पंजाब में किसानों और राज्य सरकार के बीच हाल के दिनों में तनाव काफी बढ़ गया है, जिसका मुख्य कारण पंजाब सरकार का किसानों के खिलाफ सख्त रुख है. बता दें लगभग 10 दिन पहले किसानों को चंडीगढ़ पहुंचने की अनुमति न दिए जाने से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई थी. इसी तनावपूर्ण माहौल और पंजाब सरकार की सख्त रुख के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार यानी 26 मार्च को पंजाब विधानसभा तक मार्च निकालने की घोषणा की है.
26 मार्च पंजाब विधानसभा घेराव का निर्णय धरने में जा रहे किसानों को रोके जाने को लेकर लिया गया है, जिसमें दर्शन पाल, जंगवीर सिंह चौहान और बिंदर सिंह गोलेवाला सहित संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कई नेता मौजूद थे. बैठक का विवरण साझा करते हुए एसकेएम नेताओं ने कहा कि किसान 26 मार्च को चंडीगढ़ के सेक्टर-34 मैदान में एकत्र होंगे और वहां से पंजाब विधानसभा की ओर बढ़ेंगे.
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पंजाब सरकार 26 मार्च को विधानसभा में 2025-26 के लिए राज्य का बजट पेश करेगी. बजट सत्र 21 मार्च से 28 मार्च तक आयोजित किया गया है. बता दें कि इससे पहले 5 मार्च को पंजाब पुलिस ने एसकेएम के एक सप्ताह के 'धरने' के आह्वान पर चंडीगढ़ जाने की किसानों की कोशिश को विफल कर दिया था. इसमें राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर छह फसलों की खरीद समेत अलग-अलग मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन के दौरान कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया था.
एसकेएम नेताओं ने रविवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने आप नेताओं की आलोचना करते हुए उन पर "झूठा प्रचार" करने का आरोप लगाया. उन्होंने मान और उनके मंत्रियों से यह साबित करने को कहा कि क्या उनकी मांगों का पंजाब सरकार से कोई संबंध नहीं है? 30 से अधिक किसान संगठनों के समूह एसकेएम के नेताओं ने मुख्यमंत्री को किसानों के मुद्दों पर बहस करने की चुनौती दी थी.
एसकेएम जिसने अब निरस्त हो चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था. वो अब राज्य की कृषि नीति को लागू करने, राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर छह फसलों की खरीद, केंद्र के साथ समन्वय के बाद लोन माफी के लिए एक कानूनी ढांचा, भूमि जोतने वालों के मालिकाना हक और गन्ने के बकाया भुगतान की मांग कर रहा है.
इसके अलावा भारतमाला परियोजनाओं के लिए भूमि के "जबरन" अधिग्रहण को रोकने, 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा, प्रीपेड बिजली मीटर लगाने की नीति को रद्द करने, आवारा जानवरों की समस्या का समाधान करने और उर्वरकों और नकली बीजों की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने पर भी जोर दे रहा है.
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