सब्जि यों के राजा आलू के उत्पादन के मामले में हम चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. यूपी में आलू का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. आलू की देश ही नहीं विदेशों में भी खूब डिमांड है. आलू की दर्जनों ऐसी वैराइटी हैं जो यूपी समेत दूसरे राज्यों में उत्पादित हो रही है. पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर आज आलू में नई से नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यही वजह है कि हमारा आलू उत्पादन दो करोड़ टन से बढ़कर छह करोड़ टन पर पहुंच गया है.
प्रति हेक्टेयर भी आलू उत्पादन कई गुना बढ़ चुका है. जरूरत के हिसाब से वैराइटी तय कर उगाई जा रही हैं. आलू की बहुत सारी बीमारियों को कंट्रोल कर लिया गया है. आलू स्टोरेज करना भी अब परेशानी नहीं रहा है. आलू से मुनाफा बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम चल रहा है. अब तो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद भी आलू उत्पादन में ली जाने लगी है.
डॉ. ध्रुव कुमार, प्रिसिंपल साइंटिस्ट, सीपीआरआई, मेरठ ने किसान तक के आलू अधिवेशन में आलू की खास बीमारियों पर जानकारी देते हुए बताया, सबसे पहली बात तो ये कि चेचक बीमारी का अभी कोई इलाज नहीं है. अगर कोई कंपनी इसका इलाज और दवाई होने का दावा करती है तो वो एकदम गलत है. लेकिन कुछ काम ऐसे हैं जिसे अपनाने से चेचक को कंट्रोल किया जा सकता है. जैसे आलू की दो फसल के बीच दो साल का अंतर रखें. इतना ही नहीं उन दो साल में सरसों और जौ की फसल करें. साथ ही मई-जून में गहरी जुताई करके मिट्टी को भी पलट सकते हैं. वहीं झुलसा से निपटने के लिए जब फसल 40 से 45 दिन की हो तो उस पर दवाई का स्प्रे कर दें.
यूपी आलू का बड़ा उत्पादक है फिर भी आलू प्रोसेसिंग में पीछे है.
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. ध्रुव ने बताया कि प्रोसेसिंग के मतलब का आलू बिहार, गुजरात, असम, बंगाल और एम के इंदौर में होता है. इसमे सारा खेल तापमान का होता है. यूपी-पंजाब में उस तरह का तापमान नहीं मिल पाता है.
यूपी में देश के कुल आलू उत्पादन का करीब 35 फीसद होता है. बावजूद इसके यूपी के आलू किसान को यूपी में अच्छा आलू बीज नहीं मिल पाता है. इस सवाल के बारे में डॉ. कौशल कुमार, ज्वाइंट डॉयरेक्टर, हार्टिकल्चर विभाग, यूपी का कहना है कि सीपीआरआई हमे आठ हजार कुंतल प्रजनक बीज देता है. और हम इसे 50 हजार कुंतल में बदल देते हैं. जो आगे चलकर किसानों को दिया जाता है. हम यूपी में भी बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीम चला रहे हैं. इसी में से एक स्कीम है कि अगर कोई किसान आलू बीज तैयार करता है तो प्रति हेक्टर उसे 25 हजार रुपये की सब्जिीडी दी जाती है. इसके अलावा तकनीकी मदद भी की जाती है.
कई बार ऐसा क्यों होता है कि आलू एक-दो रुपये किलो तक बिकता है.
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. कौशल ने बताया कि बिना कोल्ड स्टोरेज के आलू स्टोर नहीं कर सकते हैं. अब कोल्ड में अच्छी तकनीक आ गई हैं. कोल्ड की क्षमता भी बढ़ गई हैं. पहले 124 लाख टन आलू स्टोर हुआ था, अब 154 लाख टन हुआ है. इतना ही नहीं उत्तर भारत का आलू दक्षिण भारत में जा रहा है. अगर इसके बाद भी आलू के लिए कोई विपरीत हालात बनते हैं तो सरकार उचित दाम पर किसानों से आलू की खरीद करती है. डीएम की निगरानी में हार्टिकल्चर विभाग खरीद का काम करता है.
ये भी पढ़ें- Animal Feed: दुधारू पशु खरीदते वक्त और गाभिन पशु की खुराक में अपनाएं ये टिप्स
ये भी पढ़ें- Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today