कोटा में किसानों का अल्टीमेटम: फसलें डूबीं, मुआवजा नहीं मिला तो 23 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू

कोटा में किसानों का अल्टीमेटम: फसलें डूबीं, मुआवजा नहीं मिला तो 23 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू

कोटा के किसानों का गुस्सा, फसलें बर्बाद, मुआवजा नहीं तो 23 सितंबर से भूख हड़ताल. बारिश और प्रशासन की बेरुखी ने किसानों की उम्मीदें तोड़ी, अब भूख हड़ताल की चेतावनी. रामगंजमंडी-चेचट के किसान बोले: ‘मुआवजा दो या 23 सितंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल.’ किसानों ने सरकार को चेतावनी दी, भूख हड़ताल तय. मुआवजा नहीं मिला तो आंदोलन अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बदल जाएगा.

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कोटा में किसानों का अल्टीमेटम: फसलें डूबीं, मुआवजा नहीं मिला तो 23 सितंबर से भूख हड़ताल शुरूकोटा में बारिश से फसलों को नुकसान

राजस्थान के कोटा में रामगंजमंडी और चेचट क्षेत्र के किसानों की फसलें भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई मुआवजा नहीं मिलने से किसानों का गुस्सा उबाल पर है. किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि 23 सितंबर तक मुआवजा घोषित नहीं किया गया, तो वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

क्या है मामला?

  • ताकली बांध संघर्ष समिति के नेतृत्व में शुक्रवार को किसानों ने तहसीलदार नेहा वर्मा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.
  • ज्ञापन में बताया गया कि प्रशासन ने फसल नुकसान का सर्वेक्षण कर लिया है, लेकिन मुआवजा अब तक जारी नहीं हुआ.
  • किसानों का कहना है कि पूरी उपज नष्ट हो चुकी है, परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है, और बैंकों का कर्ज चुकाना भी भारी पड़ रहा है.

किसानों का बयान:

“फसलें खत्म हो गईं, आमदनी शून्य हो गई है. सरकार अगर हमारी नहीं सुनेगी, तो हम सड़कों पर उतरेंगे और भूख हड़ताल करेंगे.”

“हर बार सर्वे तो होता है लेकिन मदद ज़मीन पर नहीं पहुंचती.”

संघर्ष समिति की चेतावनी:

"यह आंदोलन प्रतीकात्मक नहीं होगा. अगर मुआवजा नहीं मिला तो जिलेभर के किसान अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे."

प्रशासनिक प्रक्रिया और स्थिति:

  • सरकार की ओर से नियमानुसार नुकसान का आकलन कर राहत दी जानी होती है.
  • अधिकारियों ने सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया में देरी हो रही है.
  • राज्य सरकार से अब अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा है.

इन क्षेत्रों में प्रभाव:

भारी बारिश से राजस्थान के कई जिले प्रभावित हैं जिनमें मुख्य प्रभावित जिले कोटा, बूंदी, झालावाड़, सीकर, झुंझुनूं, बारां, टोंक, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा आदि शामिल हैं. पूर्वी राजस्थान क्षेत्र में अधिक प्रभाव देखा जा रहा है.

मॉनसून के दौरान असामान्य या अत्यधिक बारिश हुई, जिससे कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. पानी की निकासी न होने के कारण खेत जलमग्न हो गए. किसानों की खरीफ फसलें प्रभावित हुईं.

प्रभावित फसलें:

मुख्य फसलें: मक्का, ग्वार, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, चना, अरहर, गेहूं (रबी फसल). फसलें पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट हुईं. बुवाई की गई फसलें समय से पानी में डूब जाने के कारण सूख गईं.

किसानों की स्थिति

बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति से किसानों का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. उन्हें खेती का कर्ज चुकाने में दिक्कत हो रही है. परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है. ऊपर से फसल बीमा के दावों में देरी और पेचीदगियां मुश्किलें पैदा कर रही हैं. खेतों में लगी फसलों का भारी नुकसान हुआ है जिससे अगली फसल की तैयारी भी प्रभावित हुई है.

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