Lauki ki Kheti: खेती-किसानी से भी खूब पैसा कमाया जा सकता है. इसके लिए बस परंपरागत खेती को छोड़ सब्जियों की खेती करनी होगी. इस बात को बिहार स्थित आरा के एक किसान ने साबित कर दिखाया है. आज वह लौकी की खेती कर खूब मुनाफा कमा रहे हैं.
भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड स्थित धुसरीया गांव के किसान लोरिक पासवान का कहना है कि पहले वह धान-गेहूं की खेती करते थे. इसमें कमाई अच्छी नहीं होती थी, जिसके चलते वह अपने परिवार का किसी तरह गुजर-वसर कर पाते थे. इसके बाद उन्होंने लौकी की खेती करनी शुरू की. आज वह न सिर्फ लौकी की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि आसपास के गांवों के किसान भी उनसे प्रेरित होकर लौकी की खेती करने लगे हैं.
इस विधि से कर रहे लौकी की खेती
किसान लोरिक बताते हैं कि मचान विधि से लौकी की खेती करने पर नुकसान कम होता है और उपज खूब होती है. वह इस विधि से लौकी की खेती कर साल में तीन बार फसल लेते हैं. वह बताते हैं कि चार महीने में लौकी के पौधे फसल देने लगते हैं. लोरिक बताते हैं कि इस वर्ष उन्होंने चार बीघा में लौकी की खेती की है. खेत की जुताई, लौकी की बुवाई से लेकर पटवन और मजदूरी पर कुल खर्च करीब 80 हजार रुपए आया है. चार लाख रुपए तक की कमाई होने की उम्मीद है.
शादी-विवाह के सीजन में मिलता है अच्छा भाव
किसान लोरिक बताते हैं कि चार बीघा खेत से हर दिन 600 से लेकर 800 लौकी निकलता है. शादी-विवाह के सीजन में लौकी का अच्छा भाव मिलता है. वह बताते हैं कि आरा, पटना से लेकर छपरा तक के बाजार में लौकी की सप्लाई होती है. कई बार व्यापारी खेत पर आकर लौकी खरीदकर ले जाते हैं. लोरिक का कहना है कि धान-गेहूं की खेती से किसी तरह जीवन-यापन किया जा सकता है. किसानों को अच्छी आमदनी के लिए सब्जी की खेती करनी चाहिए.
ऐसे करें लौकी की खेती
मचान विधि से लौकी की खेती करने से उत्पादन अधिक होता है. इसमें लौकी के पौधे खेत की सतह पर न फैलकर रस्सियों के सहारे मचान पर चढ़कर विकास करते हैं. मचान विधि से लौकी की खेती करने के लिए खेत में बांस या तार का जाल बनाकर लौकी के पौधों की बेल को जमीन से ऊपर पहुंचाया जाता है. इस विधि से खेती करने पर लौकी की फसल में रोग लगने का खतरा बहुत कम हो जाता है. लौकी की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी होती है. मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. लौकी की खेती करने से पहले खेती की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए.
खेत की खड़ी और क्षैतिज जुताई करनी चाहिए. खेत तैयार होने के बाद हरी खाद, गोबर की खाद, थोड़ा डीएपी का डोज तैयार कर खेत में डालना चाहिए. लौकी के बीज बोने के लिए 5-6 फीट की दूरी पर गड्ढे बनाएं. लौकी के बीजों की बुवाई करने के बाद नियमित रूप से इसकी सिंचाई करनी चाहिए. हालांकि यह ध्यान रखना चाहिए कि खेत में जलभराव न हो. लौकी के पौधों में फूलों के आने के बाद इनकी संख्या बढ़ाने के लिए घुलनशील उर्वरक का छिड़काव करना चाहिए.रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में लौकी की खेती की जाती है.
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