खेती-किसानी में अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और अपनी अलग पहचान बना रही हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की रहने वाली प्रगतिशील महिला किसान मंजू कश्यप सिंघाड़े (water chestnut) की खेती से आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. वहीं युवा किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. दुहाई की रहने वाली मंजू ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि एक हेक्टेयर तालाब में सिंघाड़े की खेती कर रही हूं. जिसे हम अंग्रेजी में “वाटर चेस्ट नट” कहा जाता है. जिससे साल भर में 4-5 लाख रुपये की कमाई हो जाती हैं. मंजू कहती हैं कि वो बीते 3 वर्षों से लगातार तालाब पर सिंघाड़े की खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं. वहीं सिघाड़े की खेती से उन्हें मुनाफा भी हो रहा है.
उन्होंने बताया कि एक साल में 7 से 8 पर तोड़ आ जाती है. जिससे कुल 15-18 क्विंटल सिंघाड़े का उत्पादन हो जाता है. अब सितंबर के अंत फिर तोड़ आ जाएगी, ऐसे में 3 से 4 क्विंटल की पैदावार हो जाएगी. महिला किसान मंजू कश्यप बताती हैं कि शुरुआती दौर में सिंघाड़े का रेट अच्छा मिलता है, यानी 80 से 90 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक्री हो जाती है. जबकि 5 तोड़ के बाद दाम कम होने लगता है, 30 से 40 रुपये प्रति किलो का भाव मंडी में मिलता है. सिंघाड़े की सप्लाई के सवाल पर उन्होंने बताया कि साहिबाबाद मंडी में हमारा सारा माल जाता हैं, लेकिन व्यापारी खद हमारे तालाब पर आकर सौदा कर लेते हैं.
मंजू ने आगे बताया कि यह एक ऐसी फसल है जो पानी में ही उगाई जाती है. इसकी खेती कर किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सिंघाड़े की फसल रोपाई के 6 माह बाद तैयार हो जाती है. वहीं अन्य फसलों के मुकाबले सिंघाड़े की खेती में दोगुना अधिक मुनाफा होता है. सिंघाड़े की गुणवत्ता की बात की करें तो साफ पानी में चमकदार सिंघाड़ा होता है और उसमें मिठास भी अधिक होता है.
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), पूसा में 109 उन्नत बीजों की किस्में जारी की थी. समाज की बहुत ही क्रांतिकारी महिला मंजू कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मुलाकात की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी सराहना की थी. पीएम मोदी से बातचीत के दौरान किसान मंजू कश्यप ने कहा था कि गाजियाबाद की भूमि इतनी केमिकल हो चुकी है वहां का पानी मिट्टी दोनों दूषित हो चुका है. हम किसानों के लिए कोई भी फसल करना संभव नहीं है इसलिए मैंने अपने तालाब में सिंघाड़े की खेती कर रही हूं. सिंघाड़ा ही की मात्र ऐसी खेती है जो केमिकल को जल्दी से जल्दी नष्ट कर देती है.
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