आंध्र प्रदेश देश का वह राज्य है जो पाम ऑयल की खेती में अग्रणी है. यहां का पश्चिमी गोदावरी जिला पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है. अनुकूल जलवायु होने की वजह से यहां के हजारों किसान ऑयल पाम की खेती कर रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार ने पाम तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क बढ़ा दिया है. यह ऐलान आंध्र प्रदेश के उन तमाम किसानों के लिए फायदेमंद साबित हुआ जो पाम ऑयल की खेती करते थे. इस ऐलान की वजह से आंध्र प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी हो गई. केंद्र सरकार की तरफ से एडीबल ऑयल आयात को कम करने के लिए पाम ऑयल की खेती पर सब्सिडी भी दी जा रही है.
पाम ऑयल की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है क्योंकि इसमें कीड़े लगने जैसी समस्याएं कम होती हैं. साथ ही बहुत ज्यादा मेहनत या फिर ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत भी नहीं होती और फसल की उपज से रिटर्न भी ज्यादा मिलता है. इस वजह से कई किसान इसकी खेती को फायदेमंद मानते हैं. किसानों को जिले के वर्षा आधारित क्षेत्रों में धान उगाने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए अब वो एक ऐसी वैकल्पिक फसल की तलाश कर रहे हैं जो उन्हें स्थायी आय का रास्ता प्रदान करे. पाम ऑयल की खेती उनके लिए आशा की किरण है. '
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यह टिकाऊ है और इसमें बहुत कम रखरखाव की जरूरत होती है. वहीं इससे रिटर्न भी ज्यादा मिलता है. 3एफ पाम ऑयल एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, बाजार में इस उत्पाद की सबसे बड़ी कंपनी है, जो किसानों को फसल उगाने की नई और उभरती तकनीकों के बारे में शिक्षित कर रही है. साथ ही किसानों को फसल काटने के सही समय के बारे में भी बताया जा रहा है. यह कंपनी पश्चिम गोदावरी जिले के नल्लाजेरला, ताडेपल्लीगुडेम, चागल्लु, निदादावोलु, देवेरापल्ली और भीमाडोले में किसान जागरूकता अभियान को चला रही है जो एक महीने तक चलता है. पिछले दिनों ताडेपल्लीगुडेम जोन के कडियाअड्डा में यह जागरूकता अभियान चलाया गया.
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किसानों की मानें तो पाम ऑयल की खेती की कुछ बारीकियां हैं जिन्हें जानना उनके लिए बहुत जरूरी है. अच्छी उपज के लिए सही समय पर सही कदम उठाना जरूरी है. उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि पाम ऑयल की कटाई कब करें. जागरूकता अभियान में किसानों को बताया जाता है कि उन्हें पाम ऑयल की खेती में क्या करना है और क्या नहीं करना है. साथ ही अच्छी और ज्यादा पैदावार के लिए नई तकनीकों की जानकारी भी किसानों को दी जाती है.
पाम ऑयल खेती विशेषज्ञों की मानें तो यह खेती उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो सही तकनीक को फॉलो करते हैं. किसान प्रति एकड़ अधिकतम 90000 रुपये से दस लाख रुपये तक कमा सकते हैं. मगर इसके लिये यह जरूरी है कि इस क्षेत्र के किसानों को फसल काटने का सही समय पता हो और उसे तुरंत कलेक्शन सेंटर पर भेज दिया जाये.
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इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सरकार ने प्रोत्साहन राशि 23,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दी है. किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये की सब्सिडी और 15 हेक्टेयर के लिए मुफ्त पौधा भी मिलेगा. चार साल के लिए प्रोत्साहन 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और अपने पाम ऑयल बागानों में अंतर-फसल के रूप में सब्जियां उगाने वाले किसानों के लिए 7,000 रुपये प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है. इसके अलावा किसानों को जैविक खाद उत्पादन के लिए कंपोस्ट यार्ड स्थापित करने के लिए 15,000 रुपये भी दिए जाते हैं.
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