ड्रिप सिंचाई तकनीक से बदली तकदीर, हर साल 20 लाख रुपये कमाते हैं छत्तीसगढ़ के मंजीत

ड्रिप सिंचाई तकनीक से बदली तकदीर, हर साल 20 लाख रुपये कमाते हैं छत्तीसगढ़ के मंजीत

मंजीत सिंह का खेत अब 56 एकड़ में फैला हुआ है, जहां वह धान, बाजरा और दालों जैसे अनाजों के साथ-साथ अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, आम और चीकू जैसे फलों सहित कई तरह की फसलें उगाते हैं. वे कहते हैं, "मैं अपने खेत में फसल चक्र और मिश्रित फसलें उगाता हूं." इसके अलावा, उन्हें 11-12 एकड़ पारिवारिक ज़मीन विरासत में मिली है, जिस पर वे गोल्डन बॉटल ब्रश जैसी विदेशी फसलें उगाते हैं.

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ड्रिप सिंचाई तकनीक से बदली तकदीर, हर साल 20 लाख रुपये कमाते हैं छत्तीसगढ़ के मंजीतड्रिप सिंचाई तकनीक से बदली किसान की किस्मत (सांकेतिक तस्वीर)

1965 में जन्मे मंजीत सिंह सलूजा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से हैं. वे एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार से आते हैं, जिसका खेती से गहरा जुड़ाव है. 1950 के दशक की शुरुआत में, उनके पिता, जो एक पूर्व ठेकेदार थे, ने खेती करना शुरू किया और एक सफल किसान बन गए. उन्होंने 1963 में मध्य प्रदेश में कई धान उत्पादन पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार पाए. अपने पिता से प्रेरित होकर, मंजीत सिंह कम उम्र से ही खेती में शामिल हो गए. लेकिन उन्होंने 20 साल की उम्र में पूरी तरह से खेती में लग जाने का फैसला किया और लग भी गए.

अपने पिता की खेती के व्यवसाय में शामिल होने के बाद मंजीत सिंह को आधुनिक तरीकों को अपनाने की जरूरत का एहसास हुआ. उनका पहला कदम पारंपरिक सिंचाई पद्धति से हटकर स्प्रिंकलर सिस्टम की ओर रुख करना था. हालांकि, उनके जीवन में असली मोड़ 1994 में आया, जब उन्होंने ड्रिप सिंचाई तकनीक को अपनाना शुरू किया. फिर इसकी ट्रेनिंग ली और अपने खेत पर सिस्टम लगाया. इस पद्धति को अपनाने वाले क्षेत्र के पहले किसानों में से एक बन गए. "मैं हमेशा नई तकनीकों के बारे में उत्सुक था. जब मैंने ड्रिप सिंचाई के बारे में सीखा, तो मुझे लगा कि यह भविष्य है," मंजीत सिंह ने Krishi Jagran से कहा.

नई तकनीक से बदली तकदीर

किसान मंजीत सिंह यहीं नहीं रुके. पिछले कुछ सालों में उन्होंने भारत की पहली ओपन-फील्ड ऑटोमेटेड ड्रिप सिंचाई प्रणाली, NETAJET लगाई, जिसने उनके खेत में सब्ज़ियों की खेती में क्रांति ला दी. इस तकनीक ने उन्हें पानी और पोषक तत्वों का सही ढंग से प्रबंधन करने की सुविधा दी, जिससे संसाधनों की बचत करते हुए फसल की पैदावार में जबर्दस्त वृद्धि हुई.

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मंजीत सिंह का खेत अब 56 एकड़ में फैला हुआ है, जहां वह धान, बाजरा और दालों जैसे अनाजों के साथ-साथ अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, आम और चीकू जैसे फलों सहित कई तरह की फसलें उगाते हैं. वे कहते हैं, "मैं अपने खेत में फसल चक्र और मिश्रित फसलें उगाता हूं." इसके अलावा, उन्हें 11-12 एकड़ पारिवारिक ज़मीन विरासत में मिली है, जिस पर वे गोल्डन बॉटल ब्रश जैसी विदेशी फसलें उगाते हैं.

खुद की दुकान भी चलाते हैं

2012 में मंजीत सिंह ने एक खुदरा दुकान शुरू की, जहां वह सिर्फ वही बेचते हैं जो वह अपने खेत में उगाते हैं. वह कहते हैं, "मेरा मानना ​​है कि क्वालिटी मायने रखती है और मेरे ग्राहक मेरी उपज की ताजगी पर भरोसा करते हैं." इसके अलावा, उन्होंने गन्ने से गुड़ और खांड बनाने का काम भी शुरू किया, जो स्थानीय बाजार में लोकप्रिय हो गया है.

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मंजीत सिंह की सफलता सिर्फ उनके अपने रुपये-पैसे के लाभ तक सीमित नहीं है. उनके खेती के कामों ने 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है. वे कहते हैं, "कृषि सिर्फ फसल उगाने से कहीं बढ़कर है. यह किसानों के समुदाय का समर्थन करने और बदले में कुछ देने के बारे में है." अपनी कुशल खेती के तरीकों से मंजीत सिंह हर साल लगभग 20 लाख रुपये कमाते हैं. इससे उनके आसपास के किसान भी प्रेरित हुए हैं और उनकी तरह मिश्रित खेती पर फोकस कर रहे है.

 

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