
Success Story: यूपी के लखीमपुर खीरी के बेलवा मोती गांव के रहने वाले वरुण सिंह चौधरी ने डेयरी सेक्टर में सफलता हासिल की है. उनकी इस सफलता की कहानी कई किसानों के लिए एक मिसाल है. आज करीब 200 गाय- भैंस से अधिक की डेयरी चला रहे लखीमपुर खीरी के किसान वरुण का 1 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना टर्नओवर हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में वरुण चौधरी ने बताया कि 2013 में व्यवसायिक रूप से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन का कार्य शुरू किया था. उनकी हाईटेक गौशाला में थारपारकर गाय, जर्सी, साहीवाल गाय गाय से लेकर मुर्रा आदि नस्ल की गाय और भैंस मौजूद है. उन्होंने दुध के उत्पादन के सवाल पर बताया कि गर्मी और सर्दी के मौसम में पशुओं के शरीर पर असर पड़ता है. ऐसे में गर्मियों में सुबह-शाम मिलाकर 700 लीटर और सर्दियों में 1200 लीटर के दूध का प्रोडक्शन हो जाता है.
प्रदेश भर में सर्वाधिक 2.08 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन करने वाले खीरी जिले के बेलवा मोती गांव के वरुण सिंह चौधरी बताते हैं कि पराग से 10 सालों से जुड़े हुए है. पेशे से इंजीनियर रहे वरुण सिंह ने बताया कि परिवार में पशुपालन पहले से ही हो रहा था. 2016 में केंद्र सरकार की कामधेनु योजना के तहत 100 दुधारु पशु खरीदे थे.
बताया कि उनके पिता स्वर्गीय यशपाल चौधरी की मंशा थी कि गायों व अन्य दुधारू पशुओं को अपने से अलग न किया जाए. उसी परंपरा को वह आगे बढ़ा रहे हैं. 2016-17 में दुग्ध संघ को 97,730 लीटर दुग्ध आपूर्ति से शुरू हुआ ये सफर आज 200 गाय और भैंसों की बदौलत 2.08 लाख लीटर तक पहुंच गया है.
उन्होंने बताया कि दुध की सप्लाई पराग समेत लोकल डेयरी वालों को करते है. डेयरी फार्मिंग से आज उनका टर्नओवर 90 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये है. वे आज करीब 200 से अधिक गाय भैंस की डेयरी चला रहे. वरुण ने बताया कि गाय-भैंस के लिए खुद ही चारा तैयार करते हैं. क्योंकि हम गेहूं-चावल की खेती भी करते है.
वहीं इनकी गोशाला पूरी तरह ऑटोमैटिक है, मशीनों के जरिए गाय-भैंस से दूध निकाला जाता है. बी एक डेयरी कंपनी है, जिसका पूरा सेटअप हमारी गौशाला में लगा हुआ है.
बीटेक की पढ़ाई के बाद डेयरी फार्मिंग करने वाले वरुण अब अपने ब्रांड के नाम से दूध के उत्पाद लांच करने की तैयारी में हैं. जिससे प्रदेश के साथ देश में एक अलग पहचान मिल सकें. यहीं वजह हैं कि उनको 6 बार गोकुल पुरस्कार मिल चुका हैं.
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