झारखंड में इस बार घान की खरीद (Jharkhand Paddy Procurement) में कमी आई है. इसके कई कारण हो सकते हैं.लेकिन, पहला कारण फिलहाल धान के उत्पादन में कमी आना है. इस वजह से किसान धान बिक्री केंद्र लैंपस से दूरी बना रहे हैं. दरअसल इस बार बारिश ने झारखंड में बेरुखी दिखाई इसके कारण किसान धान की रोपाई नहीं कर पाए. जिन किसानों ने धान की रोपाई भी कि उन किसानों को अच्छी पैदावार हासिल नहीं हुई क्योंकि समय पर बारिश नहीं हुई.फिर जब बारिश हुई तो इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ.
गौरतलब है कि झारखंड में जून के पहले या दूसरे सप्ताह में बारिश हो जाती है, इसके बाद किसान धान की बुवाई की तैयारी कर देते हैं. इसके साथ ही जो किसान धान की रोपाई करते हैं वह धान की नर्सरी तैयार करते हैं.
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इसके बाद जुलाई-अगस्त के महीने में बिचड़ा की रोपाई खेत मे करते हैं. ऐसे समय में अगर बारिश नहीं होता है या बारिश में देरी होती है तो इसका सीधा असर धान की रोराई पर पड़ता है. झारखंड में भी किसानों के साथ यही हुआ है.
इस बार भी किसानों के साथ यही हुआ. शुरुआत में थोड़ी बारिश हुई तो किसानों ने नर्सरी तैयार करने के लिए धान की बुवाई कर दी. पर इसके बाद बारिश जब बिचड़ा तैयार हुआ तब बारिश ही नहीं हुई. इसके कारण धान की खेती किसान नहीं कर पाए. कई किसानों का बिचड़ा खेत में खराब हो गया. जिन किसानों ने थोड़ी बहुत हिम्मत दिखाई और सिंचाई करके धान की रोपाई भी कर दी उनकी भी फसल अच्छी नहीं हुई क्योंकि समय पर बारिश नहीं हुई. इसके कारण किसान धान बेच नहीं रहे हैं. वहीं दूसरा कारण है किसान अपने खाने के लिए धान का पर्याप्त स्टॉक अपने पास रखना चाहते हैं.
किसानों को धान बेचने के लिए आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई तरह के प्रयास किए थे. जिसके तहत किसानों को लैंपस या सरकारी दर पर धान बेचने के लिए धान खरीद केंद्रों तक लाना था, पर किसान प्रशासन की उदासीनता के कारण लैंपस में धान नहीं बेचना चाहते हैं. लैंपस से समय से नहीं मिलने वाला भुगतान किसानों और लैंपस की दूरी की एक बड़ी वजह है. क्योंकि एक तो किसान पहले से ही कम उत्पादन से परेशान हैं, वह धान बेचकर उससे मिलने वाली रकम के लिए बहुत दिनों तक इंतजार नहीं कर सकता है. राज्य में लैंपस के कई ऐसे मामले किसानों द्वारा बताए गए हैं की छह महीना बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है.
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