
जम्मू और कश्मीर के दो जिलों, बारामूला और किश्तवाड़ को प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY)के तहत चुना गया है. यह छह साल का राष्ट्रीय कृषि कार्यक्रम है जिसका मकसद देश भर के पिछड़े कृषि क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाना है. केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया कि यह योजना जिसे कैबिनेट ने 16 जुलाई, 2025 को मंजूरी दी थी. साल 2025-26 से 100 पहचाने गए आकांक्षी कृषि जिलों में लागू की जाएगी जिसमें जम्मू और कश्मीर के ये दो जिले भी शामिल हैं. इस चुनाव से यह केंद्र शासित प्रदेश उन क्षेत्रों में शामिल हो गया है जिन्हें कम कृषि उत्पादकता, खराब क्रॉप इंटेंसिटी और संस्थागत ऋण तक सीमित पहुंच के लिए मार्क किया गया है. ये सभी योजना में शामिल होने के स्टैंडर्ड हैं.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, योजना को एक कन्वर्जेंस बेस्ड योजना के तौर पर डिजाइन किया गया है. यह 36 मौजूदा केंद्रीय योजनाओं को राज्य कार्यक्रमों और प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ जोड़ती है. इसका मकसद फसल उत्पादकता में सुधार, विविधीकरण और टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा देना, सिंचाई को मजबूत करना और पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद के स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाकर कृषि में संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करना है. यह योजना जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों सहित कई पहाड़ी और सीमावर्ती जिलों में लंबे समय से चली आ रही कृषि ऋण तक पहुंच की समस्या को भी आसान बनाने का प्रयास करती है. माना जा रहा है कि इस योजना के बाद दोनों जिलों के किसानों को खेती के लिए कर्ज मिलने में आसानी हो सकेगी.
अधिकारियों ने बताया कि 100 जिलों की पहचान तीन अहम इंडीकेटर्स के आधार पर की गई थी. ये इंडीकेटर्स हैं औसत से कम फसल उपज, कम क्रॉप इटेंसिटी और कमजोर क्रेडिट डिस्ट्रीब्यूशन. जम्मू और कश्मीर में, बारामूला और किश्तवाड़ के किसान लंबे समय से छोटे-छोटे जमीनों, मुश्किल इलाके, बारिश पर निर्भर खेती और सीमित बाजार पहुंच से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे ये जिले इस योजना के दायरे में आने के योग्य हो गए.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना को लॉन्च करते समय बताया था कि इसका मकसद राज्यों के बीच और यहां तक कि एक राज्य के जिलों के बीच 'उत्पादकता में असमानताओं' को दूर करना है. केंद्र की प्रमुख योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) के साथ-साथ कुछ राज्य योजनाएं, जिनकी पहचान जिला धन धान्य समितियों द्वारा की जाएगी, उन्हें PMDDKY में शामिल किया जाएगा. प्रस्तावित योजना के तहत निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय साझेदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इस योजना के लिए छह साल के लिए सालाना 24,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है.
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