
आज के इस समय में कई ऐसे युवा हैं, जो कृषि से नाता नहीं रखना चाहते हैं. मगर पटना जिले के बख्तियारपुर राइच के रहने वाले 14 साल के प्रिंस कुमार सिंह की कहानी अलग है. इस छोटी सी उम्र में जहां हर युवा का अपना अलग-अलग सपना होता है. वहीं प्रिंस इस उम्र में खेती से नाता जोड़कर किसान बनना चाहते हैं. वे खेती में ही अपना बेहतर भविष्य देख रहें हैं. अपने पिता की निगरानी में खेती से जुड़ी बारीकियों को सीख रहे हैं. इस छोटी से उम्र में प्रिंस खेत की जुताई, फसल में दवा का छिड़काव या कृषि से जुड़े अन्य सभी काम खुद करते हैं. सूर्य की किरण निकलने से लेकर सूर्यास्त तक पूरा समय खेतों में ही गुजारते हैं.
प्रिंस कुमार सिंह सातवीं के विद्यार्थी हैं. वे करीब तीन बीघा में सब्जी सहित मक्का की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें कलेक्टर, डॉक्टर, इंजीनियर नहीं बनना है. मुझे किसान बनना है. आज के समय में हर कोई बाहर नौकरी करने जाएगा, तो गांव में खेती कौन करेगा? प्रिंस का कहना है कि इन्हीं सब वजह से मुझे अभी किसान बनकर अपनी जमीन से अन्न उपजाना है. आगे का समय जैसा होगा देखा जाएगा. इनके पिता राजीव कुमार सिंह कहते हैं उनके तीन बेटे और एक बेटी है. जिनमें से हर किसी का सपना अलग-अलग है. लेकिन प्रिंस का सपना किसान बनने का है.
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प्रिंस कुमार के पिता राजीव कुमार सिंह पिछले दो साल से कृषि से दूरी बनाकर अन्य व्यवसाय से नाता जोड़ चुके हैं. पिता के द्वारा खेती छोड़ने के बाद प्रिंस ने पुरखों की जमीन से अन्न उपजाने का निर्णय किया. वे 14 साल के उम्र में खुद ट्रैक्टर चलाकर खेतों की जुताई करते हैं. पिछले एक साल से ट्रैक्टर चला रहे हैं. अपने पिता की देखरेख में तीन बीघा जमीन में मक्का की खेती किए हुए हैं. इसके साथ ही उसी मक्का के खेत में सब्जी भी लगाए हुए हैं. केवल सब्जी से एक सीजन में चालीस से पचास हजार रुपये तक की कमाई कर लेते हैं.
आगे वह कहते हैं कि खेती में जहां कोई परेशानी आती है. वह अपने पिता से जानकारी लेते हैं. किस फसल के लिए कितने किलो प्रति बीघा बीज की जरूरत है. सब्जी में लगने वाले रोग में किस दवा की जरूरत है. यह सभी जानकारी अपने पिता से हासिल करते हैं. खेती में आने को लेकर कहते है कि बचपन से ही उनका परिवार खेती से जुड़ा हुआ है. उसी को देखकर खेती करने का विचार आया.
प्रिंस कुमार सिंह के पिता राजीव कुमार सिंह इस बात से खुश हैं कि पीढ़ियों से चली आ रही खेती को उनका बेटा आगे बढ़ा रहा है. लेकिन इस खेती के चक्कर में प्रिंस पिछले 6 महीने से स्कूल से दूरी बना लिया है. इस बात को लेकर चिंतित है.जब किसान तक ने प्रिंस से स्कूल नहीं जाने के पीछे का कारण पूछा वे कहते हैं कि खेती मुझे अच्छी लगती है. इसलिए इसी से जुड़ा रहता हूं. लेकिन जब किसान तक ने खेती में पढ़ाई के महत्व को बताया, तो उसके बाद उन्होने फिर से स्कूल जाने को लेकर अपनी सहमति दी. वहीं इनके पिता राजीव कहते हैं कि उनके दो बेटे और एक बेटी स्कूल जाते हैं. लेकिन यह नहीं जाता है. जिसको लेकर चिंता बनी रहती है. मगर अब खेती के साथ इसका नाता स्कूल से जोड़ने का पूरा प्रयास करूंगा.
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