देश में सहकारिता का आंदोलन 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. सहकारिता के क्षेत्र में फिलहाल तेजी से काम हो रहा है. देश में अब तक 8.54 लाख कोऑपरेटिव बन चुके हैं जबकि तीन लाख कोऑपरेटिव का गठन होना है. किसान तक समिट 2023 के मंच पर "सहकारिता- साथी हाथ बढ़ाना" के विषय पर कॉपरेटिव से जुड़ी महत्वपूर्ण हस्तियों ने अपने पक्ष रखे. मंच पर इरमा के निदेशक उमाकांत दाश, कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल यादव, एनसीडीसी की अध्यक्ष आर वनिथा ने अलग-अलग विषयों पर अपना पक्ष रखा. मौका था इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल किसान तक के उद्घाटन का. इस अवसर पर किसान तक समिट का आयोजन किया गया जिसमें ये सभी गणमान्य मौजूद थे.
किसान तक डिजिटल चैनल का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया.
देश में कॉपरेटिव संस्थाओं का जाल बिछा हुआ है. फिलहाल देश में 8.54 लाख कोऑपरेटिव मौजूद हैं जबकि तीन लाख कॉपरेटिव संस्थाएं ग्रामीण स्तर पर बनाई जानी हैं. अभी तक देश में कोऑपरेटिव के लिए अलग से कोई मंत्रालय नहीं था लेकिन केंद्र सरकार ने इसी जरूरत को महसूस करते हुए 6 जुलाई 1921 को सहकारिता मंत्रालय का गठन किया. मंत्रालय के गठन होने के बाद देश में सहकारिता के क्षेत्र में काफी ज्यादा प्रगति हो रही है.
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एनसीडीसी का गठन 1963 में हुआ. यह संस्था शुरुआत से ही कॉपरेटिव के क्षेत्र में किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है. एनसीडीसी की अध्यक्ष आर वनिथा ने बताया एन.सी.डी.सी वर्तमान में नई संस्थाओं को बिना बैलेंस शीट के 3 महीने पूरे होने पर ही लोन दे रही है. वही 6 महीने पूरे होने पर सहकारिता संस्थाओं को 3 करोड़ तक का लोन दे रही है जबकि कोऑपरेटिव बैंक बिना बैलेंस शीट के कोई भी लोन नहीं देते हैं.
वनिथा ने कहा, एन.सी.डी.सी का उद्देश्य है कि पैक्स को कंप्यूटराइज किया जाए. वहीं ग्रामीण स्तर पर भी सहकारी संस्थाओं का डिजिटलीकरण करके रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जाने का काम हो रहा है. गांव में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से घर बैठे कई तरह की सुविधाएं लोगों को मिले इस पर तेजी से काम हो रहा है. अब तक देश में 35000 लाख करोड़ रुपये का लोन एन.सी.डी.सी के द्वारा दिया जा चुका है.
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देश में सहकारिता का महत्व बहुत बढ़ा है. दुनिया में सबसे बड़ा सहकारिता मूवमेंट भारत में चल रहा है. कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल यादव ने किसान तक समिट 2023 के मंच पर बताया कि 30 करोड़ लोग कोऑपरेटिव से जुड़े हुए हैं. किसान की आमदनी को बढ़ाना हमारा उद्देश्य है. देश में राक फास्फेट की कमी है लेकिन मैं भारत सरकार का धन्यवाद देता हूं जो किसानों के साथ हमेशा खड़ी रही है. एक बोरी यूरिया की कीमत 2000 रुपये आती है लेकिन सरकार सब्सिडी प्रदान करके इसे किसानों तक 266 रुपये में पहुंचाती है. देश में उर्वरक के उत्पादन लागत और विक्रय मूल्य में काफी बड़ा अंतर है. खेती का व्यवसाय किसान को लाभकारी तरीके से करना होगा क्योंकि महंगे उर्वरक और बीज से फसल की लागत बढ़ रही है. एमएसपी भी सही ढंग से किसान को नहीं मिल पा रही है.
देश में कॉपरेटिव के क्षेत्र में अभी भी प्रोफेशनल की कमी है. 192 कृषि इंस्टिट्यूट पूरे देश में कार्यरत हैं जो हर राज्य में मौजूद हैं, लेकिन सहकारिता विश्वविद्यालय बनने से प्रोफेशनल की कमी दूर करने में काफी सहायता मिलेगी. इरमा के निदेशक उमाकांत दाश ने बताया कि 1979 में वर्गीज कुरियन ने इरमा का गठन किया था. किसान तक समिट 2023 के मंच पर इरमा के निदेशक उमाकांत दाश ने बताया कि जब इरमा का गठन हुआ तो उस समय देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती ट्रेंड और प्रोफेशनल की कमी थी. कॉपरेटिव को रोजगार परख बनाने के लिए सहकारिता विश्वविद्यालय का गठन मील का पत्थर साबित होगा.
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