उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के घुघली के रहने वाले दीपू शाही ने केले की खेती में मिसाल कायम किया है. दीपू केले की खेती से सालाना 15 लाख से अधिक रुपये कमाते हैं. साल 2013 में कभी प्राइवेट कंपनी की नौकरी से महीने में 10 हजार रुपये कमाने वाले दीपू शाही आज लाखों रुपये की आय कर रहे हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में उन्होंने बताया कि खेती को सिर्फ जीवन चलाने का तरीका नहीं, बल्कि एक व्यवसाय की तरह देखना चाहिए. दीपू एक किसान परिवार से हैं. उन्होंने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कुछ और करने की सोची. जिसका नतीजा हैं कि आज अबतक दीपू करोड़ों रुपये की आय केले से कर चुके हैं.
उन्होंने बताया कि साल 2012 में तमिलनाडु के कोयम्बटूर सिटी में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. उस समय 15-16 हजार रुपये महीने की सैलरी मिलती थी. वो भी ओवरटाइम करने के बाद. लेकिन मेरा रुझान हमेशा खेती-किसानी की तरफ रहा. यहीं वजह हैं कि 2015 में अपने गांव आकर केले की खेती करने लगे. दीपू ने बताया कि 5 बीघा यानी 3.5 एकड़ में केले की बागवानी की है. चूंकि केले की खेती एक नकदी फसल है, इसलिए इसका चुनाव किया. उन्होंने बताया कि गुजरात से जैन प्रजाति का और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया. लगभग 3 हजार पौधों की रोपाई कर चुके हैं.
दीपू ने बताया कि उनके खेत का केला गोरखपुर, लखनऊ ,दिल्ली (आजादपुर मंडी), राजस्थान सहित पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू तक भी जाता है. उन्होंने बताया कि सरकार की मदद से उन्होंने अपने खेत में ड्रिप सिंचाई सिस्टम लगवाया है. जिससे पानी की बचत, फसल की उपज बढ़ाने और खेती को टिकाऊ बनाने के लिए ड्रिप सिंचाई का प्रयोग किया जाता हैं. आज कल केले की खेती थोड़ी महंगी हो गई है, क्योंकि पोटाश और लेबर की कास्ट बढ़ गई है. वहीं केले का रेट भी कम हो गया है.
जबकि एक पेड़ से 27-28 किलो केले की फसल तैयार होती है. एक एकड़ में 1200 केले के पौधे आते है. यानी 33,600 किलो. एक एकड़ में 5 लाख की इनकम होती है. कुल मिलाकर 3.5 एकड़ में 15 लाख रुपये से अधिक की आय केले से हो रही है. दीपू शाही बताते हैं कि, केले की खेती से उनके जीवन में काफी बदलाव हुआ है. वहीं बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ता है.
किसान दीपू ने बताया कि केले के पौधे रोपाई करने से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 40-50 टन सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में मिलाया जाता है. यदि खेत की मिट्टी का पीएच मान 6.5 से कम है, तो रोपाई से 2-3 माह पहले खेत में चूना डाल दें, जिससे खेत को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिल सके. वहीं रोपाई करते समय बनाए गए गड्ढों में 5 किलोग्राम फार्मयार्ड मैन्यूर, 250 ग्राम नीम केक (कीटनाशक के लिए), 20 ग्राम कार्बोफ्यूरान (नेमाटोड नियंत्रण के लिए), 200 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 50 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का मिश्रण गड्ढे में मिट्टी के साथ मिला देना चाहिए. तेज हवा से बचाव के लिए खेत के चारों ओर विंडब्रेक लगाएं और पौधों को सहारा दें.
आपको बता दें कि दीपू शाही अपने आसपास के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं. उनके खेत के पास से गुजरने वाले लोग एक बार रुककर उनकी फसल को देखने जरूर आते हैं.
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