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रंगीन गोभी और काले-पीले टमाटर उगा रहे जयप्रकाश, सालाना 20 लाख का है कारोबार

रंगीन गोभी और काले-पीले टमाटर उगा रहे जयप्रकाश, सालाना 20 लाख का है कारोबार

राजस्थान के कोटो जिले के युवा किसान जयप्रकाश गहलोत ने अपने खेती के कुछ हिस्से में पूरी तरह जैविक खेती की है. कम लागत और कम जमीन का इस्तेमाल कर गहलोत खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वे कई रंगों की गोभी, काले-पीले टमाटर और कद्दू उगा रहे हैं.

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कोटा के किसान जयप्रकाश गहलोत ने रंग-बिरंगी सब्जी उगाकर क्षेत्र में पहचान बनाई है. फोटो- जयप्रकाश गहलोत कोटा के किसान जयप्रकाश गहलोत ने रंग-बिरंगी सब्जी उगाकर क्षेत्र में पहचान बनाई है. फोटो- जयप्रकाश गहलोत

इंसान अगर मन में ठान ले तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. यही कर दिखाया है कोटा जिले के युवा किसान जयप्रकाश गहलोत ने. उन्होंने अपने खेत के कुछ हिस्से में पूरी तरह जैविक खेती की है. कम लागत और कम जमीन का इस्तेमाल कर गहलोत खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वे कई रंगों की गोभी, काले-पीले टमाटर और कद्दू उगा रहे हैं. युवा किसान जयप्रकाश गहलोत ने अपनी खेती में नवाचार किया है. उन्होंने आधुनिक तकनीक से कम लागत, कम जमीन में अच्छा मुनाफा कमाते हुए कोटा जिले की लाडपुरा पंचायत के अर्जुनपुरा गांव के प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान बनाई है. रंगीन गोभी और काले-पीले टमाटर की खेती से गहलोत सालाना 20 लाख रुपये तक का कारोबार रखते हैं. जयप्रकाश ने स्नातक की पढ़ाई कर रखी है. गहलोत कहते हैं कि उन्होंने नौकरी की अपेक्षा नई तकनीक को अपनाया और खेती में नवाचार किए. 

पूरी तरह जैविक खेती करते हैं गहलोत

जयप्रकाश गहलोत पूरी तरह जैविक खेती करते हैं. वे खेतों में किसी भी तरह का खाद या कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसीलिए उनके खेतों की रंग-बिरंगी सब्जियों की कोटा ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी खासी मांग है. खेतों में जहां हरी बैंगनी, पीली और सफेद गोभी की उपज होती है वहीं काली और लाल रंग की गाजर होती है. जयप्रकाश के खेतों में लाल, काले और पीले-टमाटर देखकर लोग आश्चर्य करते हैं. इनके खेत में उगे कद्दू को तो पहचानने में ही परेशानी होती है. क्योंकि गहलोत लौकी की तरह लंबा कद्दू उगाते हैं. 

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इसके खेतों में उगी गांठ गोभी और पत्ता गोभी को सलाद के रूप में बहुत पसंद किया जा रहा है. गहलोत बताते हैं कि मेरे खेत में उगे मटर दूसरे खेतों की मटर से काफी मीठी हैं क्योंकि ये पूरी तरह जैविक होती है. रंग-बिरंगी गोभी के अलावा जयप्रकाश शुगर फ्री आलू भी उगाते हैं.  इस फसल को वे अब पैप्सिको कंपनी को गुडगांव और पंजाब भेजते हैं.  

सीजन से पहले तैयारी

जयप्रकाश सीजन से पहले ही अपने खेतों में सब्जियों की बुवाई की तैयारी शुरू कर देते हैं. जिससे सीजन से करीब एक माह पहले ही उनके खेतों की उपज बाजार में आ जाती है. इसलिए आय भी अच्छी हो जाती है. जयप्रकाश बताते हैं क‍ि सब्जी उत्पादन के लिए मैं टनल तकनीक अपनाता हूं. इस तकनीक में एक फेब्रीक लगाते हैं. जिससे धूप, सर्दी से पौधों को नुकसान नहीं होता है और रोग भी नहीं लगता.” 

फोरमैन ट्रेप पद्धति अपनाते हैं गहलोत

वे आगे बताते हैं कि टनल तकनीक से पूरा पौधा कपड़े से ढंका रहता है. जिसके कारण बिना कीटनाशक का प्रयोग किए उसके खेतों में उत्पादित सब्जियों में किसी प्रकार का रोग नहीं लगता है. गहलोत सब्जियों में सर्वाधिक नुकसान करने वाली फलमक्खी के लिए फोरमैन ट्रेप पद्धति को अपनाते है. इस पद्धति से पूरी मक्खियां कैप्चर हो जाती है. जयप्रकाश बताते है कि वह अपने खेतों में पूरे साल रासायनिक खाद एवं दवाओं का प्रयोग नहीं करते हैं. 

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छोटी जमीन में बड़ी बचत

जयप्रकाश के पास 20 बीघा जमीन है. इसमें वे दो बीघा में ऑर्गेनिक सब्जियां पैदा करते हैं. कोटा में ही उनके खेतों में उत्पादित सब्जियों की मांग इतनी ज्यादा है कि वह 10 फीसदी भी पूरी नहीं कर पाते हैं. कोटा शहर के नजदीक गांव होने से सब्जी खरीदने के लिए खरीददार सीधे उनके खेतों में ही आ जाते हैं.

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