होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ केंचुआ खाद बनाई, 24 साल की उम्र में सालाना 20 लाख का टर्नओवर

होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ केंचुआ खाद बनाई, 24 साल की उम्र में सालाना 20 लाख का टर्नओवर

24 साल के जयवर्धन वीरेंद्र सिंह पटेल ने खेती के क्षेत्र में अनोखा प्रयोग करते हुए मात्र 24 साल की उम्र में सालाना 20 लाख रुपये कमा रहे हैं. आइए जान लेते हैं कि इन्होंने कैसे ये कामयाबी हासिल की.

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होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ केंचुआ खाद बनाई, 24 साल की उम्र में सालाना 20 लाख का टर्नओवरधार जिले के युवा किसान जयवर्धन पटेल

पिछले कुछ सालों से खेती और पशुपालन तगड़ा मुनाफा देने वाले क्षेत्र बनकर उभरे हैं. एक तरफ जहां युवा नौकरियों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ युवा हैं जो पारंपरिक खेती में आधुनिकता घोलकर इस क्षेत्र में नई इबारत लिख रहे हैं. आज की कहानी मध्य प्रदेश के धार जिले से है जहां 24 साल के जयवर्धन वीरेंद्र सिंह पटेल ने खेती के क्षेत्र में अनोखा प्रयोग करते हुए मात्र 24 साल की उम्र में सालाना 20 लाख रुपये का टर्नओवर देने वाला बिजनेस बना लिया है. आइए जान लेते हैं कि जय ने ये कारनामा किया कैसे?

होटल मैनेजमेंट छोड़ खेती की ओर रुख 

जयवर्धन बताते हैं कि वे स्कूलिंग के बाद पुणे चले गए और वहां से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की. उन्होंने पुणे और फिर इंदौर में होटल इंडस्ट्री में काम भी किया लेकिन कोरोना महामारी के दौरान वे धार जिले में स्थित खलघाट में अपने घर लौटे. जयवर्धन बताते हैं कि घर आने के बाद उन्होंने खेती से जुड़कर कुछ अलग करने का प्लान बनाया और जैविक खाद बनाने की शुरुआत की. 

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खेतों में काम करते युवा किसान जय

यूट्यूब से सीखा वर्मी कंपोस्ट बनाना

जय ने किसानतक से बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें साल 2020 में उन्हें वर्मी कंपोस्ट बनाने का आइडिया तो आ गया था लेकिन इसकी बेसिक जानकारी भी नहीं थी. उन्होंने यूट्यूब वीडियो देखकर केंचुआ खाद बनाना सीखा और 05 बेड से शुरुआत की. वे ऑस्ट्रेलियन वैरायटी के आइसीनिया फेटिडा केंचुआ लेकर आए जो वर्मी कंपोस्ट के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं. हालांकि लॉकडाउन के बाद धर्मपुरी (धार जिला) स्थित किसान विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग भी ली.

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वर्मी कंपोस्ट के लिए बेड तैयार करते किसान

आज कहां पहुंचा बिजनेस?

05 बेड से खाद बनाने की शुरुआत के बाद उन्होंने अपने खेत में इस्तेमाल किया और अच्छा रिजल्ट देखने को मिला इसके बाद उन्होंने पूरी तरह से इस काम को बड़ा करने का प्लान बनाया. केवीके से ट्रेनिंग लेने के बाद वे गांव के किसानों से गोबर खरीदते हैं और उससे बेड तैयार करते हैं. आज वे हर साल में औसतन 2000 क्विंटल खाद बनाते हैं. 01 क्विंटल खाद की कीमत औसतन 800 रुपये में बिकती है. 

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साल में 2 हजार क्विंटल खाद

केंचुआ खाद के अलावा ये काम भी

जय ने बताया कि वे वर्मी कंपोस्ट बनाने के अलावा नीम, धतूरा, पपीता के पत्ते, गौमूत्र, छाछ, अदरक, लहसुन, करेंज, अकाऊ जैसी चीजों से बायो पेस्टीसाइड भी बनाते हैं. साथ ही वे स्थानीय लोगों और छात्रों को जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग भी देते हैं. उन्होंने किसानतक को बताया कि अब कर एक हजार से अधिक लोगों को ट्रेंड कर चुके हैं. इसके साथ ही जो लोग वर्मी कंपोस्ट का बेड लगाना चाहते हैं उनके लिए केंचुआ भी उपलब्ध करते हैं. केंचुओं की कीमत 300 रुपये प्रति किलो के आसपास बताई है. 

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कमाई का गणित 

05 बेड से वर्मी कंपोस्ट की शुरुआत करने वाले जयवर्धन वीरेंद्र सिंह पटेल आज 150 बेड लगाते हैं. उन्होंने बताया कि एक साल में दो हजार क्विंटल खाद बनाते हैं जिससे करीब 16 लाख रुपये की कमाई होती है. इसके अलावा ट्रेनिंग चार्ज, केंचुओं की बिक्री और जैविक पेस्टीसाइड्स से भी कमाई होती है. कुल मिलाकर साल भर में 20 लाख रुपये का रेवेन्यू जनरेट होता है. उन्होने बताया कि गोबर, केंचुआ, मजदूरी और रखरखाव में सालाना 7-8 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके बाद वे हर साल करीब 12 लाख रुपये की बचत करते हैं जो कि गांव के लिहाज से अच्छी कमाई मानी जाती है. 

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