ब‍िहार का सब्जी वाले गांव, समूह बना कर होती है खेती...मोटा मुनाफा कमा रहे क‍िसान

ब‍िहार का सब्जी वाले गांव, समूह बना कर होती है खेती...मोटा मुनाफा कमा रहे क‍िसान

समूह के जरिये खेती करके किसान बदल रहे अपनी तकदीर. नालंदा जिले के सोहडीह गांव सहित अन्य गांव के किसान सब्जी की खेती से सालाना 6 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं. अपने परिवार को अच्छी सुविधा देने के साथ हर साल जमीन भी खरीद रहे हैं.

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ब‍िहार का सब्जी वाले गांव, समूह बना कर होती है खेती...मोटा मुनाफा कमा रहे क‍िसान Image 'किसान तक': सोहडीह गांव सहित अन्य गांव के किसान सब्जी की खेती से सालाना 6 लाख रुपए तक की करते है कमाई

नालंदा जिले के बिहार शरीफ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कई गांव के किसान सब्जी की खेती को सफल व्यवसाय मान रहे हैं. उनका कहना है कि डेढ़ दशक पहले जहां खेती से कुछ हजार रुपये की कमाई भी बहुत बड़ी बात हुआ करती थी. आज खेती से दो से चार लाख रुपये की कमाई साधारण सी बात है. सोहडीह गांव के किसान कहते हैं कि आज उनके खेत की सब्जी केवल बिहार के लोगों की थाली तक नहीं पहुंच रही है. बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के साथ दूसरे देशों के लोगों की थाली तक पहुंच रही है.
 
सोहडीह गांव के ही रहने वाले सफल प्रगतिशील किसान राकेश कुमार कहते हैं कि उनके गांव के अलावा आसपास के कई गांव के लोग धान व गेहूं की जगह सब्जी की खेती करते हैं. यहां से हर रोज करीब 3 से 4 गाड़ी सब्जी की देश के विभिन्न राज्यों में भेजी जाती है. वहीं अगर यहां की सब्जी एक दिन सूबे की राजधानी पटना में न पहुंचे, तो दाम में काफी अंतर देखने को मिलता है. यह सब समूह में खेती से संभव हो पाया है.

image 'किसान तक': एक हजार एकड़ से अधिक एरिया में होती है, सब्जी की खेती
image 'किसान तक': एक हजार एकड़ से अधिक एरिया में होती है, सब्जी की खेती

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सब्जी की खेती ने बदली किसानों की तकदीर

बिहार शरीफ-पटना हाइवे के नजदीक बसा सोहडीह सहित लोहड़ी, बड़ी पहाड़ी,सलीमपुर, इब्राहिमपुर, हेमंतपुर, कखड़ा गांव के अलावा आसपास के अन्य गांव में हजार एकड़ के आसपास की एरिया में जैविक सब्जी की खेती हो रही है, लेकिन 2007 से पहले यहां भी परंपरागत तरीके से धान व गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. सब्जी की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने वाले राकेश कुमार कहते हैं कि आज सब्जी की खेती के बल पर डेढ़ एकड़ जमीन अपना खुद का खरीद चुके हैं. साथ ही समूह के माध्यम से खेती के दम पर प्रति हेक्टेयर 1088 क्विंटल आलू का वर्ल्ड रिकॉर्ड सोहडीह गांव के किसान बना चुके हैं. वहीं कखडा गांव के निवासी संजय कुमार 3 एकड़ में सब्जी की खेती करते है और इसी के बदौलत अपनी बेटी को कोटा और बेटा को पटना में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजे हैं. वह कहते हैं कि महीने का 20 हजार से अधिक का खर्च बच्चों की पढ़ाई पर लगता है, जो इसी सब्जी की खेती से संभव  हुआ है. वे बताते हैं कि वह सब्जी से ही धान,गेहूं खरीदते है. 

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image 'किसान तक': किसानों के लिए बनाया गया  किसान चौपाल
image 'किसान तक': किसानों के लिए बनाया गया किसान चौपाल

विदेश में जाकर आलू की खेती ट्रेन‍िंंग दे चुके हैं यहां के क‍िसान 

सोहडीह गांव में केवल 300 एकड़ के आसपास सब्जी की खेती होती है. इस गांव के किसान समूह की मदद से सब्जी की खेती करते हैं. वहीं यहां के किसान आलू और प्याज उत्पादन में विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं. इसी गांव के रहने वाले 65 वर्षीय नन्दू कुमार कहते हैं कि यहां के किसान समूह के दम पर प्रति हेक्टेयर आलू 1088 क्विंटल तक उत्पादन किया है. वहीं प्याज 660 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर चुके हैं. जो अपने आप एक रिकॉर्ड है. इसी रिकार्ड के बाद नंदू कुमार चीन में आलू की खेती को लेकर चीनी किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए गए थे. वह कहते हैं कि विदेश में जाने का सौभाग्य सब्जी की खेती के बदौलत हो पाया है. आज देश आलू,प्याज सहित सब्जी की खेती के लिए सोहडीह गांव को जानता है. वहीं इस गांव से उनके साथ दो अन्य किसान भी चीन गए थे.

समूह की खेती करने से सरकारी सुविधा मिलने में नही होती है परेशानी

प्रगतिशील किसान मुन्ना सिंह बताते है कि वे लोग शेरे बिहार सोहडीह कृषक हित समूह के साथ मिलकर सब्जी की खेती करते हैं और इसका फायदा ये है कि सरकार के द्वारा उन लोगों के लिए प्याज भंडारण केंद्र, किसान चौपाल, सहित मिनी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दी गई है. वे बताते हैं कि सिंचाई के लिए हर किसान ने अलग-अलग ट्यूबेल नहीं लगवाया है. बल्कि 20 किसान मिलकर एक ट्यूबेल लगाए हैं और उसी के मदद से सिंचाई करते हैं. समूह की मदद से केवल सोहडीह गांव में 80 के आसपास ट्यूबेल है. साथ ही हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए पक्की नाली की व्यवस्था है. किसान राकेश कुमार कहते हैं कि उनके गांव के पास बने किसान चौपाल की बिल्डिंग में प्रति दिन व्यापारी अपनी गाड़ी भेजते हैं और खेत से ही सब्जी बिक जाती है. हर रोज करीब तीन से अधिक पिकअप से सब्जी अन्य राज्य सहित नेपाल में भेजा जाता है. 

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