केंद्र सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) में बदलाव किया है. एमआईएस प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान यानी पीएम-आशा से जुड़ी एक योजना है. एमआईएस को राज्य सरकारों के अनुरोध पर जल्दी खराब होने वाली कृषि उपज-जैसे टमाटर, प्याज और आलू आदि की खरीद के लिए लागू किया जाता है, जिन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू नहीं होता. इसके तहत अब टॉप फसलों ( TOP-Tomato, Onion, Potato) के उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक इनको लाने और भंडारण का खर्च सरकार उठाएगी. जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा. सरकार का दावा है कि अब किसानों को अपनी उपज कम दाम में बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. एमआईएस उसके लिए 'सुरक्षा कवच' का काम करेगा.
अब एमआईएस की शर्तों में संशोधन किया गया है. जिसके तहत उस कृषि उपज की पिछले सामान्य मौसम की तुलना में बाजार में दाम कम से कम 10 फीसदी कम होने पर ही इस स्कीम को लागू किया जाएगा. साथ ही फसलों की उत्पादन मात्रा की खरीद सीमा को मौजूदा 20 से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है. राज्य के पास फिजिकल खरीद के स्थान पर सीधे किसानों के बैंक खाते में बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) और बिक्री मूल्य के बीच अंतर भुगतान करने का विकल्प भी दिया गया है.
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इसके अलावा, जहां उत्पादन और उपभोक्ता राज्यों के बीच टॉप फसलों (टमाटर, प्याज और आलू) की कीमत में अंतर है, वहां किसानों के हित में, NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों (CNA) द्वारा उत्पादक राज्य से अन्य उपभोक्ता राज्यों तक फसलों के परिवहन और स्टोरेज में होने वाली लागत की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) की जाएगी. इससे किसानों और कंज्यूमर दोनों को फायदा मिलेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26 जनवरी को अपने आवास पर किसानों से बातचीत में इस बात का संदेश दिया था. इसके तहत मध्य प्रदेश से दिल्ली तक 1,000 मीट्रिक टन तक खरीफ टमाटर के ट्रांसपोर्टेशन प्रतिपूर्ति के लिए एनसीसीएफ (NCCF) को मंजूरी दे दी गई है. बाकी राज्यों को भी इसी तरह का फायदा दिया जाएगा.
सरकार के लिए किसान और कंज्यूमर दोनों महत्वपूर्ण हैं. दोनों उसके लिए सियासी नफे-नुकसान का सवाल बन जाते हैं. ऐसे में सरकार ने पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF), मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) को इंटीग्रेट कर दिया है.
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत पहले दलहन और तिलहन राज्य के उत्पादन का सिर्फ 25 फीसदी खरीदी जा सकती थी, लेकिन अब इसमें बदलाव करके राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत कर दिया गया है. जिससे अब उन राज्यों में ज्यादा सरकारी खरीद हो पाएगी जिनमें इन फसलों का ज्यादा उत्पादन होता है. दलहन, तिलहन और नारियल की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी 45,000 करोड़ रुपये है, इस फंड का तब इस्तेमाल होगा जब बाजार में कीमतें एमएसपी से से नीचे आ जाएंगी.
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