वर्मी कंपोस्‍ट से 4 लाख रुपये कमाते हैं राजेंद्र, गाय के गोबर से बनाते हैं 1000 क्विंटल खाद

वर्मी कंपोस्‍ट से 4 लाख रुपये कमाते हैं राजेंद्र, गाय के गोबर से बनाते हैं 1000 क्विंटल खाद

जब कुछ किसान ज्‍यादा लागत और कम मुनाफा की बात कहकर खेती छोड़ रहे थे, तब राजेंद्र ने जैव‍िक खेती करने का मन बनाया और आज वह खेती के साथ-साथ जैवि‍क खाद यानी वर्मी कंपोस्‍ट बेचकर सफलतापूर्वक इससे मुनाफा कमा रहे हैं. 

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वर्मी कंपोस्‍ट से 4 लाख रुपये कमाते हैं राजेंद्र, गाय के गोबर से बनाते हैं 1000 क्विंटल खादवर्मी कंपोस्ट (सांकेतिक तस्‍वीर)

राजस्‍थान के झालावाड़ के रायपुर गांव के रहने वाले किसान राजेंद्र सिंह झाला खेती में बढ़‍िया आय के साथ-साथ नाम भी कमा रहे हैं. राजेंद्र 8वीं कक्षा तक पढ़े हैं और साल 2021 से जैव‍िक खेती और केंचुआ खाद बनाने का काम कर रहे हैं. इससे पहले तक वह टूरिंग टॉकीज के काम से जुड़ें थे, लेकिन काम मंदा होने की वजह से जैव‍िक खेती की ओर बढ़े और आज अपने क्षेत्र में काफी लोकप्र‍िय हैं. आज उनके पास जिले की सबसे बड़ी केंचुआ खाद (वर्मी कम्‍पोस्‍ट) यूनिट है. जब कुछ किसान ज्‍यादा लागत और कम मुनाफा की बात कहकर खेती छोड़ रहे थे, तब राजेंद्र ने जैव‍िक खेती करने का मन बनाया और आज सफलतापूर्वक इससे मुनाफा कमा रहे हैं. 

6 बीघा जमीन पर करते हैं जैवि‍क खेती

दैनिक भास्‍कर की रिपोर्ट के मुतािबक, किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पास 8 बीघा खेत है, जिसमें से वह 6 बीघा में जैव‍िक खेती करते हैं और बाकी जमीन पर 32 बेड में केंचुआ की खाद बनाते हैऔर साथ ही खेत में एक तालाब भी बनाया हुआ है. राजेंद्र गेहूं, प्याज, भिंडी और कई फसलों की जैविक खेती करते हैं. खेती के अलावा वह सिर्फ केंचुआ खाद से सालाना 4 लाख रुपये तक की एक्‍स्‍ट्रा इनकम हासि‍ल कर रहे हैं. खेती में राजेंद्र की लगन और सफलता को देखकर दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं.यही वजह है कि राजेन्‍द्र को कृषि रत्न सम्मान और नवाचार पुरस्कार मिला है.

12 रुपये के भाव से बेचते हैं खाद

राजेंद्र ने बताया कि पुराना काम मंदा होने पर उन्‍होंने ठान लिया कि वह खेती करेंगे और वह भी केमिकल फ्री. इसके लिए उन्‍होंने साल 2021 में कृषि विज्ञान केंद्र झालावाड़ से जैव‍िक खेती की ट्रेनिंग ली और अपने खेत में जैविक विध‍ि से खेती की शुरुआत की. साथ ही उनके मन में वर्मी कंपोस्ट बनाने का ख्‍याल भी आया तो उन्‍होंने शुरुआत में वर्मी कंपोस्ट के 6 बेड (क्यारियां) बनाईं, जो अब बढ़कर 32 हो गई हैं. राजेंद्र 12 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से वर्मी कम्‍पोस्‍ट की बिक्री करते हैं. 

सालभर में होता है 1000 क्विंटल उत्‍पादन

राजेंद्र ने कहा कि वह साल में तीन बार खाद बनाते हैं, जिसमें कुल एक हजार क्विंटल खाद का उत्‍पादन होता है. वह खाद के लिए सिर्फ गाय के गोबर का इस्‍तेमाल करते हैं, जो कोटा की गौशालाओं से आता है.  साथ ही जैवि‍क खाद से गेहूं, सोयाबीन और उड़द जैसी फसलें भी उगाते हैं और सब्जियों में भिंडी, फली, मटर, प्याज और धनिया जैसी फसल की खेती करते हैं. राजेंद्र ने बताया कि केमिकल फर्टिलाइजर से उगाए गए गेहूं के मुकाबले ऑर्गेनिक गेहूं की कीमत 10 रुपये प्रति किलो तक ज्‍यादा मिलती है. 

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