खेतों में पराली जलाने की घटना आए दिन सुनने को मिलती है. इससे होने वाली समस्या की वजह से सरकार से लेकर आम लोग परेशान हैं. यहां तक कि कई राज्यों में पराली जलाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. बिहार सरकार भी पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ कई तरह की कार्यवाही कर रही है. लेकिन राजधानी पटना के अंतर्गत आने वाले बिहिटा प्रखंड के विष्णुपुरा गांव के किसान अपने खेतों में पराली नहीं जलाते हैं. यहां करीब 500 एकड़ से अधिक एरिया में खेती होती है जिसके अस्सी प्रतिशत हिस्से में धान की खेती होती है. लेकिन फसल की कटाई हाथ या रीपर की मदद से की जाती है. पराली नहीं जलाने का मुख्य कारण यह भी है कि यहां हर कोई पशुपालन से जुड़ा है. इसकी वजह से पराली जलाने की जगह उसका उपयोग पशुओं के चारे में करते हैं. इसके साथ पराली बेचकर पैसा कमाते हैं.
बता दें कि खेतों में पराली नहीं जलाने को लेकर बिहार सरकार काफी सख्त है. पराली जलाने वाले किसानों को कृषि से जुड़ी योजनाओं से वंचित करने के साथ ही सरकारी रेट पर धान खरीदारी नहीं करने का निर्णय लिया गया है.
विष्णुपुरा गांव के रहने वाले अभिजीत सिंह, अजीत सिंह और गुड्डू सिंह कहते हैं कि पराली जलाने की वजह से खेतों की उर्वरा शक्ति पूरी तरह से खत्म होती जा रही है. खेत को उपजाऊ बनाए रखने के लिए खेतों में पराली जलाने से दूरी बनाए रखना जरूरी है. वह कहते हैं कि पराली बेचकर पैसा कमाते हैं जिसका उपयोग रबी सीजन की खेती में करते हैं. गुड्डू सिंह कहते हैं कि वे हर साल दस कट्ठा की पराली तीन से चार हजार रुपये में बेचते हैं. इसके साथ ही बची हुई पराली को पशुओं के चारे में उपयोग करते हैं. लेकिन खेत में पुआल नहीं जलाते हैं.
इसके साथ ही गोबर का उपयोग खेतों में करते हैं ताकि खेतों में कम से कम रासायनिक दवा और खादों का उपयोग हो. किसान अभिजीत सिंह कहते हैं कि जिन खेतों में धान की कटाई हार्वेस्टर से होती है, उस खेत की पराली को जलाने की जगह पशुओं के चारे में उपयोग कर लिया जाता है.
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एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर किसान अपने खेतों में पराली नहीं जलाते हैं, तो वे इसका उपयोग मशरूम की खेती के लिए भूसा तैयार करने में कर सकते हैं. पराली को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कंपोस्ट खाद बनाकर भी धान के भूसे का सदुपयोग किया जा सकता है. वहीं अब पराली का उपयोग बिजली घरों में ईंधन के रूप में भी किया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर किसान खेत में पुआल नहीं जलाता है, उसे खेत में छोड़ देता है तो इससे खेतों की नमी बनी रहती है.
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