उत्तर प्रदेश में बागवानी के जरिए कई किसानों की किस्मत बदल चुकी है. यूपी के रायबरेली जनपद के ऐसे ही एक किसान आनंद मिश्रा हैं जो मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर नींबू की बागवानी से बंपर कमाई कर रहे हैं. उन्होंने नींबू की बागवानी से प्रदेश के किसानों के लिए एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसको देख कर दूसरे किसान भी बागवानी की तरफ आने लगे हैं. पूरे जिले में आनंद मिश्रा को लेमन मैन (lemon man) के नाम से पुकारा जाता है. उन्होंने किसान तक से बातचीत में बताया कि नींबू की बागवानी मुनाफे का सौदा है. इस बागवानी में किसान को एक बार जमीन पर पौधे लगाने हैं और 25 सालों तक मुनाफे की फसल काटनी है. नींबू की बागवानी में दूसरे खर्च भी काफी कम होते हैं जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ जाता है.
रायबरेली जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर कचनावा गांव है. इस गांव में आनंद मिश्रा को लेमन मैन के नाम से लोग पुकारते हैं. गांव में घुसते ही नींबू की खुशबू मिलने लगती है. आनंद मिश्रा ने किसान तक से बात करते हुए बताया है कि वे एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करते थे. BBA करने के बाद 2002 से वे फर्नीचर की कंपनी में जॉब करने लगे थे. उनका सालाना सैलरी पैकेज 6 लाख रुपये का था लेकिन उनके मन में था कि कुछ ऐसा करें जिससे किसानों का भी भला हो. इसलिए वे 2016 में नौकरी छोड़कर बागवानी की तरफ मुड़ गए. उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने गेहूं, धान की खेती में हाथ आजमाया, लेकिन सफलता नहीं मिली. फिर 1 साल तक वह अलग-अलग तरह की बागवानी की खेती की जानकारी इकट्ठा करते रहे. इस दौरान उन्होंने तय कर लिया कि वे नींबू की बागवानी ही करेंगे क्योंकि नींबू की डिमांड साल भर तक बनी रहती है. इसके लिए बाजार खोजने की भी ज्यादा जरूरत नहीं है.
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लेमन मैन के नाम से मशहूर रायबरेली के आनंद मिश्रा ने किसान तक से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने दो एकड़ के खेत में 400 से ज्यादा नींबू के पौधे लगाए हैं. उनकी बागवानी में कुल सात तरह के नींबू की वैरायटी है जिसमें सीडलेस थाई नींबू, एनआरसीसी-8, प्रामालिनी और कागजी रसभरी की वैराइटी भी है. हर किसान को नींबू की बागवानी लगाते समय एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी को 10×20 फुट की दूरी रखनी चाहिए. नींबू के लिए जलभराव वाली जगह नहीं होनी चाहिए. नींबू की थाई किस्म लगाने के बाद किसान को दूसरे साल से ही फसल मिलनी शुरू हो जाती है. 4 से 5 साल में एक पौधा साल में दो बार फल देता है. वही एक पेड़ से तीन से 4000 रुपये तक की कमाई हो जाती है. उन्हें दो एकड़ की बागवानी से हर साल 9 लाख रुपये तक की शुद्ध कमाई हो जाती है.
आनंद मिश्रा बताते हैं कि नींबू की बागवानी किसानों के लिए एक मुनाफे का सौदा है. इसमें किसान को एक बार ही निवेश करना है और 25 सालों तक मुनाफा कमाना है. नींबू की बागवानी में ना तो किसी तरह का ज्यादा कीटनाशक का खर्च होता है क्योंकि नींबू में बीमारियां कम लगती हैं. वहीं सिंचाई के लिए भी ड्रिप इरीगेशन से ज्यादा फायदा होता है. उन्होंने किसानों के लिए खास टिप्स भी दिए. वे बताते हैं कि खेत में नींबू के पौधों को पूर्व से पश्चिम की तरफ लगाएं जिसके चलते हवा और पर्याप्त रोशनी उन्हें मिल सकेगी, इससे पौधे तेजी से बढ़ेंगे.
लेमन मैन आनंद मिश्रा बताते हैं कि नींबू की खपत पूरे साल बनी रहती है. नींबू का पौधा साल में दो बार फल देता है. उनकी बागवानी में थाई वैरायटी के पौधे ज्यादा हैं. इस किस्म के फल में बीज नहीं होते हैं और रस भरपूर होता है. सर्दियों के मौसम में इसका साइज बड़ा होता है जबकि गर्मी में इसका साइज छोटा हो जाता है. नींबू के लिए बाजार ढूंढने की भी जरूरत नहीं है. व्यापारी उनके खेतों से नींबू खरीद के ले जाते हैं. 40 रुपये प्रति किलो के भाव से नींबू अपने खेत से ही बिक जाता है. दो एकड़ के नींबू की बागवानी लगाने में किसान एक बार एक लाख रुपये तक खर्च करके हर साल 9 लाख रुपये तक कमाई कर सकता है.
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