आज के समय में औषधीय पौधों की खेती से किसानों की जिंदगी में बदलाव आ रहे हैं. औषधीय पौधों की खेती के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी अपनी योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचा रही है. आज बिहार जैसे राज्य में औषधीय पौधों की खेती की ओर किसानों का झुकाव बढ़ा है जिनमें महिला किसान भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. गया जिले की रहने वाली महिला किसान मंजू देवी पिछले एक साल से लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं. इसी से वे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं. मंजू देवी मानती हैं कि लेमन ग्रास की खेती कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. पिछले कई साल से परंपरागत तरीके से धान और गेहूं की खेती से होने वाली कमाई से कहीं ज्यादा लेमन ग्रास के तेल से कमाई हो रही है.
मंजू देवी करीब 15 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं. मंजू देवी इसके तेल को तो बेचती ही हैं. साथ ही इसकी मदद से साबुन, फिनाइल, सेनेटाइजर भी बनाती हैं. लेमन ग्रास की एक कटाई से 80 से 85 हजार रुपये की कमाई हो रही है. इसकी खेती एक बार करने के बाद चार साल तक चलता है.
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मंजू देवी 'किसान तक' से बातचीत में बताती हैं कि उनके पास करीब 15 एकड़ के आसपास जमीन है, जिसमें काफी मेहनत करने के बाद धान और गेहूं की खेती हो पाती थी. पानी की दिक्कत होने से 15 एकड़ खेती में एक लाख रुपये तक ही धान और गेहूं की खेती से कमाई हो पाती थी. लेकिन मंजू देवी एक साल से लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं.
अभी एक फसल की कटाई से 80 से 85 हजार रुपये की कमाई कर लेती हैं. यानी साल में तीन से चार बार फसल की कटाई हो जाती है. 15 एकड़ में करीब 130 लीटर तेल इकट्ठा हो जाता है. फसल लगाने के दौरान पहली कटाई छह महीने के बाद होता है. उसके बाद तीन-तीन महीने पर कटाई होती है. वहीं सिंचाई भी 15 से 30 दिनों पर किया जाता है. इसमें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
मंजू देवी कहती हैं कि उन्होंने 15 एकड़ में खेती की है. इसमें पूरा खर्च एक लाख तीस हजार रुपये के आसपास आया. वहीं पहली फसल कटाई के दौरान 130 लीटर लेमन ग्रास का तेल प्राप्त हुआ, जिसे बाजार में करीब 1500 रुपये प्रति लीटर के भाव से बेचा गया. करीब दो लाख रुपये का लाभ मिला. वहीं शुद्ध कमाई 80 हजार रुपये के आसपास हुई. लेमन ग्रास की खेती करने के बाद चार साल तक इससे तेल निकाला जा सकता है. साथ ही कोई किसान जिनकी जमीन पर कोई फसल नहीं होती है, वे इसकी खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. मंजू को खेती के लिए सरकारी अनुदान भी मिला है.
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औषधीय पौधों की खेती करने वाले दूसरे किसान कृष्ण प्रसाद कहते हैं कि लेमन ग्रास की खेती ऊंची भूमि पर की जाती है. इसमें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. वहीं यह चार वर्ष की फसल है. इसे फरवरी से लेकर सितंबर महीने तक लगाया जा सकता है. साथ ही पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ से दो फीट और लाइन से लाइन की दूरी ढाई फीट होनी चाहिए.
इसकी खेती करने के दौरान खेत जुताई के समय प्रति एकड़ 2 ट्राली गोबर की खाद, 50 किलो डीएपी 50 किलो पोटाश के साथ 15 किलो नेत्रजन का उपयोग करना चाहिए. वही हर 120 दिनों पर खाद 30:60:90 के अनुपात में खाद का छिड़काव करना चाहिए. लेमन ग्रास की पहली कटाई फसल लगने के पांच से छह महीने के बाद ही करनी चाहिए. उसके बाद हर तीन महीने के अंतराल पर फसल की कटाई की जाती है.
लेमन ग्रास फसल की कटाई नीचे से एक से डेढ़ फीट की दूरी छोड़कर पत्तियों की कटाई करनी चाहिए. इसके बाद आसवन इकाई की मदद से तेल निकालना चाहिए. इसके तेल का उपयोग विटामिन ए, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र सहित अन्य कार्यों में किया जाता है. वहीं पतियों का उपयोग हर्बल चाय के तौर पर तैयार किया जाता है.
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