ रुपये की टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी की है. इस बात पर शायद कोई विश्वास न करे, लेकिन असीम ने ऐसा कर दिखाया है. दरअसल गाजियाबाद के सिकंदरपुर गांव के रहने वाले असीम रावत के पास हेथा नाम की एक डेयरी है. उन्होंने अपनी इस डेयरी की शुरुआत दो देसी गायों से की थी. वहीं इस डेयरी में अब 1000 से ऊपर गोवंश हैं. इनमें गाय, बछड़े, बछिया, सांड सभी शामिल हैं.
असीम अमेरिका समेत कई देशों में नौकरी कर चुके हैं. वह पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे. सैलरी भी अच्छी थी. उन्होंने बताया कि नौकरी के दौरान एक दिन टीवी चैनल पर गायों के अस्तित्व पर डिबेट हो रही थी. उस डिबेट को सुनने के बाद उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया. 15 साल तक कई कंपनियों में काम करने के बाद उन्होंने 2015 में नौकरी छोड़ दी. उसी साल दो गायों से अपनी डेयरी की शुरुआत की. आज उस डेयरी का टर्नओवर महज 08 सालों में तकरीबन 06 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.
असीम रावत बताते हैं कि उन्होंने गाजियाबाद के अलावा बुलंदशहर, उत्तराखंड में भी अपनी डेयरी खोल रखी है. उनकी डेयरी में गिर, साहीवाल, हिमालयन बद्री नस्लों की गायों के अलावा देसी गायें भी हैं. इन गायों के दूध से वह घी, खोया, मिठाइयां समेत कई तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं. साथ ही गौमूत्र का उपयोग जीवामृत और दवाएं बनाने में करते हैं. वहीं गोबर से खाद और लकड़ियां बनाई जाती हैं. इन सभी प्रोडक्ट की बिक्री करके वो अच्छा मुनाफा कमाते हैं. इसके अलावा वह जैविक खेती भी करते हैं.
असीम शुरुआत से ही सिर्फ देसी गाय का पालन करना चाहते थे. उनकी भैंस पालन और विदेशी गायों के पालन में कोई दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि देसी गाय के दूध में विटामिन ज्यादा होते हैं और पचने में भी आसान होता है. वहीं, भैंस का दूध थोड़ा देर से पचता है. इसके अलावा खाद और गौमूत्र के देसी गायें ही बेहतर मानी जाती हैं. विदेशी गाय के लिए यहां का जलवायु बेहतर नहीं है. वह हमेशा बीमार ही रहती हैं. उनके पालन में खर्च भी ज्यादा होती है.
ये भी पढ़ें:- Success Story: पारंपरिक खेती छोड़ महिला किसान ने शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, किसानों से बात-चीत कर सीखा तरीका
असीम ने बताया कि उन्होंने अपने डेयरी में 85 लोगों को रोजगार दिया है. वह अपने प्रोडक्ट की बिक्री कई तरह से करते हैं. एक तो उन्हें डायरेक्ट ऑर्डर आता है. साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी प्रोडक्ट खरीदने का ऑप्शन दे रखा है. इसके अलावा उनके सभी प्रोडक्ट ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध है.
असीम कहते हैं कि डेयरी में गायों की साफ-सफाई और खान-पान का विशेष ख्याल रखा जाता है. सर्दियों में उन्हें दलिया, बाजार तो बाकी दिनों में गन्ने का चारा खिलाया जाता है. उनके डेयरी में दूध न देने वाली गाय भी हैं. उनका भी वह पालन करते हैं. उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ते हैं. इसके अलावा सांड और बछड़ों का भी उनकी डेयरी में खास ख्याल रखा जाता है. असीम के मुताबिक, गाय के दूध के साथ-साथ उसके गौमूत्र और गोबर का सही उपयोग किया जाए तो अच्छी-खासी कमाई की जा सकती है. ऐसे में किसी भी गोवंश को बाहर छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
गौपालन के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए उनको कई अवार्ड भी मिल चुके हैं. उन्हें साल 2018 में राष्ट्रीय गोपाल रत्न अवार्ड से नवाजा गया था. इसके अलावा आईसीआर उन्हें स्टार्टअप ऑफ दी ईयर 2022 का पुरस्कार दे चुकी है. उत्तराखंड सरकार से उन्हें शक्ति अवॉर्ड मिल चुका है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिल चुके हैं और उनके काम की तारीफ भी कर चुके हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today