Cultivation of Guava: देश के अधिकांश किसान पारंपरिक खेती में लाभ न होता देख फलों और सब्जियों की खेती करने लगे हैं. इससे उन्हें कम लागत में अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है. बिहार के औरंगाबाद जिले स्थित अजनिया गांव के किसान विष्णु मेहता ने भी अमरूद की खेती कर सफलता की नई कहानी लिख दी है. हर साल अमरूद बेचकर बंपर कमाई कर रहे हैं. आज इस किसान के अमरूद के बाग के चर्चे दूर-दूर तक हो रहे हैं. कई किसान उनसे अमरूद की बागवानी के गुर सिखने के लिए आ रहे हैं.
पारंपरिक खेती से नहीं हो रही थी ज्यादा आमदनी
किसान विष्णु बताते हैं कि पहले वह पारंपरिक खेती करते थे. इससे उन्हें ज्यादा आमदनी नहीं होती थी. बस किसी तरह घर-परिवार चल पा रहा था. फिर एक रिश्तेदार ने उन्हें अमरूद की खेती करने की सलाह दी. उन्होंने दो बीघा खेत में अमरूद के हाइब्रिड किस्म ताइवान की खेती की. इससे उन्हें कम समय अधिक मुनाफा हुआ. विष्णु बताते हैं कि उनके बाग के अमरूद के पेड़ एक साल में तीन फसल देते हैं.
अमरूद लगाने में कुल इतनी पूंजी लगी
किसान विष्णु बताते हैं कि उन्होंने ताइवान अमरूद के एक पौधे को 280 रुपए में खरीदा है. उन्होंने अपने दो बीघा खेत में कुल 500 अमरूद के पौधे लगाए हैं. इस तरह से अमरूद के पौधों को लगाने में कुल 1 लाख 40 हजार रुपए लगे हैं. विष्णु बताते हैं कि ताइवान अमरूद की खासियत यह है कि इसके पेड़ अन्य अमरूदों कि किस्मों की तरह साल में एक बार फल नहीं देते बल्कि चार-पांच माह में ही फल देने लगते हैं. इस तरह से वह ताइवान अमरूद की साल में तीन बार फल लेते हैं. एक बार में 7 से 8 क्विंटल अमरूद निकलते हैं. साल के हिसाब से कुल 22 से 24 क्विंटल अमरूद का उत्पादन हो जाता है.
ताइवान अमरूद की खासियत
किसान विष्णु बताते हैं कि ताइवान अमरूद बेहद उन्नत और आधुनिक किस्म मानी जाती है. इसके पौधे एक फीट की ऊंचाई से ही फल देने लगते हैं. ताइवान अमरूद के पौधों में सालों भर फूल और फल लगते हैं. एक ताइवान अमरूद का वजन आधे किलो तक होता है. यह अमरूद पकने पर अंदर से गुलाबी रंग का हो जाता है.
यह बहुत ही मिठा होता है. इसके कारण इसकी बाजार में मांग काफी रहती है. वह इस अमरूद को मार्केट में थोक में कम से कम 3300 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बेचते हैं. वह बताते हैं कि उनकी अमरूद को खरीदने के लिए सिर्फ औरंगाबाद से ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों से भी व्यापारी आते हैं. किसान विष्णु बताते हैं कि ताइवान अमरूद की खेती से उन्हें 50 प्रतिशत का शुद्ध मुनाफा होता है.
कैसे करें अमरूद की खेती
अमरूद के पौधों को रोपने से पहले 7 सेंटीमीटर गहरा और चौड़ा गड्ढा बना लें. ध्यान रहे दो पौधों के बीच की दूरी लगभग 2.5 फीट और पंक्तियों के बीच की दूरी 3 फीट रखना जरूरी है. अमरूद के पौधों की रोपाई के लिए गड्ढे बनाने का सबसे उचित समय अप्रैल से लेकर 15 जून तक होता है.
अमरूद की खेती के लिए गड्ढा बना लेने के बाद उसमें गोबर की जैविक खाद डालें. फिर उस गड्ढे में सिंगल सुपर फास्फेट, थोड़ा पोटाश और 10 ग्राम थाइमेट के मिश्रण को डालकर अच्छे से बराबर कर देना है. गड्ढे भरने के 25 दिनों के बाद अमरूद के पौधों की रोपण की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए. अमरूद के पेड़ के आस-पास की मिट्टी को नमीयुक्त रखना चाहिए. गर्मियों में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है लेकिन ध्यान रखें कि अमरूद के पेड़ के पास पानी देर तक रुकना नहीं चाहिए. ऐसा होने पर अमरूद के पेड़ को काफी नुकसान हो सकता है.
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