यूपी के ग्राम्य विकास विभाग ने ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा हर्बल गुलाल, बाजार तक पहुंचाने की पहल की है. इसके लिए विभाग ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को महिलाओं के बनाए उत्पादों की बिक्री के लिए पुख्ता मंच मुहैया कराने को कहा है. गांव की महिलाओं ने होली के मद्देनजर गांव में ही आसानी से उपलब्ध होने वाले पलाश, गुलाब और गेंदा आदि के फूलों से हर्बल गुलाल बनाकर बाजार में पेश किया है. यूपी के ग्राम्य विकास मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभागीय अधिकारियों को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत त्योहारी सीजन में ग्रामीण महिलाओं के बनाए उत्पादों की ऑनलाइन सहित सभी माध्यमों से बिक्री कराने के उचित प्रबंध करने का निर्देश दिया है.
मौर्य ने बताया कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बेहतर उत्पाद बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिलाओं की आजीविका को मजबूत करने में इस मिशन का अहम योगदान है. उन्होंने बताया कि होली के मद्देनजर बाजार में हर्बल गुलाल की बढ़ी मांग को पूरा करने में भी इन समूहों की महिलाएं आगे आई हैं.
इनके द्वारा बनाए गए रसायन मुक्त गुलाल को मिशन के माध्यम से महानगरों के बाजार में बिक्री हेतु भेजा गया है. मांग एवं आपूर्ति के बढ़ते स्तर को देखते हुए आजीविका मिशन के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्म मुहैया कराया जाए.
उन्होंने आजीविका मिशन की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि सोनभद्र जिले की महिलाओं द्वारा फूलों से बनाए जा रहे प्राकृतिक हर्बल गुलाल की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है. मौर्य ने कहा कि सोनभद्र की ग्रामीण महिलाओं का हर्बल गुलाल बिक्री के लिए मुंबई तक भेजा गया है. उन्होंने कहा कि महानगरों में हर्बल गुलाल की पूर्ति करने में ऑनलाइन प्लेटफार्म की अग्रणी भूमिका को देखते हुए इस मंच को भी स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की निदेशक सी इन्दुमती ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं के द्वारा बनाए जा रहे हर्बल गुलाल की गुणवत्ता बेहतर है. उन्होंने बताया कि महिलाएं पलाश, गुलाब और गेंदा आदि के फूलों को गाजर, पालक और चुकन्दर के साथ मिलाकर अरारोट एवं मक्का का आटा सहित अन्य प्रकृतिक तत्वों का इस्तेमाल कर विविध रंगों के गुलाल बना रही हैं. इन्होंने गुलाल बनाने की ग्रामीण इलाकों में प्रचलित रही पुरानी पद्धति को ही अपनाया है.
मिशन का दावा है कि पुख्ता परीक्षण के बाद इन उत्पादों को बाजार में पेश किया जाता है. इस गुलाल के इस्तेमाल से त्चचा को कोई नुकसान नहीं होता है. ना ही इन्हें छुटाने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है. त्योहार को देखते हुए ग्रामीण महिलायें गुलाल के अलावा होली के लिए खास किस्म के पापड़ एवं चिप्स भी बना रही हैं.
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