राजस्‍थान में 27 साल के प्रियंक आलू से कमा रहे सात लाख रुपये का मुनाफा, जाने कैसे

राजस्‍थान में 27 साल के प्रियंक आलू से कमा रहे सात लाख रुपये का मुनाफा, जाने कैसे

पाली के प्रियंक ने कोविड-19 के दौरान मुंबई छोड़ने और अपने गांव लौटने का फैसला कर लिया. प्रियंक ने शुरुआत में फालना-खुडाला के पास परिवार की पांच बीघा जमीन पर हरी सब्जियां और गेहूं की खेती की. उन्‍होंने खेती के लिए जमीन तैयार की, बोरवेल और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग किया. साथ ही खाद के रूप में गोबर का प्रयोग किया. धीरे-धीरे वह ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ गए.

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राजस्‍थान में 27 साल के प्रियंक आलू से कमा रहे सात लाख रुपये का मुनाफा, जाने कैसेआलू की खेती करके करोड़ों कमा रहे हैं प्रियंक

राजस्थान के पाली जिले के फालना-खुडाला गांव के 27 साल के प्रियंक सुराना इन दिनों देश-विदेश में सुर्खियों में बने हुए हैं. प्रियंक के पिता उन्‍हें एक बिजनेसमैन बनाना चाहते थे लेकिन अब वह खेती में उतर गए हैं. यहां पर आलू की खेती करके प्रियंक देश के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं. आलू की खेती से प्रियंक कई लाख रुपयों का मुनाफा कमा रहे हैं. जानिए आखिर कैसे प्रियंक ने आलू की खेती में सफलता की एक नई कहानी लिखकर हर युवा को खेती के लिए प्रोत्‍साहित किया है. 

पिता ने देखा था कोई और सपना

प्रियंक के पिता संजय सुराना फालना में एक रियल एस्टेट डेवलपर हैं. उनका सपना था कि उनका बेटा अपने पिता के बिजनेस को संभाले और उसे और आगे तक लेकर जाए. इसी मकसद से उन्होंने प्रियंक को शिक्षा के लिए मुंबई भेजा था. प्रियंक ने साल 2019 में जुहू के पोद्दार वर्ल्ड कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 2019-20 में इंटर्नशिप के दौरान एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी में काम भी किया. कोविड-19 महामारी उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. प्रियंक ने इस वायरस के प्रभाव को देखते हुए और लोगों की इम्‍युनिटी के बारे में भी सोचा. इसके बाद उनके मन में भोजन और पर्यावरण की गुणवत्ता को लेकर कई सवाल उठे. इसके बाद उन्हें यह यकीन हो गया कि खेती शुद्ध भोजन और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने का एक तरीका है. 

कृषि वैज्ञानिक सलाह आई काम 

प्रियंक ने कोविड-19 के दौरान ही मुंबई छोड़ने और अपने गांव लौटने का फैसला कर लिया. वेबसाइट www.indianpotato.com के अनुसार उन्‍होंने  शुरुआत में फालना-खुडाला के पास परिवार की पांच बीघा जमीन पर हरी सब्जियां और गेहूं की खेती की. वह खेती के लिए जमीन तैयार कर चुके थे और फिर बोरवेल और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग किया. साथ ही प्रियं‍क ने खाद के तौर पर गोबर का प्रयोग किया. धीरे-धीरे वह ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ गए. सही मार्गदर्शन की तलाश में प्रियांक, जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) केंद्र गए. यहां पर उनकी मुलाकात कृषि वैज्ञानिक आरके सोलंकी से हुई. सोलंकी से उनकी यह मुलाकात उनके जीवन का टर्निंग प्‍वाइंट साबित हुई. सोलंकी ने उन्हें चिप्स बनाने के लिए सही आलू की हाई डिमांड और उनकी खेती की अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया के बारे में सलाह दी. इसमें कंपनियां अक्सर किसानों से सीधे उपज खरीदती हैं. 

6 महीने तक की रिसर्च 

उनकी सलाह से प्रेरित होकर प्रियंक ने आलू की खेती पर रिसर्च करने, बेस्‍ट प्रैक्टिसेज, संभावित चुनौतियों और अपनी जमीन की उपयुक्तता के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की ठान ली. प्रियंक ने इस पूरी रिसर्च में छह महीने दे दिए. साल 2023 में, उन्होंने तीन बीघा जमीन पर आलू लगाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया. सिर्फ साढ़े तीन महीने में तैयार हुई फसल ने एक बड़ा उत्पादन दिया. इसके बाद एक चिप्स बनाने वाली कंपनी के रिप्रजेंटेटिव ने आलू को 13 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदा. इस शुरुआती सफलता ने उन्हें नवंबर 2024 में अपनी आलू की खेती को 10 बीघा तक बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद प्रियंक ने करीब साढ़े तीन महीने में फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर में बुवाई की. 

करोड़ों में हुई इनकम 

साल 2024 में प्रियंक को फसल से करीब 80,000 किलोग्राम आलू हासिल हुआ. इस आलू को भी अमेरिकी कंपनी ने 13 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा. इससे सिर्फ साढ़े तीन महीने में प्रियंक को 1,040,000 रुपये की इनकम हुई. करीब 40 प्रतिशत खर्च घटाने के बाद प्रियंक ने इस एक फसल से 600,000 से 700,000 रुपये का मुनाफा कमाया. वह आलू के बीज प्रतिष्ठित कंपनियों से खरीदते हैं. दिलचस्प बात यह है कि उनके आलू खरीदने वाली कंपनी ने उन्हें बीज बोने और आलू की कटाई के लिए दो मशीनें भी मुहैया कराई हैं. यह कंपनी गुजरात और बाकी शहरों में अपने कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं तक ट्रांसपोर्टेशन कॉस्‍ट भी खुद उठाती है. यहां आलू कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिप्स निर्माताओं को सप्‍लाई किए जाते हैं. इसके अलावा, कंपनी के विशेषज्ञ आलू की उच्च गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक सलाह देने के लिए नियमित रूप से प्रियंक के खेत का दौरा करते हैं.

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