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Economic Survey 2023: कृष‍ि क्षेत्र में बढ़ी ब‍िजली की जरूरत, 11 साल में दोगुनी हुई खपत

Economic Survey 2023: कृष‍ि क्षेत्र में बढ़ी ब‍िजली की जरूरत, 11 साल में दोगुनी हुई खपत

किसान अब बिजली और उससे चलने वाले यंत्रों का इस्तेमाल खेती में करने लगे हैं. ऐसे में 11 साल के अंदर कृषि क्षेत्र में बजली की खपत दोगुनी रफ्तार से बढ़ीी है, जिसे देखते हुए सरकार भी अब बिजली के लिए सब्सिडी योजना चला रही है, जिससे किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके.

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कृषि क्षेत्र में बढ़ रही बिजली की खपत कृषि क्षेत्र में बढ़ रही बिजली की खपत

Economic Survey 2023: कृष‍ि क्षेत्र में बढ़ी ब‍िजली की जरूरत, 11 साल में दोगुनी हुई खपतबढ़ती तकनीकों की मदद से हर क्षेत्र में बदलाव देखा जा रहा है. खास कर कृषि क्षेत्र की बात करें तो यहां कई बदलाव देखे गए हैं. जिसकी मदद से कृषि कार्यों को करना अब ओर भी आसान हो गया है. आज से कुछ समय पहले तक लोग फसलों की सिंचाई के लिए मौसम पर निर्भर रहते थे. जिसके बाद उनकी निर्भरता धीरे-धीरे बदलती चली गयी. किसान अब बिजली और उससे चलने वाले यंत्रों का इस्तेमाल खेती-बाड़ी में करने लगे हैं. ऐसे में 11 साल के अंदर कृषि क्षेत्र में बजली की खपत दोगुनी रफ्तार से बढ़ गई है. ये आंकड़ें बजट 2023 से पूर्व संसद में पेश क‍िए आर्थ‍िक सर्वेक्षण 2023 में सामने आए हैं.  

दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है बिजली की खपत

आर्थ‍िक सर्वेक्षण 2023 में पेश क‍िए  आंकड़ों के मुताबिक, साल 2010 में 130 Gwh बिजली की खपत हुई थी. जो समय के साथ बढ़ती ही जा रही है. 2011 में, बिजली की खपत बढ़कर 140 Gwh हो गई. यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही चला गया. 2019 तक यक करीबन 200 Gwh के आंकड़ों को छु लिया. 2021 में भी बिजली की खपत इसी के आस-पास नजर आई. इसे देख बात स्पष्ट हो गई कि किसान महंगाई के मार को अब और नहीं झेलना चाहते हैं और इसके विकल्प की ओर अपना रुख कर रहे हैं.

बिजली की खपत का आंकड़ा
कृषि‍ क्षेत्र में ब‍िजली खपत के आंकड़े; स्त्रोत; आर्थ‍िक सर्वेक्षण

ट्यूबवेल से सिंचाई बढ़ा रही ब‍िजली खपत

कृष‍ि सेक्टर में ब‍िजली की खपत की मुख्य वजह ट्यूबवेल से स‍िंचाई बन रहा है. असल में खरीफ सीजन में कई राज्य स‍िंचाई के ल‍िए ट्यूबवेल का प्रयोग करते हैं. पंजाब की बात करें तो यहां खरीफ के मौसम में बिजली और पानी दोनों की ही समस्या होती है. इस समस्या का मुख्य कारण मानसून में देरी की वजह से होता है. पंजाब में हर साल मानसून लेट से पहुंचता है और किसान धान की बुवाई पहले शुरू कर देते हैं. ऐसे में धान की फसल को पानी की कमी ना हो इस वजह से खरीफ के मौसम में पूरे पंजाब से लगभग 15 लाख ट्यूबवेल चलाए जाते हैं. ऐसे में बिजली की खपत बड़े पैमाने पर होती है.

वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान भी धान की खेती करने के लिए अब ट्यूबवेल पर ही आश्रित हैं. जिस वजह से बिजली की खपत लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं एक और कारण भी है जिस वजह से बिजली की खपत बढ़ रही है.

डीजल के दाम बढ़ने से बिजली की बढ़ी मांग

असल में ट्यूबवेल डीजल से भी चलाया जाता है. लेकि‍न, डीजल के बढ़ते दामों की वजह से ब‍िजली पर न‍िर्भरता बढ़ी है. नतीजतन अब किसानों ने खेतों की सिंचाई के लिए डीजल से चलने वाले ट्यूबवेल का इस्तेमाल ना करते हुए बिजली चालित ट्यूबवेल का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के जेब का बोझ कम हो रहा है और काम भी समय पर पूरा होता है. आलम यह है कि अब लगभग हर राज्य में बि‍जली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है.

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