SMS और व्हाट्सएप पर भी ले सकते हैं सॉइल हेल्थ कार्ड, फोन पर मिलेगी मिट्टी की पूरी जानकारी

SMS और व्हाट्सएप पर भी ले सकते हैं सॉइल हेल्थ कार्ड, फोन पर मिलेगी मिट्टी की पूरी जानकारी

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले कार्ड में खेत की मिट्टी के प्रकार के बारे में जानकारी दी जाती है. इससे किसान अपनी जमीन की मिट्टी की क्वालिटी के आधार पर फसल लगा सकते हैं और अच्छी खेती कर सकते हैं. सरकार के अनुसार किसानों को उनके खेत की क्वालिटी के अनुसार तीन साल में एक बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाते हैं.

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SMS और व्हाट्सएप पर भी ले सकते हैं सॉइल हेल्थ कार्ड, फोन पर मिलेगी मिट्टी की पूरी जानकारीसॉइल हेल्थ कार्ड

फसल अच्छी होगी या खराब, यह मिट्टी पर भी निर्भर करता है. मिट्टी का अच्छा होना किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. सरकार ने एक बार फिर किसानों की इस समस्या का समाधान कर दिया है. अब किसानों को मिट्टी की जांच करवाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है. वे घर बैठे अपने फोन से ही अपने खेत की मिट्टी की जानकारी ले सकते हैं. जी हां, अब किसान एसएमएस और वॉट्सऐप के जरिए मिट्टी की पूरी जानकारी ले सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.

केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी को उपजाऊ और बेहतरीन बना सकते हैं. इसके बाद किसान अच्छी फसल उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को खेत की मिट्टी की क्वालिटी के आधार पर उपयुक्त फसल उगाने में मदद मिलती है.

SMS और व्हाट्सएप पर SCH

किसान सॉइल हेल्थ कार्ड (SHC) पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद एसएमएस के जरिये मृदा स्वास्थ्य कार्ड पा सकते हैं. एसएचसी मिट्टी के पोषक तत्वों और उर्वरक की सिफारिशों के बारे में जानकारी देता है.

SMS से कैसे लें सॉइल हेल्थ कार्ड

  • एसएचसी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें.
  • रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको अपने मोबाइल पर एक एसएमएस लिंक मिलेगा.
  • अपना एसएचसी डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक करें.
  • अगर आपके फोन में व्हाट्सएप है तो उस पर भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड ले सकते हैं. पोर्टल पर जो मोबाइल नंबर रजिस्टर होता है, उस व्हाट्सएप नंबर पर सॉइल हेल्थ कार्ड भेजा जाता है.

क्या है सॉइल हेल्थ कार्ड योजना?

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले कार्ड में खेत की मिट्टी के प्रकार के बारे में जानकारी दी जाती है. इससे किसान अपनी जमीन की मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर फसल लगा सकते हैं और अच्छी खेती कर सकते हैं. सरकार के अनुसार किसानों को उनके खेत की क्वालिटी के अनुसार तीन साल में एक बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाते हैं.

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सॉइल हेल्थ कार्ड का उद्देश्य

मिट्टी की क्वालिटी के अनुसार फसल उगाकर उत्पादक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी. इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी और उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी के आधार और संतुलन को बढ़ावा मिलेगा. इसकी मदद से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं.

इस योजना के तहत देश के किसानों की मिट्टी की जांच की जाती है और खेतों के हिसाब से फसल लगाने के सुझाव के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाते हैं. साथ ही बताया जाता है कि मिट्टी में किस चीज की कितनी मात्रा है. किसानों को किस फसल के लिए कौन सी खाद और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करनी होगी. सही मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करके खेती की लागत को भी कम किया जा सकता है.

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सॉइल हेल्थ कार्ड कैसे काम करता है?

  • सबसे पहले अधिकारी किसान के खेत से मिट्टी के नमूने एकत्रित करते हैं.
  • इसके बाद मिट्टी को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है.
  • जांच दल मिट्टी के नमूने की जानकारी एकत्रित कर उसकी क्वालिटी बताता है.
  • अगर मिट्टी में कुछ कमी है तो उसे सुधारने के लिए सुझाव दिए जाते हैं.
  • इसके बाद किसान के नाम के साथ यह रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड की जाती है.
  • इस रिपोर्ट को किसान के मोबाइल नंबर पर भी भेजा जाता है, अगर उसका नंबर उस लैब में दर्ज है.
  • किसानों को इसकी जानकारी मोबाइल पर एसएमएस और व्हाट्सअप के जरिये भी दी जाती है.

सॉइल हेल्थ कार्ड में दें ये जानकारी

  • मिट्टी का स्वास्थ्य
  • खेत की उत्पादक क्षमता
  • पोषक तत्वों की जानकारी
  • पानी की मात्रा यानी नमी
  • खेतों की गुणवत्ता से जुड़े दिशा-निर्देश
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