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Kharif Special: इंटीग्रेटेड फार्मिंग करें क‍िसान, तीन गुना तक बढ़ेगा मुनाफा

Kharif Special: इंटीग्रेटेड फार्मिंग करें क‍िसान, तीन गुना तक बढ़ेगा मुनाफा

Kharif Special: देश में छोटे और मझोले किसानों की संख्यां लगभग 86 प्रतिशत है. ऐसे क‍िसानों के ल‍िए इंटीग्रेटेड फार्म‍िंंग करना बेहतर अवसर है. इससे किसानों की आय तीन गुना तक बढ़ सकती है.

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छोटे-मझोले क‍िसानों के ल‍िए बेहतर है इंटीग्रेटेड फार्म‍िंग-फोटो क‍िसान तक छोटे-मझोले क‍िसानों के ल‍िए बेहतर है इंटीग्रेटेड फार्म‍िंग-फोटो क‍िसान तक

छोटे-मझोले किसान की प्रगति के लिए अब खेती में बदलाव लाने की दिशा में काम किया जा रहा है. क्योंकि अपने देश में छोटे और मझोले किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत है, ज‍िनके पास पांच एकड़ से भी कम जमीन है. वहीं ऐसे क‍िसानों पर न‍ित रोज मौसम की मार भी पड़ रही है. ऐसे में पारंपरिक खेती करने वाले छोटे-मझोले किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिक क‍िसानों को एकीकृत खेती यानि इंटीग्रेटेड फार्मिंग करने की सलाह दे रहे हैं. इंटीग्रेटेड फार्मिंग का मतलब है क‍ि क‍िसानों को खेती के साथ ही खेती से जुड़े दूसरे संबंधित काम भी करने होंगे. इससे किसानों की आय चार से पांच गुना तक बढ़ सकती है.  

पूसा नई दि‍ल्ली ने भारतीय छोटे एवं सीमान्त किसानों को ध्यान में रखते हुए एक हेक्टेयर भूमि के ल‍िए समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल (integrated farming system) आईएफएस मॉडल विकसित किया है. क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल पर पूरी र‍िपोर्ट..  

पहले समझें मॉडल क्या है 

भारतीय कृषि अनुसंधान सस्थान (आइएआरआई) पूसा में एग्रोनामी डि‍वीजन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव कुमार सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा क‍ि आईएफएस मॉडल का मुख्य अभिप्राय किसानों को खेत पर उपलब्ध संसाधनों को भरपूर उपयोग करना सीखाना है, ज‍िसके तहत क‍िसान अपनी आर्थिक स्थिति एवं परिवार की मूलभूत खाद्य एवं हरे चारे आदि की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल उत्पादन, बागवानी कृषि-वानिकी, पशुपालन (दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन), मधुमक्खी पालन, मछली पालन व मशरूम उत्पादन का काम कर सकते हैं.

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इस मॉडल से क‍िसान सालभर आय अर्जित कर सकते हैं, जिससे छोटे और मझोले किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी.आसान भाषा में कहें तो समन्वित कृषि में खेती के सभी घटकों को शामिल किया जाता है. जिससे किसानों को सालभर आमदनी होती रहती है.

इंटीग्रेटेड फार्म‍िंग में जोखिम कम 

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राजीव ने कहा क‍ि इंटीग्रेटेड फार्मि‍ंंग मॉडल से किसानों को खासतौर पर छोटे काश्तकारों को अपने और बाजार के लिए कई तरह की वस्तुओं के उत्पादन का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है. साथ ही कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने, परिवार के लिए सन्तुलित पौष्टिक आहार जुटाने, पूरे साल आय और रोजगार का इंतजाम करने तथा मौसम और बाजार सम्बन्धी जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है. इस तकनीक मुख्य उद्देश्य ये है कि किसान अपने मुख्य फसल के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम, सब्जी-फल, मशरूम की खेती एक साथ एक ही जगह पर कर सकते हैं. 

दो से तीन गुना तक मुनाफा  

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राजीव ने इंटीग्रेटेड फार्मि‍ंंग मॉडल तकनीक काे एक उदाहरण के साथ समझाते हुए बताया कि एक किसान जिसके पास हेक्टयर जमीन है और वह सालों से पारंपरिक तरीके से उस खेत में धान और गेहूं की खेती करता आ रहा है, जिससे उसे अभी तक साल में डेढ़ से दो लाख रुपये की आमदनी होती है, लेकिन वहीं किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर एक हेक्टयर में इंटीग्रेटेड फार्मि‍ंंग करता है और खेत का ले आउट इस तरह तैयार करता है, ज‍िसमें सब्जी उत्पादन, बागवानी, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गाय पालन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन और बाकी खेत में धान-गेहू जैसी पारंपरिक खेती की जा सके. तो उसे अब एक हेक्टयर में 4 से 5 लाख रुपये की वार्षिक आमदनी हो सकती है, जो पारंपरिक खेती की तुलना में दो से 3 गुना ज्यादा होगी.

पानी के कई उपयोग और लाभ

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि इंटीग्रेटेड फार्मि‍ंंग में पानी की उपलब्धता होना अति‍ आवश्यक है. ऐसे में पानी के ल‍िए खेत की जमीन में ही एक तालाब खोदें, क्योंकि उससे तीन लाभ मिलते हैं.पहला फसलों कि सिंचाई,  दूसरा मछली पालन और तीसरा बत्तख पालन क‍िया जा सकता है. इसके ल‍िए एक अच्छे आदर्श मॉडल में पानी की पर्याप्त मात्रा का होना जरूरी है. इसके लिए आप पानी का स्रोत बना सकते है. खेत के बीच में या अन्य जगह अपनी जरूरत के हिसाब से एक छोटा तालाब बना सकते हैं. तालाब के चारों तरफ लताओं वाले पौधे लगा सकते हैं, जिनसे उनकी पानी की आवश्यकता पूरी की जा सके.

एक खेती से दूसरे खेती को मिलता है लाभ 

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि इंटीग्रेटेड फार्मि‍ंंग मॉडल में अमरूद, लीची, आम, सब्जियां आदि के पेड़ जगह के हिसाब से लगाए जा सकते हैं और खेत के ही पास में ही गौशाला बनाई का सकती है. फॉर्महाउस में मुर्गियों के साथ-साथ बत्तखों को भी पाला जा सकता है. इस तरह से समझ सकते हैं कि ये सभी एक दूसरे के पूरक हो जाते है. क‍िसान सब्जियां उगाएंगे, या फल उगाएंगे तो उसके गिरे हुए पत्ते, खराब सब्जियां, खर-पतवार आदि गाय बकरियों का आहार बनेगा.

तो वहीं गाय के गोबर से जमीन को और उपजाऊ बनाया जा सकता है. ठीक इसी तरह मुर्गी पालन से मीट के साथ साथ अंडो की भी प्राप्ति होती है. मछलियों के लिए चारे का इंतजाम भी इसी मॉडल से हो जाता है. मछलियां जैसे जलीय जंतुओं से जल शुद्ध रहता है. तालाब का प्रयोग सिंचाई के साथ बत्तख पालन में क‍िया जा सकता है. इससे मांस, अंडे उपलब्ध होंगे तो वहीं तालाब के मेड़ों में फल, सब्जिया, फलों को उगाया जा सकता है.