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Success Story: समेकित पशु एवं मत्स्य पालन से किसानों की बदल रही जिंदगी, जानें तरीका

Success Story: समेकित पशु एवं मत्स्य पालन से किसानों की बदल रही जिंदगी, जानें तरीका

देश में अधिकतर छोटे किसान है. किसानों के पास जमीन कम है. ऐसे लोगों को पटना के बिपिन कुमार झा नई राह दिखा रहे हैं. वो खुद भी 2 एकड़ जमीन में समेकित विधि से बकरी, मुर्गी, टर्की और मछली पालन कर रहे हैं और छोटे किसानों को नियमित आय प्राप्त करने के लिए इसके तरीके बता रहे हैं.

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किसान बिपिन कुमार झा किसान बिपिन कुमार झा

बिहार की राजधानी पटना से करीब 15 किलोमीटर दूर छतना गांव में बिपिन झा पिछले 20 साल से पशुपालन एवं मत्स्य पालन कर रहे हैं. मगर पिछले कुछ सालों से ये समेकित तरीके से पशु एवं मत्स्य पालन करके बेहतर कमाई कर रहे हैं. इनके अनुसार अगर कोई किसान या व्यवसायी कम जमीन में मुर्गी, बकरी और मत्स्य पालन करना चाहता है और साल के पूरे महीने कमाई करना चाहता है, तो वह अच्छी कमाई कर सकता है. बिपिन झा खुद ने अपने साथ 500 से अधिक किसानों को जोड़ा है और वो समेकित  पशु एवं मत्स्य पालन का व्यवसाय कर रहे हैं. वह सभी किसानों को तीन, तेरह, तेईस फार्मूले पर पशु एवं मत्स्य पालन करने का सुझाव देते हैं.

बिपिन झा पटना जिले के बख्तियापुर के रहने वाले हैं, लेकिन इन्होंने फुलवारी शरीफ प्रखंड के छतरा गांव में 12 साल के लिए 2 एकड़ जमीन लीज पर लेकर काम शुरू किया है.

समेकित पशु एवं मत्स्य पालन से साल भर होती है कमाई

'किसान तक' से बात करते हुए बिपिन कुमार झा ने बताया कि उन्हें पढ़ाई के समय से ही पशुपालन एवं मत्स्य पालन में विशेष रुचि रही है. आज वह करीब 2 एकड़ में बकरी, देसी मुर्गा, मछली, टर्की का पालन कर रहे हैं. वह कहते हैं कि इससे महीने में 80 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने पशु और मत्स्य पालन का समेकित विधि अपनाई है, जिसका फायदा यह होता है कि मछली, मुर्गा एवं बकरी में से किसी ना किसी के मीट की मांग बारहों महीने बनी रहती है. अगर किसान इस विधि से इसका व्यवसाय करता है तो वह कम जगह में अधिक मुनाफे के साथ हर महीने इनकम कर सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसके लिए अलग अलग मजदूर रखना नहीं पड़ते. एक दो मजदूर ही पूरा काम देख सकते हैं.

समेकित तरीके से बकरी पालन
समेकित तरीके से बकरी पालन

समेकित पशु एवं मत्स्य पालन की यह है विधि

बिपिन झा पशु एवं मत्स्य पालन के साथ किसानों को ट्रेंनिग भी देते हैं. वह कहते हैं कि समेकित तरीके से देसी नस्ल के पशु एवं मत्स्य पालन को समझना है तो किसानों को तीन, तेरह, तेईस का फार्मूला समझना होगा. वह बताते हैं कि देसी मुर्गी तीन महीने में, तेरह महीने में बकरी और करीब 23 महीने में देसी मछली बेचने के लिए तैयार हो जाती है. पहली बार अगर किसान समेकित तरीके से पशु एवं मत्स्य पालन कर रहा है, तो वह सिंगल, डबल और ट्रिपल तरीके से व्यवसाय करे. यानी शुरुआत में सिंगल डिजिट यानी 9 तक, उसके बाद डबल डिजिट यानी तक और फिर ट्रिपल डिटिट यानी 999 तक की संख्या में पशु एवं मत्स्य पालन करे. अगर कोई किसान 40 बकरियों, 100 मुर्गे एवं 500 मछलियों का स्लॉट डालना चाहता है. तो वह एक बार में न डालकर बल्कि कई चरणों में डाले. इससे उसको पूरे महीने कमाई होती रहेगी और बीमारी आने पर नुकसान कम होगा.

किराए पर जमीन लेकर कर सकते हैं व्यवसाय

बिपिन झा ने करीब 2 एकड़ जमीन 12 साल के लिए लीज पर ले रखी है और साल के करीब 1.50 लाख रुपये जमीन का किराया देते हैं. आज के समय में करीब 100 बकरी, 100 के आसपास देसी मुर्गा, 3 टर्की और मछली का पालन कर रहे हैं और इसमें इन्हें करीब महीने का एक लाख रुपये तक का खर्च आता है, जबकि प्रति महीना 80 हजार रुपये की शुद्ध कमाई होती है. 

फोटो 'किसान तक' समेकित तरीके से मछली पालन
समेकित तरीके से मछली पालन

कम जमीन में शुरू कर सकते हैं समेकित पशु एवं मत्स्य पालन

अगर कम पैसे में कोई किसान समेकित पशु एवं मत्स्य पालन करना चाहता है, तो वह बांस की मदद से 2 से तीन कट्ठा जमीन में बकरी, मुर्गा एवं मछली पालन के लिए 40 से 50 हजार रुपये ढांचा तैयार कर सकता है. ऐसे लोगों को कुल जमीन के करीब 60 प्रतिशत हिस्से में तालाब बनाना चाहिए. तालाबा से ही निकली मिट्टी से बचे हुए जमीन को ऊंचा करके बकरी, मुर्गी के लिए घर बनाया जा सकता है. पशुओं का ये घर पक्का निर्माण भी हो सकता है और बांस का भी हो सकता है. जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, कोई भी किसान अपने अनुभव और एक्सपर्ट्स की राय लेकर आगे बढ़ता जाएगा.