फार्मर रजिस्ट्री में राजस्थान ने देश में बाकी राज्यों को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल किया है. फार्मर रजिस्ट्री के तहत हर किसान के लिए एक विशिष्ट किसान पहचान बनाई जाती है. सरकार की तरफ से भी इस नए रिकॉर्ड पर खुशी जताई गई है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब तक करीब एक करोड़ किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका है. भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से डिजिटल कृषि मिशन के तहत किसानों के डिजिटल आईडी, फार्मर रजिस्ट्री के तहत बनवाए जा रहे हैं.
अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 73 लाख से ज्यादा किसानों का पंजीकरण किया गया है. इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 81 फीसदी लाभार्थी शामिल हैं. किसान रजिस्ट्री के माध्यम से किसानों को कई सरकारी योजनाओं तक आसान पहुंच में मदद मिलेगी. राजस्व एवं उपनिवेशन मंत्री हेमंत मीना ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई और अधिकारियों से 100 फीसदी तक रजिस्ट्रेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने को कहा है.
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किसान रजिस्ट्री से डिजिटल टूल और तेजी से प्रोसेसिंग और उनके लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों की बेहतर निगरानी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने की उम्मीद है. मीना ने अपने विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि भूमि सीमांकन, आपसी सहमति से बंटवारा और भूमि नामांतरण के अटके मामलों का भी जल्द निपटारा किया जाएगा. भूमि सीमांकन की सुविधा के लिए ई-धरती नामक समर्पित पोर्टल शुरू किया गया है.
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हेमंत मीना ने कहा कि 10 साल से ज्यादा समय से अटके हुए राजस्व मामलों की पहचान कर उन्हें प्राथमिकता के साथ निपटाया जाएगा. फार्मर रजिस्ट्री में डेमोग्राफिक डिटेल्स, उगाई जाने वाली फसलों और जमीन के मालिक की जानकारी जैसी अहम जानकारियां शामिल हैं. सरकार ने साल 2027 तक 11 करोड़ किसानों का किसान पहचान-पत्र बनाने का लक्ष्य तय किया है. साल 2024-25 के लिए सरकार छह करोड़ किसानों को इसके तहत कवर करना चाहती है. 2025-26 में 3 करोड़ और 2026-27 में 2 करोड़ किसानों की आईडी बनाने का लक्ष्य तय किया गया है.
फार्मर रजिस्ट्री का प्रमुख लक्ष्य जमीनों को लेकर होने वाली धोखाधड़ी को नियंत्रित करना है. साथ ही इससे यह पता लग सकेगा कि किस किसान के पास कितनी जमीन है. इस तरह से जमीनों की हेराफेरी होने से बचेगी और जमीन पर मिलने वाली सुविधाएं भी किसानों को आसानी से मिल सकेंगी. फार्मर रजिस्ट्री के लिए किसान के पास खतौनी, आधार कार्ड और आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर, जिस पर ओटीपी पा सकें, होना जरूरी है.
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