धैर्य और दृढ़ संकल्प से क्या नहीं किया जा सकता है. इसका प्रमाण बिहार के एक व्यक्ति ने सभी बाधाओं से लड़ते हुए 'मशरूम मैन' की उपाधि हासिल की है. खास बात ये कि उन्होंने कभी 1200 रुपये की नौकरी से करियर की शुरुआत थी, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया और मशरूम की खेती शुरू कर दी. अब वे प्रति महीने 50-60 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. इनका नाम है शशिभूषण तिवारी जो बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. शशि भूषण तिवारी ने मशरूम की खेती के जरिए एक मिसाल कायम करते हुए अपनी योग्यता साबित की है. आइए जानते हैं 'मशरूम मैन' की कहानी.
शशि भूषण तिवारी ने बताया कि मशरूम की खेती का शौक उन्हें दिल्ली के आजादपुर मंडी में काम करने के दौरान हुआ. तिवारी ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार मशरूम खाया तो उन्हें लगा कि यह नॉनवेज है. फिर उनको अपने दोस्त के जरिए पता चला कि मशरूम नॉनवेज नहीं बल्कि फंगस है. इसके बाद लोगों ने उन्हें बताया कि यह दिल्ली के पास हरियाणा में उगता है. तब वो समय निकालकर उन जगहों पर जाते थे, जहां यह उगाया जाता था. जब भी उन्हें छुट्टी मिलती वो मशरूम उगाने वालों से मिलने जाया करते थे और इसके बारे में जानते थे.
तिवारी ने बताया कि एक बार वो मशरूम खरीदकर घर ले आए, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इसे कैसे पकाना है. फिर उनके दिमाग में खयाल आया कि क्यों न इसे घर पर ही उगाया जाए. फिर तिवारी ने 2019 में छोटे-छोटे कदमों से अपना उद्यम शुरू करने के बाद बड़ी कामयाबी हासिल की. शुरुआत में लोगों के ताने सुनने पड़े, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपने जुनून का पीछा किया और आज 'मशरूम मैन' बन गए.
शशि भूषण तिवारी ने कहा कि जब उन्होंने 2020 में अपना उद्यम शुरू किया, तो एक स्थानीय बैंक ने उन्हें केवल इस कारण से लोन नहीं दिया क्योंकि बैंक उन पर भरोसा नहीं कर रहा था. उन्होंने बताया कि बैंक वालों ने पूछा कि मशरूम उगाकर ईएमआई कैसे चुका सकते हो. तब तिवारी आश्वासन देते रहे, लेकिन बैंक ने लोन नहीं दिया.
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तिवारी ने कहा कि उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों को अपने प्लान और मशरूम की खेती के बारे में बताया और उन्हें आश्वासन दिया कि इसकी खेती करना काफी फायदेमंद है. तिवारी ने अधिकारियों को तर्क दिया था कि पंजाब की जनसंख्या 4 करोड़ है, हरियाणा की जनसंख्या 2 करोड़ है और ये दोनों मिलकर बिहार के 18 करोड़ लोगों को अपना उत्पाद बेचते हैं. ऐसे में अगर लोन मिल जाए तो ये काम बिहार में भी किया जा सकता है.
मशरूम मैन ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि उन्होंने अपने फार्म हाउस की शुरुआत छह कम्पार्टमेंट (मशरूम लगाने की जगह) से की थी, जो धीरे-धीरे बढ़कर 20 हो गई है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने से पहले बहुत सी चुनौतियां थीं. कभी ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत होती थी, कभी हड़ताल होती थी, कभी त्यौहार होते थे, जिससे मशरूम की खेती और उसकी मार्केटिंग मुश्किल हो जाती थी. फिर उन्होंने एक्सपर्ट से बात की, तो उन्होंने बताया कि ये बहुत जल्दी खराब होने वाली फसल है. फिर उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और प्रोसेसिंग यूनिट लगा ली. उन्होंने बताया कि अब डिब्बे में पैक करके इसकी लाइफ 2 साल तक बढ़ा दी है. इसे ऑनलाइन भी बेचा जाता है.
तिवारी ने बताया कि दिल्ली में काम के दौरान उन्होंने कई रातें बिना कुछ खाए बिताई हैं. उन्होंने अपनी पहली नौकरी सिर्फ़ 1200 रुपये महीने पर शुरू की थी. दिल्ली में कई रातें बिना खाए सोए. उन्होंने ग्रेजुएशन किया था, लेकिन दिल्ली में अपना गुजारा चलाने के लिए कारों की खिड़कियां साफ करते थे. सर्दियों की रातों में सेब के डिब्बे पर सोते थे.
तिवारी ने 1996 में शादी के बाद अपने प्रयासों में सहयोग के लिए अपनी पत्नी को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में उनकी पत्नी हमेशा उनके साथ खड़ी रही. सपनों को साकार करने में उनकी पत्नी का बहुत बड़ा हाथ है. पत्नी की हिम्मत ने जीवन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि आज उनकी बेटी शालू राज डॉक्टर हैं और बेटा साहिल तिवारी उनके काम को आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने बताया कि आज उनके पास लग्जरी कार है, घर है और अब वो एक फार्म हाउस में रहते हैं. साथ ही तिवारी ने बताया कि वह प्रतिदिन औसतन 1600 से 2200 किलो मशरूम बेचते हैं, जिससे उन्हें लगभग 50 से 60 लाख रुपये की कमाई होती है.
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