
Bundelkhand Farmer Story: व्यावसायिक स्तर पर गुलाब की खेती कर खूब मुनाफा कमाया जा सकता है. जिसका नतीजा है कि आज के समय में किसानों का रुझान गुलाब की खेती की ओर काफी तेजी बढ़ा है. वहीं गुलाब ऐसा फूल है जो सबको पसंद होता है. दरअसल, बुंदेलखंड की जलवायु में खेती करना बहुत मुश्किल होता है. यहां फसल लगाना बहुत मुश्किल होता है. आज हम आपको बुंदेलखंड के एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने विपरीत हालत में भी बुंदेलखंड की जलवायु में गुलाब की खेती करके कमाल कर दिया है. इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में झांसी के रहने वाले किसान अमित सिंह ने बताया कि साल 2018 में उन्होंने गुलाब की खेती पर काम करना शुरू किया था. इससे पहले स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे थे, लेकिन कुछ खास मुनाफा नहीं होने से उसे बंद कर दिया.
उन्होंने बताया कि गुलाब के लिए यहां की मिट्टी सही नहीं थी. इसलिए बाहर से मिट्टी लाई गई. इसके बाद पानी और मौसम की समस्या भी थी. इसको दूर करने के लिए एक आर्टिफिशियल पॉलीहाउस तैयार किया गया. यहां तापमान को कंट्रोल करके खेती करना शुरू किया गया. सिंह ने बताया कि 2 एकड़ में तैयार पॉलीहाउस में आज वो गुलाब की खेती करते हैं, सभी पौधे पुणे (महाराष्ट्र) से मंगवाते है.
प्रगतिशील किसान अमित सिंह बताते हैं कि कुछ समय पहले गुलाब की बिक्री में कुछ कमी आने लगी थी. लेकिन, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से देश में ही शादी और अन्य कार्यक्रम करने का आह्वान किया, तब से स्थिति बदल गई. अब गुलाब की मांग बढ़ने लगी है. उन्होंने बताया कि आज की तारीख में अगर कोई किसान गुलाब की खेती करना चाहे तो सरकार और राष्ट्रीय बैंक की तरफ से कई प्रकार के अनुदान मिलता है. किसान बागवानी मिशन जैसी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. एक गुलाब के पौधे को लगाने के लिए सालाना 100 रुपए का खर्च आता है. एक पौधे से 15 से 20 गुलाब निकलते हैं. जबकि बाजार में 1 गुलाब को आसानी से 20 रुपए में बेच सकते हैं.
अमित सिंह ने आगे बताया कि आज की तारीख में बुंदेलखंड के साथ ही लखनऊ, उदयपुर, जयपुर, उत्तराखंड जैसे डेस्टिनेशन वेडिंग वाली जगहों पर गुलाब के फूल एक्सपोर्ट करते हैं. उन्होंने बताया कि इस कारोबार से एक साल में 15 से 20 लाख रुपये की आय हो जाती है.
झांसी के रहने वाले अमित ने बताया कि गुलाब की पांच उन्नत किस्में की खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इनमें हाइब्रिड टी, छोटा गुलाब, फ्लोरिबंडा गुलाब, अल्बा गुलाब ,क्लाइंबिंग गुलाब शामिल हैं. गुलाब की यह किस्में खेती के लिए बेहतर साबित हो रही हैं.
अमित सिंह ने बताया कि कीटनाशक और खाद के छिड़काव के लिए पूरे पॉलीहाउस में पाइपलाइन बिछाया गया है. समय-समय पर सीधे जड़ में छिड़काव किया जाता है. पॉलीहाउस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जाता है. हर पौधे की बीमारी का पता तुरंत लगा लिया जाता है. यहां सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं. बाहरी व्यक्ति के अलावा अगर कोई आवारा पशु भी पॉलीहाउस के अंदर घुसता है तो इसकी जानकारी तुरंत कंट्रोल रूम को मिल जाती है. बता दें कि झांसी शहर के पास स्थित अमित सिंह के इस पॉलीहाउस को बुंदेलखंड के सबसे एडवांस पॉलीहाउस में गिना जाता है. आज वह अलग-अलग प्रकार के फूलों की खेती करते हैं. यहां जरबेरा से लेकर गुलाब तक की खेती होती है.
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