
Barabanki Farmers Story: देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस नए तरीके से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा है. साथ ही उनके आय में बढ़ोतरी भी हो रही है. ऐसे ही कुछ किसान बाराबंकी के जिले में हैं, जो पान से लेकर ड्रैगन फ्रूट, मशरूम, केला व स्ट्रॉबेरी की खेती में हर रोज एक नया मुकाम हासिल कर रहे हैं. इन प्रगतिशील किसानों में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले ग्राम- मीनापुर के किसान सुनील वर्मा, पान की खेती ग्राम- कबूलपुर, विकासखंड- त्रिवेदीगंज की महिला किसान राधा देवी, ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले ग्राम- मोहम्मदपुर के किसान गया प्रसाद मौर्य और केला और ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले ग्राम सैयदहा के सफल किसान संग्राम सिंह शामिल है. आपको बता दें कि इन सफल किसानों की गिनती बाराबंकी के बड़े और जागरूक किसानों में होती है, जो जिले के दूसरे किसानों के लिए एक नजीर बन गए हैं.
बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में बताया कि पान विकास से संबंधित योजनाएं प्रदेश के मात्र 21 जिलों में संचालित है जिनमें से बाराबंकी भी एक है. यहां भी कई किसान पान की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. राज्य सरकार पान की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भी उपलब्ध कराती है. पान विकास की दो योजनाएं हैं- गुणवत्तायुक्त पान उत्पादन प्रोत्साहन योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जिसके अंतर्गत पान बरेजा निर्माण और रोपण सामग्री पर 50% का अनुदान सरकार लाभार्थी किसानों के बैंक खाते में देती है.
उन्होंने बताया कि सब्सिडी लेने के लिए उद्यान विभाग के पोर्टल uphorticulture.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है. ऐसे कृषक जिनके पास अपनी स्वयं की भूमि हो तथा वह पूर्व वर्षों में पान कार्यक्रम का लाभार्थी न रहा हो, आवेदन कर सकता है.
कम क्षेत्रफल में पान की खेती करने वाले किसान भी लाभ ले सकते हैं. 250 वर्ग मीटर, 500 वर्ग मीटर, 750 मीटर, 1000 वर्ग मीटर और 1500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में पान बरेजा निर्माण करने और उसमें पान के पौध रोपित करने पर सरकार स्थलीय सत्यापन कराकर डीबीटीके माध्यम से अनुदान देती है. वहीं, 1500 वर्गमीटर पर 75,680 रुपए, 1000 वर्ग मीटर पर 50,453 रुपए, 750 वर्गमीटर पर 37,840 रुपए, 500 वर्ग मीटर पर 25,227 रुपए और 250 वर्गमीटर पर 12,613 रुपए का अनुदान मुहैया कराया जाता है.
राज्य और केंद्र सरकार की मंशा किसानों की आय को दुगना करने के दृष्टिगत उद्यान विभाग में तमाम प्रकार की अन्य लाभार्थीपरक योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजनांतर्गत केला टिश्यू कल्चर की खेती में दो वर्ष तक, आम, अमरूद के नवीन बाग रोपण पर तीन वर्षों तक अनुदान दिया जाता है. ड्रैगन फ्रूट व स्ट्रॉबेरी की खेती पर भी किसान लाभ प्राप्त कर सकते हैं. एक एकड़ पॉलीहाउस लगाकर जरबेरा फूल की खेती करने पर 29 लाख रुपए का अनुदान सरकार उपलब्ध कराती है, मधुमक्खी पालन में 88,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है.
केला और ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान संग्राम सिंह ने बताया कि रसायनिक खाद का प्रयोग बिल्कुल बंद नहीं किया जा सकता. क्योंकि उत्पादन बहुत कम हो जाएगा. पहले जैसे हम लोग 10 बोरी फर्टिलाइजर डालते थे, अब 5 बोरी का प्रयोग कर रहे हैं. वहीं हम लोग अब धीरे-धीर कम कर रहे है.
बाजार से खरीदा गया कीटनाशक बहुत महंगा होता है जबकि गोमूत्र से तैयार कीटनाशक बेहद कम पैसे में तैयार हो जाता है. इससे जीरो बजट खेती में मदद मिलती है. प्राकृतिक खेती एक ऐसी पद्धति है जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं होता है.
जनपद बाराबंकी में इस वर्ष अब तक 85 लोगों ने इस योजना का लाभ प्राप्त किया है. प्रगतिशील किसान नवनीत वर्मा जो केला टिश्यूकल्चर और गर्मियों में टमाटर खेती के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने बताया कि 25 लाख रुपए तक की आमदनी उनके द्वारा कैसे अर्जित की गई है. इसी प्रकार उन्होंने जल संरक्षण की बात करते हुए किसानों को ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर से सिंचाई से खेती करने को कहा, जिसपर उत्तरप्रदेश सरकार देश के दूसरे राज्यों से कहीं अधिक 90 फीसदी तक अनुदान देती है.
पान की खेती करने वाले किसानों की अच्छी संख्या पाने पर उन्होंने काफी प्रसन्नता जाहिर की और उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चाहे केंद्र की हो चाहे राज्य की हो, किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिए संकल्पित है. यहां पर जो पान उत्पादक किसान है वह बनारस ले जाकर अपना पान बेचते हैं, उन्हें लखनऊ और बाराबंकी में मंडी उपलब्ध कराया जाएगा. बाराबंकी में एक मेगा फूड पार्क स्वीकृत किया है, उसके बन जाने से यहां के किसानों के उत्पादों को स्थानीय खपत होने से उन्हें वाजिब दाम मिलेगा जिससे उनको अधिक आय की प्राप्ति होगी.
जनपद बाराबंकी खेती-किसानी के लिए प्रदेश में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख स्थान रखता है, यहां के किसानों को राज्य स्तर पर ही नहीं ब्लकि राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है और प्रतिवर्ष ऐसे किसानों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यहां पर कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने एक मापदंड स्थापित किया है जिस पर हम जनपदवासियों को गर्व है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी अश्वनी सिंह ने बताया कि पान की खेती आज से नहीं अनादिकाल से होती आ रही है और इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और औषधीय महत्व है. त्रिवेदीगंज, सिद्धौर, हैदरगढ़ हरख और बनीकोडर में भी इसकी खेती होती है, पान का क्षेत्रफल निरंतर बढ़ रहा है.
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