बंजर जमीन में युवक ने शुरू की बांस की खेती, अब मोटी कमाई कर रहे

बंजर जमीन में युवक ने शुरू की बांस की खेती, अब मोटी कमाई कर रहे

दरभंगा जिला के 40 वर्षीय किसान धीरेन्द्र खेती से सालाना 10 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं. वहीं बांस,मखाना सहित धान, गेहूं की अलग अलग किस्म की खेती करते हैं.

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बंजर जमीन में युवक ने शुरू की बांस की खेती, अब मोटी कमाई कर रहे बांस की खेती से साल का 5 लाख तक की कमाई हो जाती है. फोटो किसान तक

बिहार की राजधानी पटना से करीब 160 किलोमीटर दूर दरभंगा जिले के वेलवारा गांव के रहने वाले धीरेंद्र कुमार सिंह कृषि को रोजगार में सबसे उत्तम मान रहे है. इनका मानना है कि आज खेती को व्यवसाय के नजरिये से करने की जरूरत है. परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक विधि से खेती करने की जिम्मेदारी युवाओं की है. धीरेन्द्र अपने पंचायत के पहले किसान हैंं, जिन्होंने मखाना की खेती खेत में करना शुरू किया और आज करीब 100 एकड़ से अधिक एरिया में लोग खेत में मखाना की खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही धीरेंद्र धान, गेहूं के भी अलग-अलग किस्म की खेती करके सालाना 10 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं.

धीरेन्द्र सिंह करीब 40 एकड़ एरिया में खेती करते है, जिनमे से 17 एकड़ में मखाना की खेती करते हैं. आज ये बंजर भूमि में बांस की खेती करके मोटी कमाई कर रहे हैं. अब तक इन्हें कृषि से जुड़े कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

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बंजर जमीन में बांस की खेती से कर रहे कमाई

धीरेन्द्र सिंह डेढ़ एकड़ जमीन में लगे बांस की खेती को दिखाते हुए कहते है कि आज से 15 साल पहले यह जमीन बंजर थी. यहां कुछ नहीं होता था, लेकिन जब मैं पूर्ण रूप से खेती में आया. उसके बाद इस जमीन में बांस की खेती शुरू की और पिछले तीन सालों से हर साल 4 से 5 हजार बांस 125 से 150 रुपये के भाव से बेच देता हूं और इससे करीब साल का 5 लाख के आसपास कमाई हो जाती है.अन्य फसलों में समय-समय पर खाद, दवा सहित अन्य बातों का ध्यान देना पड़ता है, लेकिन इसमें ऐसी कोई बात नही है. 

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उत्तम खेती मध्यम बान... की कहावत को कर रहे चरितार्थ

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कृषि को व्यापार, नौकरी से उत्तम माना गया है. इसलिए उत्तम खेती मध्यम बान, निषिध चाकरी भीख निदान की बात कही गई है, यानी खेती सबसे अच्छा कार्य है. व्यापार मध्यम है, नौकरी निषिद्ध है और भीख मांगना सबसे बुरा कार्य है. आज इसी कहावत को अपने जीवन में उतारकर धीरेन्द्र बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद से कृषि के साथ जुड़ गए और आज सलाना दस लाख से अधिक की शुद्ध कमाई कर रहे हैं. किसान तक से बातचीत में वह बताते हैं कि वह अपने गांव सहित आसपास के गांव में पहले किसान थे, जिन्होंने खेत में मखाना की खेती करना शुरू किया.इससे पहले लोग तालाब में ही खेती करते थे. वह बताते है कि वे उसी फसल की खेती सबसे ज्यादा करते है, जिसकी मांग,दाम सबसे ज्यादा होती है.  इसी के तहत नीली ,काली  गेहूं की खेती करता हूं. साथ ही काला धान की खेती करता हूं.

मखाना की खेती करते हुए किसान धीरेन्द्र कुमार फोटो किसान तक
धीरेन्द्र अपने पंचायत में पहले किसान रहे, जिन्होंने मखाना की खेती खेत में करना शुरू किया. फोटो किसान तक

खेती ने दिलाई जिले में अलग पहचान

धीरेन्द्र कहते है कि आज के समय में बारहवीं पढ़ा व्यक्ति की क्या पहचान है. लेकिन इस खेती के बदौलत जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर एक अलग  पहचान है. और इसी का नतीजा है कि कृषि से जुड़े कई पुरस्कार से सम्मानित हो चुका हूं. यह सब कुछ खेती से ही संभव हो पाया है.

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