देश में कई किसान अब परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग कर रहे हैं. इससे उनको फायदा भी हो रहा है. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के किसान कमलेश कुमार मौर्य परंपरागत खेती की जगह फूलों की खेती कर रहे हैं. ये किसान डेढ़ बीघा में गुलाब की खेती करते हैं. जिससे लाखों की कमाई होती है. एक बार गुलाब लगाने से कई सालों तक इससे फायदा होता है.
किसान कमलेश मौर्य बाराबंकी के मोहम्मदपुर गांव के रहने वाले हैं. कमलेश मौर्य का परिवार पहले सब्जियों की खेती करता था. लेकिन 3-4 पहले उन्होंने सब्जियों की जगह फूलों की खेती करना शुरू किया. इससे उनको अच्छा-खासा मुनाफा होने लगा. उसके बाद से कमलेश लगातार फूलों की खेती करते हैं.
कमलेश डेढ़ बीघा में गुलाब उगाते हैं. एक बीघा गुलाब की खेती में 10 हजार रुपए तक खर्च आता है. इसमें पौधा लगाने से लेकर जुताई और सिंचाई तक का खर्च शामिल है. जबकि एक फसल पर डेढ़ लाख रुपए तक का मुनाफा होता है.
मार्केट में गुलाब की डिमांड हमेशा बनती रहती है. हिंदी डॉट न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक कमलेश मौर्य का कहना है कि उनको गुलाब बेचने के लिए मार्केट नहीं जाना पड़ता है. दुकानदार खुद खेत में आकर इसे खरीदते हैं. उनका कहना है कि सालों भर गुलाब एक ही रेट पर मिलता है. इसका रेट कभी गिरता नहीं है.
किसान कमलेश का कहना है कि गुलाब की खेती करना काफी आसान है. गुलाब की खेती दो तरह से की जा सकती है. लेकिन वो कलम विधि से इसकी खेती करते हैं. उनका कहना है कि 3 महीने में फसल तैयार हो जाती है. इसके बाद गुलाब तोड़कर मार्केट में सप्लाई की जा सकती है.
गुलाब की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता ज्यादा होनी चाहिए. गुलाब की खेती ऐसी जगह पर करनी चाहिए, जहां पानी का जमाव ना हो. जल निकासी की समुचित व्यवस्था वाली जगहों पर गुलाब की खेती करनी चाहिए. गर्मी के दिनों में गुलाब के पौधों को लू से बचाना जरूरी होता है. गर्मी में 2-3 दिन के अंतराल पर खेतों में सिंचाई करनी चाहिए. जबकि सर्दी के मौसम में 10 दिन के बाद पौधों को पानी देना चाहिए.
भारत में गुलाब की फूलों की हजारों प्रजातियां हैं. लेकिन हाइब्रीड टी गुलाब बहुत अच्छा माना जाता है. गुलाब की खेती का उचित देखभाल भी जरूरी है. गुलाब के पौधों की दूरी एक से डेढ़ मीटर की होनी चाहिए. इन पौधे के लिए सूर्य की रोशनी बहुत जरूरी है.
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