परंपरागत खेती अब गुजरे वक्त की बात हो गई है. अब दौर उन्नत खेती का है. दरअसल, उन्नत किस्मों की खेती ने कई किसानों के जिंदगी में बदलाव ला दिया है. ऐसे ही एक किसान विजेंद्र सिंह है, जो उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रहने वाले हैं. विजेंद्र सिंह ने हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद खुद को खेती के लिए समर्पित कर दिया. अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने अपनी 3.5 एकड़ की जमीन पर क्लस्टर विधि से सरसों, उड़द और बाजरा के अलावा कई तिलहन फसलों की खेती करते हैं.
उन्होंने आईसीएआर-केवीके फिरोजाबाद से संपर्क करके सरसों की किस्म डीआरएमआर 1165-40 की खेती की जिससे उनके आय में बढ़ोतरी हो रही है. बता दें कि वो इस जिले के इकलौते किसान नहीं जो इस विधि से सरसों की खेती कर रहे है. उनके अलावा भी कई किसान इस विधि से खेती करके 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.
विजेंद्र सिंह को अपनी उड़द की फसल के लिए जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार और अपने बाजरा उत्पादन के लिए राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने बताया कि जीविकोपार्जन के लिए वह उच्च उपज देने वाली किस्मों के बीज बेचते हैं और इन किस्मों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए बघई, धीरपुरा, छतराई और मोहम्मदाबाद जैसे गांवों में जरूरतमंद किसानों को मुफ्त बीज वितरित करते हैं.
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वहीं, तिलहन फसल की खेती करने के लिए स्थानीय किसानों के एक समूह ने फसल उत्पादन के लिए क्षेत्र का उपयोग करने में अपनी रुचि व्यक्त करते हुए आईसीएआर-केवीके फिरोजाबाद से संपर्क किया. आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र, फिरोजाबाद ने तिलहन पर सीएफएलडी के तहत रबी 2023-24 के दौरान उच्च उपज वाली सरसों की किस्म डीआरएमआर 1165-40 का प्रदर्शन किया. इसके बाद, आईसीएआर-केवीके फिरोजाबाद के वैज्ञानिकों की एक टीम ने क्षेत्र का दौरा किया और किसानों के साथ चर्चा की और एक सर्वेक्षण किया.
आईसीएआर-केवीके ने किसानों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया. इसके बाद, उन्होंने प्रदर्शन के उद्देश्यों के लिए अन्य आवश्यक इनपुट के साथ उच्च उपज वाली सरसों की किस्म डीआरएमआर 1165-40 के बीज प्रदान किए. इस किस्म की खेती करने पर किसानों ने प्रति हेक्टेयर 26.4 क्विंटल की सराहनीय उपज हासिल की और प्रति हेक्टेयर 107,940 रुपये की पर्याप्त शुद्ध आय प्राप्त की.
विजेंद्र सिंह न केवल अपने गांव में बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के व्यापक कृषक समुदाय के लिए भी एक आदर्श बन गए हैं. उनकी सफलता ने अन्य गांवों के किसानों को प्रेरित किया है, जो अब सिद्ध उच्च उपज वाली किस्मों का उपयोग करके तिलहन उत्पादन कार्यक्रमों में गहरी रुचि दिखा रहे हैं. इन उन्नतिओं में फिरोजाबाद जिले में तिलहन उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता है, जिससे बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ होगा. इसके अतिरिक्त, बौनी और विल्ट-प्रतिरोधी सरसों की किस्मों की किसानों के बीच बढ़ती मांग है.
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