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Himachal Pradesh: राज्य सरकार की बड़ी पहल, अब 1800 हेक्टेयर में होगी संतरे की फसल

Himachal Pradesh: राज्य सरकार की बड़ी पहल, अब 1800 हेक्टेयर में होगी संतरे की फसल

हिमाचल सरकार ने, हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन (शिवा) परियोजना के तहत संतरे के उत्पादन के लिए राज्य में 1,800 हेक्टेयर भूमि में खेती करने का प्रस्ताव किया है.

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हिमाचल प्रदेश में 1,800 हेक्टेयर में किया जायेगा संतरा उत्पादन हिमाचल प्रदेश में 1,800 हेक्टेयर में किया जायेगा संतरा उत्पादन

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी का बड़ा योगदान है. इसके मद्देनजर हिमाचल सरकार बागवानी में सुधार के लिए कई नई पहल कर रही है. इस क्रम में राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पौधों को विकसित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रही है. दरअसल, शनिवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन (शिवा) परियोजना के तहत संतरे के उत्पादन के लिए राज्य में 1,800 हेक्टेयर भूमि में खेती करने का प्रस्ताव किया है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना को एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया है. वहीं परियोजना के हिस्से के रूप में एक प्रतिनिधिमंडल इस समय ऑस्ट्रेलिया के छह दिवसीय दौरे पर है.

'उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार करने में मिलेगी मदद'

शनिवार को जारी बयान में बताया गया कि राज्य के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने संतरे की खेती में माइक्रो-ग्राफ्टिंग तकनीक का अवलोकन करने के साथ साइट्रस पैथोलॉजी कार्यक्रम और राष्ट्रीय साइट्रस रिपॉजिटरी कार्यक्रम पर चर्चा की. 

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वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार की यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया से तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने और इस क्षेत्र में सुधार के मकसद से स्थानीय बागवानों का मार्गदर्शन करने के लिए इसका उपयोग किया जाएगा. इससे राज्य में उच्च गुणवत्ता वाले संतरे के पौधे तैयार करने में मदद मिलेगी.

'फलों की फसलों के लिए साबित हुआ वरदान'

सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश कृषि-जलवायु परिस्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला से संपन्न है, जो बड़ी संख्या में सेब, खट्टे फल, आम, खुबानी जैसे फलों की फसलों के लिए वरदान साबित हुआ है. किसानों की आय के साथ ही पौधों की उत्तरजीविता दर बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया में पादप स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में अपनाई जा रही स्क्रीनिंग, परीक्षण, सफाई और रखरखाव की आधुनिक तकनीकों का अवलोकन किया और उनका अध्ययन किया.

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बयान के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल ने सिडनी में स्ट्रॉबेरी उद्योग प्रमाणन प्राधिकरण और एलिजाबेथ कृषि संस्थान की प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया और नर्सरी पंजीकरण कार्यक्रमों के लिए आधुनिक तकनीकों पर चर्चा की.