भारतीय व्यंजनों में मशरूम ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी खास जगह बनाई है. चाहे वह सूप हो, बिरयानी, या पास्ता मशरूम का स्वाद हर डिश में खास बनाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मशरूम केवल स्वाद तक सीमित नहीं है? यह एक बेहतरीन बिजनेस ऑप्शन भी बनता जा रहा है. केरल के जीतू थॉमस ने 20 साल की उम्र में मशरूम की खेती शुरू कर दी थी. उन्होंने अपने परिवार को न केवल आर्थिक स्थिरता दी बल्कि लाखों किसानों के लिए एक प्रेरणा भी बने.
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जीतू का यह सफर उनकी मां लीना थॉमस के साथ शुरू हुआ. दोनों ने एक ऐसा रास्ता चुना जो उस वक्त बहुत ही कम लोग अपनाते थे- मशरूम की खेती. छोटे पैमाने पर शुरुआत करते हुए, जीतू ने अपने घर पर मशरूम की खेती के प्रयोग किए.
जीतू बताते हैं, "मशरूम की खेती के लिए सही तापमान और नमी का होना बहुत जरूरी है. 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान जाने पर फसल खराब हो सकती है. इसलिए हमने एक ऐसा फार्म तैयार किया, जिसमें 20,000 बेड की क्षमता थी, जो सामान्य सेटअप से चार गुना बड़ा था."
मशरूम की खेती जितनी लाभदायक है, उतनी ही संवेदनशील भी. यह नाजुक फसल तापमान में मामूली बदलाव या कीटों के प्रकोप से पूरी तरह बर्बाद हो सकती है. लेकिन जीतू और उनकी मां ने इन चुनौतियों को अपनी मेहनत और सीखने के जुनून से पीछे छोड़ दिया. आज उनका फार्म 5,000 वर्ग फुट में फैला है और हर दिन 100 किलो मशरूम का उत्पादन कर रहा है.
जीतू और लीना ने अपने उत्पादों को सीधे खुदरा विक्रेताओं को बेचकर बिचौलियों की भूमिका खत्म कर दी. इससे उनकी आय में जबरदस्त वृद्धि हुई. वे हर दिन ₹40,000 तक की कमाई कर रहे हैं. जीतू का मानना है कि सीखना और सिखाना दोनों जरूरी हैं. अब तक उन्होंने करीब 1,000 किसानों को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी है.
बता दें, भारत के बदलते कृषि परिवेश में मशरूम खेती तेजी से उभर रही है. खासकर केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह व्यवसाय लोकप्रिय हो रहा है. बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, और शिटाके मशरूम जैसी किस्मों की बाजार में जबरदस्त मांग है.
-कम लागत, अधिक मुनाफा: मशरूम खेती पारंपरिक फसलों के मुकाबले सस्ती है और तेजी से मुनाफा देती है.
-पोषण से भरपूर: मशरूम प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का खजाना है.
-तेजी से उत्पादन: यह केवल 30-45 दिनों में तैयार हो जाती है.
-पर्यावरण के अनुकूल: मशरूम खेती में कृषि कचरे का पुन: उपयोग किया जाता है.
-बढ़ती मांग: स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच मशरूम की मांग लगातार बढ़ रही है.
जीतू का सपना है कि वे अपने फार्म को और विस्तार दें और मशरूम उगाने वाले किसानों का एक मजबूत नेटवर्क बनाएं. उनका मानना है कि मशरूम खेती से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है, बल्कि टिकाऊ कृषि को भी बढ़ावा मिलेगा.
जीतू कहते हैं, "मशरूम ने मेरी जिंदगी बदली है. मैं चाहता हूं कि यह औरों की जिंदगी भी बदले."
जीतू थॉमस की कहानी दिखाती है कि दृढ़ निश्चय, मेहनत और सही मार्गदर्शन से किसी भी असंभव लगने वाले सपने को पूरा किया जा सकता है. मशरूम की खेती न केवल एक व्यवसाय है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाता है.
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