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ये कैसा मजाक... पांच बीघे में बर्बाद हुई फसल और मुआवजा मिला 129 रुपये

ये कैसा मजाक... पांच बीघे में बर्बाद हुई फसल और मुआवजा मिला 129 रुपये

इटावा में डिभौली गांव के निवासी राकेश कुमार ने कहा कि उन्होंने पांच बीघा खेत में बाजरे की फसल लगाई थी. बाजरा पूरा तैयार हो गया था, बालियां लगी हुई थीं, लेकिन तभी बाढ़ आ गई और पूरी फसल नष्ट हो गई. लेकिन फसल का बीमा हो चुका था, इसलिए हम निश्चिंत थे. लेकिन यह भरोसा तब टूट गया जब मुआवजे के नाम पर 129 रुपये मिले.

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इटावा में फसल बीमा के नाम पर किसान के साथ हुआ भद्दा मजाक इटावा में फसल बीमा के नाम पर किसान के साथ हुआ भद्दा मजाक

आपने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नाम सुना होगा. आप अगर किसान हैं तो इससे पाला भी पड़ा होगा. बीमा की यह पॉलिसी कहती है कि किसान अपनी फसल का बीमा कराएं और नुकसान का मुआवजा पाएं. फसलों के प्राकृतिक नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी के द्वारा किसानों को दी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस योजना का पलीता प्राइवेट कंपनियां लगा रही हैं? करोड़ों रुपये बीमा की किस्त के रूप में वसूलने वाली कंपनियां किसानों को राहत देने के नाम पर मजाक बनाती हैं. ऐसे ही मामले इटावा जनपद में आठ ब्लॉकों में सामने आए हैं. 

इटावा के आठ ब्लॉकों में लगभग 12,315 किसानों की खरीफ की फसल का बीमा हुआ था. खरीफ की फसल में प्रमुख तौर पर बाजरा, मक्का की पैदावार होती है. इटावा के चकरनगर तहसील में चंबल और यमुना नदी होने की वजह से वहां बाढ़ के हालात बन गए. इससे हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो गई और फसलें नष्ट हो गईं. लेकिन फसल बीमा होने की वजह से सरकार और किसान निश्चिंत रहे. इटावा के किसानों की फसल का बीमा "यूनिवर्सल जनरल इंश्योरेंस कंपनी" से हुआ था. 

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दावा है कि इस कंपनी ने फसल बीमा के नाम पर हजारों रुपये का प्रीमियम वसूला और इससे लगभग तीन करोड़ की वसूली हो गई. लेकिन अब उसी कंपनी ने मुआवजा के नाम पर किसानों के साथ मजाक किया है. चकरनगर तहसील में डिभौली के किसानों को 129 रुपये का मुआवजा मिला है. इस वाकये के बाद किसानों में घोर नाराजगी देखी जा रही है. दो दर्जन से अधिक किसान ऐसे हैं जिनको मुआवजा पांच सौ रुपये से भी कम मिला है.

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डिभौली गांव के निवासी राकेश कुमार ने कहा कि उन्होंने पांच बीघा खेत में बाजरे की फसल लगाई थी. बाजरा पूरा तैयार हो गया था, बालियां लगी हुई थीं, लेकिन तभी बाढ़ आ गई और पूरी फसल नष्ट हो गई. लेकिन फसल का बीमा हो चुका था, इसलिए हम निश्चिंत थे. उम्मीद थी कि नुकसान की भरपाई हो सकेगी. मगर जब बीमा कंपनी ने मुआवजा दिया तो मात्र 129 रुपये हाथ लगे. राकेश का कहना है कि बीमा कंपनी ने उनके साथ भद्दा मजाक किया है. इतने पैसे में तो खर्च भी नहीं निकलेगा. 

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किसान राकेश कुमार कहते हैं कि अगर पैदावार हो जाती तो 15 क्विंटल बाजरा होता, जिसका बाजार भाव लगभग 30 हजार रुपये मिलते. लेकिन मुआवजे के नाम पर उनके साथ मजाक किया गया है. वे कहते हैं, इस तरह की बीमा योजना का कोई फायदा नहीं. इसी डिभौली गांव के निवासी दिव्यांग होम सिंह ने बताया कि दो बीघा खेत में बाजरा की फसल लगाई थी. लेकिन बाढ़ आने से फसल नष्ट हो गई. बीमा कंपनी ने मुआवजे के नाम पर 342 रुपये दिए हैं. 

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इस पूरे मामले पर कृषि उपनिदेशक डॉ आर.एन. सिंह कहते हैं, किसान स्वेच्छा से बीमा करवाता है. नुकसान को देखते हुए पूर्णतया और आंशिक क्षति के आधार पर मुआवजे का प्रावधान है. यदि किसी किसान को मुआवजा बहुत कम मिला है और नुकसान अधिक है, तो ऐसी स्थिति में इसकी जांच कराई जाएगी. यदि कहीं कोई लापरवाही हुई है, तो किसान को नुकसान की भरपाई की जाएगी. फसल का उचित मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा. खरीफ की फसल का मुआवजा कई किसानों के खाते में पहुंच गया है. अगर किसी किसान को पैसा नहीं मिला है, तो उसकी जांच की जाएगी.(रिपोर्ट/अमित कुमार)