पंजाब में पराली जलाने के मामले में सुधारजैसे-जैसे पराली जलाने का मौसम अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है, पंजाब के कई जिलों ने इस गंभीर समस्या को कम करने में महत्वपूर्ण सुधार किया है. इस मामले में फतेहगढ़ साहिब सबसे आगे है, जहां इस साल 77% की कमी दर्ज की गई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फतेहगढ़ साहिब में पिछले साल 201 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल केवल 47 मामले सामने आए हैं. इसका मतलब है कि जिले ने इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है.
फतेहगढ़ साहिब के बाद फरीदकोट का नंबर आता है, जहां पराली जलाने के मामले 63% घटकर 352 से 129 रह गए. इसके अलावा, अमृतसर, पठानकोट, संगरूर, गुरदासपुर और कपूरथला जैसे जिले भी लगभग 50% की कमी दिखा रहे हैं. यह संकेत करता है कि राज्य के कई हिस्सों में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ी है और कदम उठाए जा रहे हैं.
हालांकि, कुछ जिले अभी भी चिंता का कारण हैं. फाजिल्का में इस साल 55% की बढ़ोतरी हुई है, जहां 110 के मुकाबले 241 मामले दर्ज किए गए. लुधियाना, जो राज्य का औद्योगिक केंद्र है, में 9% की वृद्धि हुई है. मुख्तसर में कोई खास सुधार नहीं हुआ और 357 मामले दर्ज किए गए हैं.
राज्य में सोमवार को 31 नए मामले दर्ज होने के साथ कुल मामले 5,003 हो गए हैं. हालांकि, यह पिछले साल के 8,404 मामलों की तुलना में लगभग 40% की कमी दर्शाता है. यह दर्शाता है कि लंबी अवधि में पराली जलाने के मामलों में गिरावट का रुझान जारी है.
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह पराली जलाने को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. सरकार ने बताया कि यह समस्या केवल तात्कालिक उपायों से हल नहीं हो सकती, इसके लिए दीर्घकालिक समाधान जरूरी हैं. इसमें शामिल हैं:
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, पिछले साल भी पराली जलाने के मामले लगभग 70% घटकर 10,909 रह गए थे, जो एक सकारात्मक संकेत है.
अधिकारियों ने उल्लंघनकर्ताओं पर कार्रवाई जारी रखी है. अब तक 2,172 मामलों में 1.13 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 57 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं. पुलिस ने 1,792 मामले दर्ज किए हैं. राजस्व विभाग ने उल्लंघनकर्ताओं की जमीन के रिकॉर्ड में 2,090 रेड एंट्री की है, जिससे वे लोन लेने, जमीन बेचने या गिरवी रखने और बंदूक लाइसेंस लेने में अक्षम हैं.
हालांकि कुछ जिलों में अभी भी चिंता बनी हुई है, फिर भी पंजाब की समग्र स्थिति पराली जलाने को कम करने और वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में सकारात्मक है.
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