Kisan Tak Summit 2025: 'किसान तक' ने लखनऊ में आलू अधिवेशन का आयोजन किया. इस कार्यक्रम को पूरी तरह से आलू पर आधारित रखा गया क्योंकि 30 मई को विश्व आलू दिवस भी है. इस खास दिवस पर 'किसान तक' के आलू अधिवेशन में खेती-किसानी के दिग्गज शामिल हुए. इसमें किसान से लेकर कृषि अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ तक शिरकत कर आलू के उत्पादों और प्रोसेसिंग पर जानकारी साझा की. अधिवेशन में आलू के आला महारथी! सेशन में मंच पर कई किसानों ने शिरकत की. पैनल में पांच प्रगतिशील किसान भंवरपाल सिंह, युवराज सिंह परिहार, सत्येंद्र प्रताप सिंह, जितेंद्र अवस्थी और नितिन चौधरी शामिल हुए. उन्होंने अपनी खेती में बदलाव और कामयाबी की जानकारी दी.
किसान भंवरपाल ने कहा, यूपीएससी की तैयारी करने इलाहाबाद गए थे, लेकिन खेती में भी रुचि थी. बाद में पढ़ाई छोड़कर आलू की खेती में लग गए. मेरा कहना है कि अगर आप प्रतिबद्ध हैं तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. खेती के साथ भी यही बात है. किसान पुष्पेंद्र जैन ने कहा, बीएससी करने के बाद खेती में उतरा. उस समय बीज को कोई नहीं लेता था. खेती में अगर समय को देखते हुए, हरी खाद, मिट्टी की गुणवत्ता आदि का ध्यान रखते हुए करें तो कभी असफलता नहीं मिलती. खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होती, वह घाटे में तभी जाती है जब कोई लापरवाही होती है. हमारे क्षेत्र में बीज की बहुत कमी है, कुफरी बहार की उपलब्धता बढ़ाएं ताकि यूपी का किसान संतुष्ट हो सके.
किसान सत्येंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमें आलू ने ऐसा मुकाम दिया है कि हम बड़े-बड़े के साथ फाइट कर रहे हैं. पहले हमारे यहां शादी में पूछा जाता था कि आलू की कितनी खेती करते हो. यूपी में आलू को सबसे ज्यादा नुकसान पुहंचाया है झुलसा रोग ने. यूपी की खेती को बढ़ाने में सीपीआरआई का बहुत बड़ा रोल है. सीपीआरआई ने आलू की खेती और किसानों को बचा लिया. आलू की सफलता के पीछे सीपीआरआई का ही रोल है.
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आलू के आला महारथी सेशन में किसान जितेंद्र अवस्थी ने कहा कि अभी हाल में तेहरान और बरहीन को आलू की खेप भेजी है. इसके पीछे भी सीपीआरआई की भूमिका है. उन्होंने कहा कि वे आगे भी आलू का एक्सपोर्ट करने वाले हैं और इस सबके पीछे सीपीआरआई की मदद मिल रही है. वहीं किसान नितिन चौधरी ने कहा कि विदेशों में हमारे आलू की बहुत डिमांड है, वहां से हर हफ्ते कंटेनर की मांग होती है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एआई जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल होगा जिससे फसलों के रोग आदि के बारे में पहले ही पता चल जाएगा. इससे खेती में मदद मिलेगी.
किसान सत्येंद्र सिंह ने कहा, फर्रुखाबाद के आसपास कोई प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है जिस पर विचार करना चाहिए, जबकि गुजरात जैसे राज्य में 14 प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है. इसके जवाब में सीपीआरआई के संजय रावल ने कहा कि यूपी में अभी 10 प्रोसेसिंग प्लांट पर काम चल रहा है. इसमें कुछ काम कर रही हैं और कुछ को स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूपी में प्रोसेसिंग यूनिट का सिनेरियो बदल रहा है. अपना सवाल करते हुए किसान सत्येंद्र सिंह ने कहा, वैज्ञानिकों से आग्रह है कि वे ऐसी वैरायटी बनाएं जिससे टेबल पोटैटो भी मिले और प्रोसेसिंग के लिए भी आलू मिले. एक ही तरह का आलू टेबल पोटैटो के रूप में भी इस्तेमाल हो और प्रोसेसिंग में भी खपत हो जाए.
पुष्पेंद्र सिंह ने भी यही बात कही. वे कहते हैं कि प्रोसेसिंग यूनिट लगे ताकि किसानों को फायदा हो. वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि ऐसी वैरायटी बनाएं जो खाने के साथ प्रोसेसिंग में भी इस्तेमाल हो. इसके जवाब में सीपीआरआई की नीलम चौधरी ने कहा कि उनके संस्थान ने कुफरी संगम किस्म बनाई है जिसे खा भी सकते हैं और प्रोसेसिंग में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसान नितिन चौधरी ने बताया कि कश्मीर में लाल आलू की बहुत डिमांड है, किसान वहां अपनी उपज भेज सकते हैं.
'आलू अधिवेशन' का आधिकारिक स्पॉन्सर उत्तर प्रदेश सरकार है जबकि प्रेजेंटिंग पार्टनर यूपीसीएआर, नॉलेज पार्टनर उत्तर प्रदेश सरकार और सीपीआरआई और एसोसिएट पार्टनर हाईफार्म है. 'किसान तक' इंडिया टुडे ग्रुप (आजतक) का डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन पोर्टल के साथ यूट्यूब पर भी प्रसारित होता है.
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