Success Story: मशरूम की खेती कर खत्म की बेरोजगारी, कमा रहे लाखों का मुनाफा

Success Story: मशरूम की खेती कर खत्म की बेरोजगारी, कमा रहे लाखों का मुनाफा

फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत "मशरूम स्पॉन उत्पादन और उद्यमिता विकास" पर सात दिवसीय प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण में उन्हें ऊतक संवर्धन, सब्सट्रेट विकास और स्पॉन उत्पादन की सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी मिली. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कम लागत वाली तकनीकों को सिखाना था, जो रेमंड ने अपने गांव में एक मशरूम स्पॉन लैब स्थापित करने के लिए इस्तेमाल की. 

Advertisement
Success Story: मशरूम की खेती कर खत्म की बेरोजगारी, कमा रहे लाखों का मुनाफाOyster Mushroom

आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही मशरूम की मांग भी तेजी से बढ़ी है. खासकर ओयस्टर मशरूम, जो स्वाद और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से बेहद फायदेमंद है. यह खासतौर पर मेघालय जैसे स्थानों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यहां मशरूम की खेती के लिए कम मेहनत, कम जगह और कम खर्च की आवश्यकता होती है. हालांकि, मशरूम की खेती के लिए गुणवत्ता वाले स्पॉन (मशरूम बीज) की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन गई है.

लेकिन रेमंड बी. मार्वेन ने इस समस्या का हल खोज निकाला है. ये मेघालय के री-भोई जिले के उम्समू गांव के एक युवा उद्यमी हैं. इनके पास एम.फार्मा की डिग्री है, और एक दिन आईसीएआर अनुसंधान परिसर की यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि मशरूम स्पॉन की गुणवत्ता में कमी है. इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए उन्होंने स्पॉन उत्पादन की तकनीकें सीखने का निर्णय लिया.

मशरूम स्पॉन की ट्रेनिंग

रेमंड ने फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत "मशरूम स्पॉन उत्पादन और उद्यमिता विकास" पर सात दिवसीय प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण में उन्हें ऊतक संवर्धन, सब्सट्रेट विकास और स्पॉन उत्पादन की सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी मिली. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कम लागत वाली तकनीकों को सिखाना था, जो रेमंड ने अपने गांव में एक मशरूम स्पॉन लैब स्थापित करने के लिए इस्तेमाल की. 

ये भी पढ़ें: बजट में पशुपालकों की बम-बम, जानें CM सुक्खू ने किसानों और क्या दिया?

कमर्शियल स्पॉन का उत्पादन

उन्होंने अपने प्रयोग में स्टरलाइज़ेशन के लिए प्रेशर कुकर और एक साधारण इनोक्यूलेशन हुड जैसे बुनियादी उपकरणों का इस्तेमाल किया. रेमंड ने 500 मिली कल्चर मीडिया से शुरुआत की और कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनके लगातार प्रयासों ने उन्हें 91.3% सफलता दर के साथ 23 मदर स्पॉन पैकेट उत्पादन करने में मदद की. इसके बाद, उन्होंने 230 वाणिज्यिक स्पॉन पैकेट का पहला बैच तैयार किया. आज वह साप्ताहिक रूप से 500 पैकेट कमर्शियल स्पॉन का उत्पादन करते हैं, और उनके स्पॉन की स्थानीय बाजार में ₹100 प्रति किलोग्राम की स्थिर मांग है.

ये भी पढ़ें: SKM in Action... 26 को होगा पंजाब विधानसभा का घेराव, बजट सत्र में ताकत दिखाएंगे किसान

उद्यमिता और समुदाय में परिवर्तन

रेमंड ने अपने मशरूम स्पॉन व्यवसाय में ₹90,000 का निवेश किया, जिसमें बुनियादी ढांचे और श्रम की लागत शामिल थी. इस निवेश के साथ, उन्होंने स्पॉन और मशरूम की बिक्री से ₹40,000 की मासिक आय प्राप्त करना शुरू किया. अब उनका लक्ष्य इस व्यवसाय को और विस्तार देना है, इसके लिए वह उन्नत उपकरणों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं और उम्समू को एक मशरूम उत्पादन केंद्र में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा हों.

इंटीग्रेटेड कृषि प्रणाली

रेमंड की सफलता ने उनके परिवार को एक इंटीग्रेटेड कृषि प्रणाली की ओर मार्गदर्शन किया. इस प्रणाली में सुअर पालन, मछली पालन, वर्मीकंपोस्टिंग और सब्ज़ी की खेती शामिल हैं. इसके अलावा, उनका होमस्टे व्यवसाय भी स्थिर आय का स्रोत बन गया है. उनकी सफलता ने अन्य ग्रामीणों को भी प्रेरित किया है कि वे कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उद्यमिता की दिशा में कदम बढ़ाएं.

रेमंड बी. मार्वेन की यात्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी के पास सही ज्ञान और दृढ़ नीयत हो, तो वह किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है. उनकी मशरूम स्पॉन उत्पादन और कृषि उद्यमिता की सफलता न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उनके समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा बन चुकी है. वह अब उम्समू गांव को एक उन्नत और आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे उनके समुदाय को स्थिर आय और रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.

POST A COMMENT