यूपी: कृषि यंत्रों के लिए किसानों को मिलती है सब्सिडी, जानें क्या है सरकार की योजना

यूपी: कृषि यंत्रों के लिए किसानों को मिलती है सब्सिडी, जानें क्या है सरकार की योजना

उद्यान विभाग के मसाला और पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत किसानों को अनुदान दिया जाता है. यह योजना लघु और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद होती है. इसके अंतर्गत लहसुन, मिर्च, प्याज और हल्दी लगाने के लिए 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर 40 प्रतिशत यानी 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान मिलता है.

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यूपी: कृषि यंत्रों के लिए किसानों को मिलती है सब्सिडी, जानें क्या है सरकार की योजनाबुंदेलखंड में अनुदान पर बनाया गया फूलों की खेती के लिए आधुनिक मशीनों वाला पॉली हाऊस

यूपी सरकार के उद्यान विभाग द्वारा बागवानी से किसानों को जोड़ने के लिए उपयोगी यंत्र मुहैया कराए जा रहे हैं. उद्यान विभाग के उप निदेशक विनय यादव ने बताया कि इस योजना के तहत बागवानी के काम को आसान बनाने के लिए छोटा ट्रैक्टर, बहुत कम पानी में बागवानी करने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर और रेन गन आदि जरूरी यंत्रों पर उद्यान विभाग पर्याप्त सब्सिडी दे रहा है. 

उद्यान विभाग ने बागवानी किसानों के लिए ट्रैक्टर से लेकर अन्य जरूरी उपकरणों पर 25 से 50 प्रतिशत तक का अनुदान देने की योजना शुरू की है. इसके तहत 20 एचपी क्षमता वाले ट्रैक्टर पर एक लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. इसमें किसान, 20 एचपी तक की क्षमता वाला कोई भी ट्रैक्टर बाजार से खरीद कर सब्सिडी के लिए विभाग के समक्ष आवेदन कर सकता है. उसके जिले में विभाग द्वारा पहले से निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक एक लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. अनुदान की राश‍ि किसान के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से जमा करा दी जाती है. इसके अलावा पावर टिलर और स्प्रेयर आदि मशीनों पर कुल मूल्य का 25 से 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है.

छोटे किसानों के लिए सिंचाई के यंत्र

उद्यान विभाग, आधुनिक सिंचाई के प्रभावी साधन माने गए, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सहित अन्य यंत्र, लघु एवं सीमांत किसानों को अनुदान पर दे रहा है. विभाग द्वारा इन यंत्रों पर 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है. केंद्र सरकार के 'पर ड्रॉप मोर क्राॅप' अभ‍ियान के तहत मिनी और माइक्रो स्प्रिंकलर और ड्रिप सिस्टम लगवाने के इच्छुक कम जोत वाले किसानों, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है, को विभाग कुल लागत का 90 प्रतिशत तक अनुदान दे रहा है. जबक‍ि 2 हेक्टेयर से ज्यादा जोत वाले सामान्य किसानों को 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना में पोर्टेबुल स्प्रिंकलर और रेन गन लगाने वाले लघु और सीमांत किसानों को लागत का 75 प्रतिशत और अन्य किसानों को 65 प्रतिशत अनुदान मिलता है.

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पैक हाऊस बनाने पर भी अनुदान

उद्यान विभाग ने बागवानी में उपजे फल और सब्जियों की ग्रेडिंग और पैकिंग के लिए खेत पर ही आधुनिक मशीनों से युक्त पैक हाऊस, बनाने की योजना शुरू की है. 'पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम' के तहत उद्यान विभाग बागवानी किसानों को पैक हाऊस, प्याज भंडार गृह और कम लागत वाली प्रोसेसिंग यूनिट और प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रहा है. इसके अलावा प्री कूलिंग यूनिट, रिफर वैन और राइपेनिंग चैंबर मशीनें लगाने के लिए कुल लागत का 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है.

अनुदान पर करें फलदार बागों का रोपण

जो किसान अनुपजाऊ और असिंचित जमीन के कारण खेती का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, उनके लिए यह योजना लाभप्रद साबि‍त हो सकती है. ऐसे किसानों को उद्यान विभाग से केला, अमरूद, आंवला, आम, किन्नू, संतरा और लीची का बाग लगाने के लिए अनुदान मिलता है. इसमें टिश्यू कल्चर विध‍ि से एक हेक्टेयर में केला का बाग लगाने में 1,02,462 रुपये की लागत पर 40 प्रतिशत अर्थात 40,985 रुपये प्रत‍ि हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाता है.

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इसके अलावा पपीता लगाने के लिए 61,655 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर 50 प्रतिशत अर्थात 30,828 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर पर दो साल में अनुदान दिया जाता है. इसी प्रकार आम, लीची, अमरूद, आंवला, किन्नू और संतरा का बाग लगाने के लिए इस योजना के अंतर्गत पूर्व निर्धारित लागत का 50 प्रतिशत अनुदान तीन साल में मासिक किस्तों पर दिया जाता है. यह अनुदान बाग लगाने की लागत और पौधों के रखरखाव आद‍ि के लिए दिया जाता है.

छोटे किसान कर सकते हैं मसालों की खेती

उद्यान विभाग के मसाला और पुष्प क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत किसानों को अनुदान दिया जाता है. यह योजना लघु और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद होती है. इसके अंतर्गत लहसुन, मिर्च, प्याज और हल्दी लगाने के लिए 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर 40 प्रतिशत यानी 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान मिलता है. इसी तरह फूलों की खेती के लिए गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा और ग्लैडियोलस उगाने वाले लघु और सीमांत किसानों को 10 हजार से 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है.

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